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November 22, 2024 10:24 am

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बच्चों में पढ़ने और शिक्षकों में पढ़ाने की ललक है ; 70 साल से कब्रिस्तान में चल रहे इस स्कूल की हकीकत पढ़िए

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

संभल। करीब 225 बच्चे। पढ़ने के लिए एक टिन शेड। दीवारों की जगह पर्दे। खेलने के लिए कब्रिस्तान। ये स्याह सच है सरायतरीन के प्राथमिक विद्यालय (Primary school) दरबार का। बेसिक शिक्षा सरकार की प्राथमिकता में शामिल है, लेकिन इस स्कूल को लेकर अधिकारी गंभीर हैं ना ही जनप्रतिनिधि। 1952 से संचालित इस स्कूल में 2019 में एक और स्कूल शिफ्ट कर दिया। इस टिनशेड में कोई कक्षा भी नहीं है। सभी बच्चे एक साथ पढ़ते हैं।

करीब सवा लाख की मुस्लिम आबादी (Muslim population) वाले सरायतरीन में स्थित स्कूलों के बच्चों में पढ़ने और शिक्षकों में पढ़ाने की ललक है, लेकिन सरकारी उपेक्षा इनकी आस तोड़ रही है। अफसर जानकर भी बेपरवाह बने हुए हैं। सरायतरीन को बसाने वाले दरबार शाह फतेउल्लाह साहब के नाम से 1952 में बेसिक शिक्षा विभाग ने स्कूल स्थापित किया। कक्षा एक से पांचवीं तक के ये स्कूल कुछ साल तक किराए के भवन में चला।

बाद में स्कूल को कब्रिस्तान (School in Graveyard) में लाया गया। जगह को समतल कर स्टाफ ने आसपास के लोगों की मदद से टिनशेड डलवा दिया। चहारदीवारी की जगह पर्दे लगा दिए गए। ताकि बच्चों को कब्रिस्तान (Graveyard) का अहसास न हो। यहीं बच्चों को मिड-डे मिल भी दिया जाता है। दोनों स्कूलो में प्रधानाध्यापक शारिक के अलावा चार शिक्षामित्र मुमताज जहां, हिना कौसर, सरिता वाष्ण्रेय,कहकशा की तैनाती है।

पहले यहां दो स्कूल संचालित थे प्राथमिक विद्यालय दरबार और प्राथमिक विद्यालय बगीचा। 2007 में प्राथमिक विद्यालय बगीचा खत्म हो गया। 2019 में प्राथमिक विद्यालय पैठ इतवार को यहां शिफ्ट कर दिया गया।प्रधानाध्यापक शारिक कमर के मुताबिक इसके भवन को लेकर रिपोर्ट दी जा चुकी है।

हर चुनाव में होती मांग

स्कूल को लेकर हर चुनाव में मांग उठाई जाती है। सभी पार्टियों के नेता आकर आश्वासन भी देते हैं, लेकिन चुनाव के बाद सभी इस समस्या को भुला देते हैं। मोहल्ले के लोगों का कहना है कि शिक्षकों की पूरी मेहनत के बाद भी स्थानाभाव कीवजह से ठीक ढंग से पढाई नहीं हो पाती है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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