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November 22, 2024 2:37 pm

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पाकिस्तानी बहू और हिंदुस्तान की बेटी की ये कहानी रुला देगी आपको

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कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट 

उन्नाव। आजादी के 75 साल पूरे होने पर पूरा भारत देशभक्ति के अमृत महोत्सव में रमा है, वहीं आजाद भारत में जन्मीं उन्नाव की शमीना को पाकिस्तानी होने का दंश दीमक की तरह खोखला बना रहा है। जेहन में पाकिस्तान का नाम आते ही शमीना की रूह कांप जाती है।

उनकी अंतिम इच्छा है कि वह पाकिस्तानी नहीं हिंदुस्तानी बनकर दुनिया से विदा हो। बेटा भी कहता है- मेरी मां तो ‘भारत’ की बेटी है और वो पाकिस्तानी बनकर नहीं मरना चाहती है।

यूपी के उन्नाव में सफीपुर के जमालनगर में लगभग 62 साल पहले शमीना Shamina Story का जन्म हुआ था। 19 वर्ष की उम्र में कदम रखते ही पिता ने निकाह की तैयारी शुरू कर दी। पड़ोसियों ने पाकिस्तान के करांची निवासी रिश्तेदार तौकीर के बेटे से निकाह करा दिया। पाकिस्तान से आया दूल्हा शमीना को साथ लेकर चला गया।

शादी के मिली पाकिस्तान की नागरिकता

शादी के छह माह बीतने के बाद ही धोखे से पति ने उसे पाकिस्तान की नागरिकता दिला दी। साल भी पूरा नहीं हो पाया था कि भारत से शमीना की मां उसे विदा कराने पाकिस्तान पहुंची। पति ने भेजने से मना किया और गुस्से में तीन बार तलाक बोलकर घर से निकाल दिया और वापस न आने की बात कही।

बेटा हिंदुस्तानी, मां पाकिस्तानी

शमीना की उजड़ी जिंदगी में फिर से खुशहाली लाने के लिए घरवालों ने उसकी दूसरी शादी एबी नगर निवासी युवक से कर दी थी। कुछ साल बाद एक बेटा हो गया। हालांकि शमीना को उससे बिछड़ने का डर अंदर ही अंदर सताता रहा। वह जानती थी कि बेटा तो हिंदुस्तानी है पर वह पाकिस्तानी है।

किराये के मकान में बेटे के साथ रहती हैं शमीना

समय के साथ बेटा फैज बड़ा हुआ तो 2017 में पिता का निधन हो गया। किसी तरह मां को संभाला तो पिता की पहली शादी से हुए बच्चाें ने उसे घर से निकाल दिया। जिस पर वह मां के साथ तालिब सरांय में किराए के मकान में रह रहा है।

62 वर्ष की शमीना बीमारी से जूझ रही है। बेटे फैज ने बताया कि मां उससे अक्सर कहती है कि भारत की बेटी हूं और अब पाकिस्तान का मुंह नहीं देखना चाहती हूं। मां को भारत की नागरिकता तो मिल जाएगी पर पासपोर्ट के लिए मां को एक बार पाकिस्तान जाना पड़ेगा। जिसके लिए वह तैयार नहीं है। इसलिए अब प्रधानमंत्री से ही उसे आखिरी उम्मीद है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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