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11 January 2025 2:21 am

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झाड़ दिया पल्ला चाचा का, कहा, “जहां सम्मान मिले वहां जाओ”

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ज़ीशान मेहदी की रिपोर्ट 

राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू की जीत के बाद समाजवादी पार्टी ने शिवपाल सिंह यादव और ओम प्रकाश राजभर से दूरी बना ली है। दोनों ही नेताओं ने सपा से इतर जाकर द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया था। अब समाजवादी पार्टी ने विधायक शिवपाल यादव और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर से कहा कि वे गठबंधन छोड़ने के लिए स्वतंत्र हैं। शिवपाल और राजभर लंबे समय से अखिलेश के खिलाफ बयान देते आ रहे हैं। राष्ट्रपति चुनाव में दोनों ही नेताओं ने अखिलेश यादव पर जमकर हमला बोला था।

समाजवादी पार्टी द्वारा अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर साझा किए गए पत्र में, पार्टी ने कहा, ‘शिवपाल यादव जी, अगर आपको लगता है कि आपको कहीं और सम्मान मिलेगा, तो आप जाने के लिए स्वतंत्र हैं।’ एक अन्य ट्वीट में सपा ने कहा, ‘ओम प्रकाश राजभर जी, समाजवादी पार्टी लगातार भाजपा के खिलाफ लड़ती रही है। आप भाजपा के साथ हैं और पार्टी को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं। अगर आपको लगता है कि आपको कहीं और सम्मान मिलेगा, तो आप जाने के लिए स्वतंत्र हैं।’

समाजवादी पार्टी के पत्र के बाद ओमप्रकाश राजभर और शिवपाल यादव की भी प्रतिक्रिया आई है। राजभर ने कहा कि आज उन्होंने (सपा) ‘तलाक’ दे दिया है और हमने उसे स्वीकार कर लिया है। अगला कदम बसपा है। जब मैं सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलता हूं तो यह उनके लिए बुरा होता है लेकिन अखिलेश यादव सीएम से मिलते हैं तो अच्छा है। 2024 तक सब कुछ साफ हो जाएगा। हम दलितों और पिछड़ों के लिए लड़ते हैं और आगे भी लड़ते रहेंगे। वहीं, शिवपाल यादव ने कहा कि मैं वैसे तो सदैव से ही स्वतंत्र था, लेकिन समाजवादी पार्टी द्वारा पत्र जारी कर मुझे औपचारिक स्वतंत्रता देने हेतु सहृदय धन्यवाद।

याद दिला दें कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर शिवपाल सिंह यादव ने कहा था कि मेरी चिट्ठी के असर के चलते सपा में क्रॉस वोटिंग हुई। सच्चे समाजवादियों ने द्रौपदी मुर्मु को वोट दिया। मुलायम सिंह यादव पर यशवंत सिन्हा के पुराने बयान को लेकर शिवपाल ने सपा विधायकों को चिट्ठी लिखकर उन्हें वोट नहीं देने की अपील की थी। शिवपाल ने द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई देते हुए कहा था कि समय लेकर उनसे मिलने भी जाऊंगा। एक तरफ शिवपाल यादव तो दूसरी तरफ ओपी राजभर के रुख से लगता है कि अखिलेश की मुश्किलें अभी और बढ़ने वाली हैं।

आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा की हार के बाद सपा प्रमुख अखिलेश पर कटाक्ष करते हुए राजभर ने कहा था, ‘जिस पार्टी के नेता चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं लेते हैं, उससे आप किस तरह के मुकाबले की उम्मीद कर सकते हैं?’ राजभर ने अखिलेश यादव को लोगों के बीच जाने और वातानुकूलित कमरे से राजनीति नहीं करने की सलाह दी थी। उन्होंने यहां तक कहा था कि अखिलेश अपने पिता (मुलायम सिंह यादव) की कृपा से ही मुख्यमंत्री बने हैं और उनकी पार्टी ने 2014 के बाद से उनके (अखिलेश यादव) नेतृत्व में कोई चुनाव नहीं जीता है. राजभर ने शुक्रवार को जोर देकर पत्रकारों से कहा कि वह सपा गठबंधन का हिस्सा बने रहेंगे और अखिलेश यादव की तरफ से अगर कोई ‘तलाक’ आएगा तो वह कबूल कर लेंगे, लेकिन अपनी तरफ से अलग नहीं होंगे. उन्होंने विकल्प बताते हुए यह जरूर कहा कि अगर सपा से गठबंधन टूटेगा तो वह बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन की पहल करेंगे।

शिवपाल-राजभर ने किया मुर्मू का समर्थन

इस हफ्ते की शुरुआत में, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल यादव पर विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को निशाना बनाने के लिए भाजपा के निर्देशों पर काम करने का आरोप लगाया था। भाजपा के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने भी ओम प्रकाश राजभर को ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की है। जब उनकी पार्टी ने समाजवादी पार्टी (सपा) से नाता तोड़ लिया था और एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया था। राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की हार हुई है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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