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22 January 2025 12:38 pm

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सरयू से ही क्यों जल भरते है कांवरिए? क्या है इसका रहस्य

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आर के मिश्रा की रिपोर्ट

गोण्डा – जनपद गोण्डा अन्तर्गत कर्नलगंज के कटरा घाट स्थित सरयू नदी से जल भरकर ही क्यों जलाभिषेक करते हैं कांवरिए, कब चर्चित होकर करनैलगंज ही नहीं वरन जिला के लिए खास बना कजरी तीज का यह पावन पर्व।

वैसे तो कजरी तीज का पर्व अपने आप में पौराणिक व आध्यात्मिक महत्व रखता है और सदियों से लोग इसे आध्यात्मिक दृष्टि से मनाते आ रहे हैं लेकिन बीते कुछ वर्षों से कांवरियों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होती जा रही है और यह पर्व समूचे मंडल की पहचान बनता जा रहा है।

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले इस कजरी तीज पर्व पर लोग गोंडा जिले के कर्नलगंज तहसील क्षेत्र अंतर्गत कटराघाट स्थित पावन सरयू नदी से जल भरकर जिला मुख्यालय पर दुखहरण नाथ शिव मंदिर, खरगूपुर के पृथ्वीनाथ मंदिर, करनैलगंज के पांडव कालीन बरखंडी नाथ मंदिर समेत पास पड़ोस के अन्य शिवालयों में जलाभिषेक करते हैं। 

आखिर क्यों करनैलगंज सरयू नदी से ही जल भरते हैं कांवरिए…..

लखनऊ हाइवे पर जिला मुख्यालय स्थित दुखहरण नाथ मंदिर से 30 किमी और खरगूपुर पृथ्वीनाथ मंदिर से करीब 45 किमी की दूरी पर स्थित कटराघाट सरयू नदी तक पहुंचने का मार्ग बहुत ही सीधा व सुगम है तथा इस क्षेत्र में पांडव कालीन बरखंडी नाथ मंदिर व 30 किमी दूरी पर बाराबंकी के रामनगर स्थित लोधेश्वर महादेव मंदिर में भी श्रद्धालु शिवभक्त जलाभिषेक हेतु यहीं से जलभर कर रवाना होते हैं। लोगो की आस्था का केंद्र बने इन पौराणिक शिवालयों का यह स्थान मध्य केंद्र है।

ट्रेन दुर्घटना में कांवरियों की मौत के बाद चर्चा में आया ये पर्व बन गया खास

कुछ वर्ष पहले कजरी तीज के दिन बहुत बड़ी दुखद दुर्घटना घटित हो गई थी जिसमें जलाभिषेक हेतु जा रहे एक दर्जन से अधिक कांवरियों की मौत हो गई थी। मामला सितंबर 2007 का है जब गोण्डा – लखनऊ रेल खंड अंतर्गत सरयू पुल पर एक दर्जन से ज्यादा  कांवरियों की ट्रेन से कटकर दर्दनाक मौत हो गई थी। उसके बाद से कजरी तीज का यह पर्व और अधिक चर्चित हो गया और प्रशासन द्वारा इस पर्व पर देखरेख और व्यवस्था का विशेष रूप से इंतजाम किया जाने लगा। प्रशासन की व्यापक व्यवस्था के कारण हाल के ही वर्षों में पुरुषों के साथ ही महिलाओं व बच्चों की भी संख्या कांवरियों के रूप में लगातार बढ़ती चली गई। बीते 2 वर्षों से कोरोना के प्रकोप के चलते इस मेले का आयोजन नहीं हुआ था पर इस वर्ष पाबंदी हटने के बाद जलाभिषेक के लिए बहुत से लोग उत्साहित हैं तो वहीं प्रशासन द्वारा मेले की सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम भी किए गए हैं और कई दिन पूर्व से ही प्रशासन इसकी रूपरेखा तैयार कर उसे अमल में लाने में जुटा हुआ है ।

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इस बार भी प्रशासन द्वारा रूट डायवर्जन व रेलवे ट्रैक पर काशन आदि जैसे सुरक्षात्मक उपाय किया गया है। डॉक्टरों की टीम स्थानीय प्रशासन व पुलिस के अधिकारी बराबर व्यवस्था की देखरेख में दिनरात एक किए हुए दिख रहे हैं ।

कई धार्मिक संस्थाओं द्वारा कांवरियों के मार्ग में प्रसाद वितरण के स्टाल लगाकर उनके जलपान की व्यवस्था की जा रही  है। दिनों दिन कांवरियों संख्या में हो रही बेतहासा वृद्धि की वजह से कजरी तीज का यह पर्व बहुत खास बन गया है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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