नौशाद अली की रिपोर्ट
मानसून इस कदर रूठा है कि आषाढ़ का महीना बीत जाने के बाद अब सावन माह की शुरुआत हो चुकी है और बारिश की बूंदों के लिए धरा तरस रही है। ऐसे में अब रूठे मानसून को मनाने का सिलसिला गांवों में शुरू हो गया है। इसके लिए तरह तरह के टोटके अपनाए जा रहे हैं। कहीं खेतों पर हल लेकर महिलाएं उतर रही हैं तो कहीं दरवाजे-दरवाजे जाकर युवा और बच्चे लेदा मांग रहे हैं। इसके पीछे इंद्रदेव को प्रसन्न करना है ताकि बारिश की शुरुआत हो जाए।
क्यों ठिठक गया है मानसून : इस बार यूपी में मानसून के रूठने से किसानों के हाल बेहाल हैं। सात साल पहले की तरह ट्रफ रेखा के बदल जाने से यूपी में अबतक तेज बारिश नहीं हो सकी है। मौसम विज्ञानियों की मानें तो मानसून की दो शाखाएं बारिश कराती हैं। एक शाखा अरब सागर से चलती है जो देश के दक्षिण में बारिश कराती है और दूसरी शाखा बंगाल की खाड़ी से उठकर यूपी में वर्षा कराती है। इस बार मानसूनी शाखा को उत्तर भारत की ओर उचित वायु दाब न मिलने से आने वाली शाखा दिशा से भटक रही है, इससे मानसून ठिठक गया है। ऐसे सूखे जैसे हालात बनने के आसार पैदा हो गए हैं। खेत में धान की पौध सूखने लगी है और खेतों को नमी न मिलने से जुताई की भी स्थिति नहीं बन रही है।
ग्रामीण क्षेत्रों में टोटके का प्रचलन : अक्सर बारिश न होने पर सूखे के हालात बनते देखकर कानपुर समेत आसपास के जिलों में चिंतित ग्रामीण टोटकों का सहारा लेते हैं। इसमें दो तरह के टोटकों का प्रचलन बना हुआ है। पहला ग्रामीण महिलाओं का खेतों में चलाना तो दूसरा गांवों में दरवाजे-दरवाजे लेदा मांगने की प्रथा चली आ रही है।
क्या है हल चलाने की परंपरा : किताबों की कहानियों में पढ़ा और सुना भी गया है कि प्राचीन काल में सूखे के हालात बनने पर राजा और रानी मिलकर खेतों में हल चलाकर बारिश के लिए अनुष्ठान करते थे। राजा जनक ने भी महारानी के साथ खेत में हल चलाया था, जब धरती मां की गोद में माता सीता को पाया था। इंद्रदेव को प्रसन्न करने की इस परंपरा के चलते ग्रामीण क्षेत्राें में भी सूखे के हालात बनने पर महिलाएं खेतों में हल चलाती हैं।
इटावा में हल लेकर खेतों में उतरीं महिलाएं
सावन माह की शुरुआत होने के बाद भी बारिश की बूंद तक न होने पर इटावा के ग्रामीण क्षेत्रों में किसान परिवार की महिलाएं खेत की जुताई कर रहीं हैं। खेत पर गीत व मल्हार गा रहीं हैं ताकि इंद्र देव प्रसन्न हो जाएं और झूमकर बारिश हो। जसवंतनगर ब्लाक के भतौरा गांव की शकुंतला देवी बताती हैं कि यह परंपरा पूर्वजों के समय से चली आ रही है। इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए खेतों में हल चलाकर प्रार्थना की जाती है। इस समय धान, मक्का, बाजरा की बुवाई करनी है। बारिश न होने से बुआई नहीं हो पा रही है और खेत सूखे पड़े हैं। 85 वर्षीय रामश्री कहती हैं कि यह पुराना टोटका है। इस प्रकार हल चलाने से बारिश होती है।
Author: samachar
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