नौशाद अली की रिपोर्ट
बलरामपुर। शासन से दूसरी किश्त न मिल पाने के कारण जिले में दो सामुदायिक तथा तीन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के भवन वर्ष 2014 से अधूरे पड़े हैं। किश्त मिलने में हुई देरी से निर्माण की लागत दो गुने से अधिक हो गई है।
एक सीएचसी को 3 करोड़ 74 लाख रूपए की लागत से बननी थी। अब इसकी संभावित लागत साढ़े सात करोड़ रूपए हो गई है। दूसरी किश्त के लिए कई बार अधिकारियों के शासन में पत्राचार करने के बावजूद बजट नहीं मिल सका है। पिछड़े इलाकों में निर्माणाधीन इन अस्पतालों के पूरा न होने के कारण लोगों को इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
वर्ष 2013-14 में तत्कालीन केन्द्र सरकार ने एमएसडीपी योजना के तहत अल्प संख्यक बाहुल्य क्षेत्र रेहरा बाजार व श्रीदत्तगंज ब्लाक के महदेइया में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के निर्माण की सौगात दी थी। कार्य का जिम्मा कार्यदायी संस्था सीएनडीएस को सौंपी गई थी। उस समय एक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के भवन निर्माण की कीमत 3.74 करोड़ रुपए थी। पहली किश्त में आधी धनराशि निर्गत की गई, जिससे भवन निर्माण का कार्य शुरू हुआ।
उल्लेखनीय है कि इन दोनों सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के निर्माण का नोडल अल्प संख्यक कल्याण अधिकारी को बनाया गया था। 2014 में केन्द्र में भाजपा की सरकार बनी। उसके बाद से एमएसडीपी योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम कर दिया गया। 2014 के बाद दूसरी किश्त नहीं आई। जिससे निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका। आज भी रेहरा बाजार और महदेइया में आधा अधूरा भवन पड़ा हुआ है। कुछ निर्माण सामग्रियों को लोग उठा ले गए हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अवर अभियन्ता आरएम मौर्या के अनुसार 2013-14 में जिन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के निर्माण की लागत 3.74 करोड़ थी अब वह लागत बढ़कर 7.50 करोड़ हो गई है। जेई ने बताया कि फिलहाल अधूरे सीएचसी भवनों के निर्माण कार्य पूरा करने के लिए शासन से धनराशि मिलने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है।
रेहरा बाजार व महदेइया यह दोनों क्षेत्र अल्प संख्यक बाहुल्य हैं। तत्कालीन केन्द्र की कांग्रेस सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र में लोगों तक सरकारी चिकित्सीय सुविधा पहुंचाने के उद्देश्य से इन स्वास्थ्य केन्द्रों की सौगात दी थी। यही नहीं रेहरा बाजार में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भवन का निर्माण पूरा न होने से आज भी इसका संचालन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के जर्जर भवन से किया जा रहा है।
लोगों का कहना है कि यदि समय से इन दोनों सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों का निर्माण कार्य पूरा हो जाता तो करीब तीन लाख लोगों को सरकारी चिकित्सा सेवा का लाभ मिलता।
धन के अभाव में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के भवन भी हैं अधूरे
वर्ष 2013-14 में ही छह प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। जिसमें से ओबरीडीह व परसौना स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण कार्य पूरा हो गया, इसका लाभ भी लोगों को मिल रहा है। वहीं जनकपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर काम चालू है। विभागीय जेई की माने तो जल्द ही इसका कार्य पूरा हो जाएगा। उन्होंने बताया कि वर्ष 2013-14 के बाद दूसरी किश्त न मिलने के कारण प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र महुवाधनी, मनकौरा भगवानपुर व बनकटवा कलॉ का भवन आज भी अधूरा है। उन्होंने बताया कि उस समय एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भवन निर्माण की लागत करीब एक करोड़ रुपए थी। पहली किश्त के रूप में 49 लाख रुपए मिले थे, जिसके बाद कोई धनराशि नहीं मिली है। अब पीएचसी भवन निर्माण की लागत दो करोड़ रुपए हो गई है।
यही नहीं जिन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के भवन वर्षों से अधूरे हैं, उनके संचालन के लिए चिकित्सक और फार्मासिस्ट की तैनाती हो गई है। यह सभी चिकित्सक व फार्मासिस्ट सम्बन्धित ब्लाक के सीएचसी अधीक्षक के अधीनस्थ कार्य कर रहे हैं।
दो साल पहले कार्यदायी संस्था हो चुकी ब्लैक लिस्ट
योजना के नोडल व जिला अल्प संख्यक कल्याण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के निर्माण का जिम्मा जिस कार्यदायी संस्था सीएनडीएस को दिया गया था, उसे दो साल पूर्व ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है। जिससे कार्यदायी संस्था को कार्य कराने के लिए दूसरी किश्त नहीं दी गई। उन्होंने बताया कि शासन स्तर से कार्यदायी संस्था के ऊपर कार्रवाई अभी लम्बित है।
बताया कि सरकार ने यह निर्णय लिया है कि कार्यदायी संस्था सीएमडीएस के जो पुराने अधूरे कार्य हैं, उसे वही पूरा कराएगी। शासन के नए निर्देश पर अधूरे भवनों का निर्माण कार्य धनराशि मिलने के बाद शुरू कराया जाएगा।
Author: samachar
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