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November 3, 2024 12:54 am

सांसद और वीआईपी कोटे पर रेलवे रिजर्वेशन ऐसे कराता था कंफर्म यह दलाल ; आप भी चौंक जाएंगे

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राकेश तिवारी की रिपोर्ट 

गोरखपुर। दलाल ट्रेन में सीट उपलब्ध कराने के लिए एक से बढ़कर एक कारनामे को अंजाम दे रहे हैं। आरपीएफ, सीआईबी और सतर्कता विभाग की संयुक्त टीम ने एक ऐसे टिकट दलाल को पिछले सप्ताह गोरखपुर स्टेशन से गिरफ्तार किया है, 500 से 700 रुपये में सांसदों के कोटे की बर्थ बेच रहा था। दलाल के मोबाइल में गोरखपुर सदर, बांसगांव और संतकबीरनगर सांसद का पैड मिला है। इसका इस्तेमाल कर वह वेटिंग सीट को वीआईपी कोटे से कन्फर्म कराता था। उसके पास से 8,880 रुपये कैश भी मिले हैं। टीम ने धारा-143 में केस दर्ज कर दलाल को जेल भेज दिया है। साथ ही उसके मोबाइल में मिले सांसदों के पैड का सत्यापन कराने में जुटी है।

करीब एक सप्ताह पहले आरपीएफ की सीआईबी टीम को सूचना मिली कि बिछिया का रहने वाला सतपाल सिंह सांसदों के पैड पर वेटिंग टिकट कन्फर्म कराता है। शिकायत के आधार पर सतर्कता दल निरीक्षक/यातायात के साथ आरपीएफ की टीम पिछले सप्ताह स्टेशन पर जुट गई। सीआईबी निरीक्षक ने बताया कि सत्येन्द्र पाल नाम का दलाल स्टेशन पर एक व्यक्ति को 12565 नंबर ट्रेन की वीआईपी कोटे से कंफर्म टिकट देने पहुंचा। अभी वह यात्री को टिकट दे ही रहा था कि उसे दबोच लिया गया।

पूछताछ में उसने बताया कि वह बिछिया का रहने वाला है और 500 से 700 रुपये अधिक लेकर टिकट कंफर्म कराता है। उसने बताया कि वह सदर सांसद रवि किशन, खलीलाबाद सांसद प्रवीण निषाद और बांसगांव सांसद कमलेश पासवान के लेटर पैड पर का इस्तेमाल कर सीसीएम कार्यालय से टिकट कंफर्म कराता है। बताया कि उसके आदमी सांसदों के प्रतिनिधियों को 200 से 300 रुपये देकर कोटे पर साइन करा लाते थे और सीसीएम कार्यालय में जमा कर देते थे। लगभग 90 फीसदी आवेदन पर कोटा आवंटित हो जाता था।

मोबाइल की गैलरी में मिले साइन किए हुए 35 पैड

टीम ने जब दलाल सत्येन्द्र के मोबाइल की जांच की तो उसकी गैलरी में तीन सांसदों के साइन किए हुए 35 लेटर पैड मिले। सभी पैड का प्रिंटआउट कराकर जांच के लिए भेजा गया है। इसके साथ ही उसके पास से 8,880 रुपये भी बरामद हुए। पूरी तरह से पड़ताल के बाद दलाल सत्येन्द्र पाल के खिलाफ 1133/22 के तहत धारा 143 में मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."