नौशाद अली की रिपोर्ट
बलरामपुर : जिला संयुक्त चिकित्सालय से हटाकर बाराबंकी सीएमओ के अधीन भेजे गए कनिष्ठ सहायक अजय श्रीवास्तव नई तैनाती वाले स्थान पर योगदान करने के बजाय स्थानांतरण रुकवाने के लिए उच्च न्यायालय चले गए थे। इस पर न्यायालय ने निदेशक प्रशासन से पूरी जानकारी तलब की। निदेशक प्रशासन डा. राजा गणपति आर ने 34 वर्षों से एक ही जनपद व मंडल में तैनात होने समेत अन्य जानकारी देते हुए कनिष्ठ सहायक अजय श्रीवास्तव का पूरा कच्चा चिट्टा खोल कर रख दिया।
उच्च न्यायालय लखनऊ ने कनिष्ठ सहायक का प्रत्यावेदन बलहीन मानते हुए स्थानांतरण निरस्त करने की मांग खारिज कर दी थी। निदेशक प्रशासन ने कनिष्ठ सहायक अजय श्रीवास्तव को निलंबित कर अयोध्या के अपर निदेशक चिकित्सा कार्यालय से संबद्ध कर दिया।
निदेशक प्रशासन ने न्यायालय को सौंपा था आरोपों का पूरा ब्यौरा : उच्च न्यायालय को भेजी रिपोर्ट में निदेशक प्रशासन ने अजय श्रीवास्तव पर चित्रांश आउटसोर्सिंग कंपनी चलाकर मनमर्जी से संयुक्त चिकित्सालय में संविदा कर्मियों को तैनात करने, फर्जी बिल लगाकर राजकीय धन का आहरण करने, संविदा कर्मियों से धन उगाही करने व उनका ईपीएफ न जमा करने, तत्कालीन सीएमएस डा. राजेश मोहन गुप्त का फर्जी हस्ताक्षर करने, उन पर दबाव बनाकर बिलों का भुगतान कराने, पत्नी सविता श्रीवास्तव के नाम फर्म बनाकर दवा व सामानों की खरीददारी भ्रष्ट तरीके से करने, पत्नी व छोटे भाई की पत्नी के नाम से फर्जी भुगतान कराकर एनआरएचएम घोटाला करने समेत कई वित्तीय अनियमितता व अनुशासनहीनता के आरोप लगाए गए थे। साथ ही यह भी बताया गया था कि इन्हीं आरोपों के चलते एसटीएफ व एसआइटी जांच हो चुकी हैं। अब भी अयोध्या की विजिलेंस टीम जांच कर रही है।
गलत हुई कार्रवाई : कनिष्ठ सहायक अजय श्रीवास्तव ने आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कार्रवाई को गलत बताया है। कहा कि न्यायालय से निर्णय नहीं आया, लेकिन निलंबन की कार्रवाई कर दी गई। दूसरी तरफ सीएमओ डा. सुशील कुमार ने बताया कि लिपिक के निलंबन की जानकारी नहीं है।
Author: samachar
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