दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का 10 अक्टूबर को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। उनके पुत्र अखिलेश यादव ने उन्हें 11 अक्टूबर मुखाग्नि देकर उनका अंतिम संस्कार किया। उसके बाद 12 अक्टूबर को सुबह अखिलेश यादव पिता को लेकर भावुक हो गए। उन्होंनें पिता की गैर मौजूदगी में पहली सुबह देखी। अखिलेश यादव ने भावुक होकर पिता को याद करते हुए ट्विटर पर लिखा, ‘आज पहली बार लगा… बिन सूरज के उगा सवेरा।’
इसके पहले 11 अक्टूबर को अंतिम संस्कार के दौरान पिता के जाने का गम अखिलेश यादव के चेहरे पर साफ दिखा। कभी खुद को संभालते दिखे तो कभी उनके आंसू निकल पड़े। नेता जी को यूरिन इंफेक्शन, ब्लड प्रेशर और सांस लेने में तकलीफ के चलते 2 अक्टूबर को मेदांता अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उनकी तबीयत लगातार नाजुक बनी हुई थी। सपा संस्थापक के मौत की खबर सुनते ही सपा कार्यकर्ताओं में गम और निराशा की एक लहर दौड़ गई।
धरतीपुत्र के नाम से जाने जाते थे नेता जी
मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति को अपूर्णनीय क्षति हुई है। नेता जी को लोग धरतीपुत्र के नाम से भी जानते थे। मुलायम सिंह यादव देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के 3 बार मुख्यमंत्री, 8 बार विधायक, 7 बार सांसद और केंद्रीय रक्षा मंत्री बने थे। मुलायम सिंह यादव ने एकदम ठेठ गंवई पृष्ठभूमि से निकल कर सियासत की बुलंदियों तक का सफर तय किया था। मुलायम सिंह यादव का जन्म किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता सुघर सिंह यादव जीवन यापन के लिए खेती पर निर्भर थे।
नेता जी तीन बार बने यूपी के सीएम
साल 1989 में नेता जी पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्मयमंत्री बने थे। आपको बता दें कि ये उत्तर प्रदेश की सियासत का वो बदलाव था जब पहली बार कोई गैर कांग्रेसी नेता यूपी की गद्दी पर बैठा तब से लेकर आज तक कांग्रेस उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज नहीं हो पाई। मुलायम सिंह यादव को भारतीय जनता पार्टी ने बाहर से समर्थन दिया था। इसके बाद साल 1993 में सपा नेता के तौर पर बसपा के सहयोग से मुलायम सिंह यादव ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। जब की साल 2003 में मुलायम सिंह यादव ने तीसरी बार सपा के नेतृत्व वाले गठबंधन के नेता के रूप में मुख्यमंत्री का पद ग्रहण किया। मुलायम सिंह यादव के तीनों कार्यकाल की कुल अवधि लगभग 6 साल 9 महीने की रही।
Author: samachar
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