अंजनी कुमार त्रिपाठी की खास रिपोर्ट
प्रयागराज। 11 मार्च 2015 दिन बुधवार रोज की तरह प्रयागराज कचहरी में मुकदमों से सम्बंधित काम काज चल रहा था। इसी समय रामपुर करछना निवासी नबी अहमद कोर्ट परिसर में थे और उसी समय एक मुकदमे के सिलसिले में दरोगा शैलेंद्र सिंह भी पहुँचते हैं और नबी अहमद से किसी बात को लेकर झगड़ा शुरू हो गया। झगड़े को देख कर कचहरी परिषद में मौजूद वकीलों का समूह दोनों की तरफ बढ़ता तभी शैलेन्द्र सिंह ने अपनी सर्विस रिवाल्वर से नबी अहमद की तरफ फायर झोंक दिया,गोली नबी अहमद को लग गयी और उनकी घटनास्थल पर मौत हो गयी। वहीं दरोगा शैलेंद्र सिंह अपने को बचाने के लिए कचहरी परिषद से भाग निकले। इसके बाद पूरा इलाहाबाद अब प्रयागराज वकीलों के गुस्से का सामना कर रहा था। आगजनी, तोड़फोड़ शुरू हो गयी। रैपिड एक्शन फ़ोर्स आरएफ और पीएसी को स्थिति नियंत्रण करने के लिए लगाया गया।जब विरोध की आग फैली तो हाई कोर्ट के वकील भी उग्र हो गए और फायर टैंकर को आग के हवाले कर दिया था।
जिला अधिवक्ता संघ के तत्कालीन अध्यक्ष शीतला प्रसाद मिश्रा की अगुवाई में अभियुक्त के विरुद्ध कार्रवाई से लेकर पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद दिलाने की मुहिम शुरू हुई थी।
हाईकोर्ट के आदेश पर मामले की जांच के लिए एक कमेटी भी गठित की गई थी।शैलेन्द्र सिंह को पुलिस ने मौके से ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।उधर पुलिस महकमे ने भी दारोगा को बर्खास्त कर दिया था। मामला अधिवक्ताओं से जुड़ा होने के चलते इस केस का ट्रायल रायबरेली सत्र न्यायालय में ट्रांसफर हो गया था। यहां पूरे मामले की पूरी सुनवाई हुई। जिसके बाद जिला जज अब्दुल शाहिद ने दारोगा शैलेन्द्र सिंह को आजीवन कारावास के साथ 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है
दारोगा की आर्थिक मदद को भी मुहिम चलाई गई थी
दारोगा शैलेंद्र की गिरफ्तारी के बाद पुलिसकर्मियों में भी गुस्सा था। सन 2008 बैच के दारोगाओं की ओर से आर्थिक मदद की मुहिम चलाई गई। देवरिया, प्रयागराज से लेकर प्रदेशभर के तमाम पुलिसकर्मी शैंलेंद्र की पत्नी के बैंक खाते में स्वैच्छिक आर्थिक मदद को आगे आए थे।
सोशल मीडिया पर एक मुहिम चलाया गया। इसके बाद जब दारोगा का मुकदमा लड़ने के लिए कोई वकील आगे नहीं आया तो अधिवक्ता नूतन ठाकुर ने पैरवी करने की बात कही थी। उनके पति तत्कालीन आइपीएस अमिताभ ठाकुर ने शैलेंद्र के परिवार से मुलाकात की थी।
शैलेन्द्र सिंह का परिवार जाएगा हाइकोर्ट
वहीं दारोगा का कहना है कि न्यायालय के फैसले का सम्मान है, लेकिन अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए हाईकोर्ट में अपील करेंगे। बताते चलें कि आरोपी दारोगा रायबरेली जेल में पिछले सात साल से बंद है।
Author: samachar
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