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November 25, 2024 11:12 am

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40वर्षों से उपेक्षित है गांव का संस्कृत विद्यालय ; संस्कृत भाषा बचाने के दावे पर सवाल 

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विरेन्द्र कुमार खत्री की रिपोर्ट

हसपुरा, औरंगाबाद। औरंगाबाद जिले के हसपुरा प्रखंड के बड़ौखर गांव स्थित एसके दिक्षित हरिजन संस्कृत विद्यालय चालीस वर्षों से उपेक्षित है। सरकार भले ही संस्कृत भाषा को बचाने के दावे करती हो। लेकिन जमीनी हकीकत अलग ही है। सरकार के पदाधिकारियों के नीति से आज यह विद्यालय एक-दो नामांकन के लिए तरस रही है। संस्कृत विद्यालय को मृत बनाकर अब इसे उपचार के लिए बोर्ड नामांकन के लिए पखावड़ा मनाना चाहती है। प्रबंधन कमेटी ने दो एकड़ में यहां का संस्कृत विद्यालय की जमीन में वृक्ष लगाकर विद्यालय बंद करने की इच्छा जाहिर किया है।

जानकारी के अनुसार छात्र-छात्राओं का छात्रवृत्ति से लेकर पोशाक और साइकिल की राशि भी नही मिलती है। जिसके कारण बच्चे संस्कृत विद्यालय में नामांकन नही कराना चाहते हैं। वर्तमान में दस शिक्षक अभी भी हैं। परन्तु वह भी विद्यालय में आना कम कर दिए हैं। प्रबंधन कमेटी तबाही के कगार पर है।

प्रबंधन कमेटी के सचिव तपेश्वर सिंह ने बताया कि चालीस वर्षों में इस विद्यालय में कमेटी के 20 सदस्य एवं 15 शिक्षक स्वर्ग सिधार गए। संस्कृत भाषा को आमजन तक पहुंचाने के लिए विद्यालय की स्थापना सन् 1978 में हुई थी। वर्ष 2015 से वेतन भुगतान का आदेश दिया गया। उसके बाद भी बार-बार पदाधिकारी विद्यालय में त्रुटि निकालती रही। परन्तु त्रुटि का निवारण विद्यालय करता रहा। सारी कागजात पूरी करने के बाद भी अभी तक इस विद्यालय में शिक्षकों का भुगतान नही किया जा सका।

गिरजा देवी डब्ल्यूजेसीबी 2787/2017 को इस विद्यालय को जांच के लिए कमेटी गठन की गई। उसके बाद मगध रेंज से विभागीय जांच की गई। जांच का सभी रिपोर्ट सरकार और बोर्ड दे दी गई। उसके बाद भी विभाग द्वारा पुनः त्रुटि लगा दी गई। उसके बाद भी त्रुटि का निराकरण विद्यालय की ओर से कर दी गई। बोर्ड ने अपने स्तर से दस्तावेज जांच की जिसमें यह विद्यालय सही और सत्य पाया।

42 विद्यालयों का लिस्ट पहुंचा तो बोर्ड से सारी कागजात गायब होने की सूचना दी गई। इस संबंध में बोर्ड ने एक पत्र निर्गत कर जिला पदाधिकारी और शिक्षा पदाधिकारी को कहा कि विभागीय लापरवाही से कागजात गायब हो गई है। अतः भेजे गए लिस्ट के अनुसार फिर से उस कागजात को भेजा जाए।

सचिव ने बताया कि इस आदेश के अनुसार अब विभाग विद्यालय से पैसा वसूलने में लगी हुई है। पैसा नही देने पर उनका रिपोर्ट नही भेजे जाने की बात बताई जा रही है। उनका कहना है कि ऐसी परिस्थिति में सभी 42 विद्यालय का साक्ष्य सरकार के पास मौजूद है तो विभाग को कैसे कागजात नही मिल रहा है। सरकार को चाहिए कि जो सही विद्यालय है उसका पता लगाकर विद्यालय को भुगतना कर दे या फिर संस्कृत विद्यालय को बंद कर दे। अब तक जितने भी जांच हुए वह साक्ष्य विद्यालय के पास मौजूद है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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