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November 1, 2024 3:57 pm

लेखपालों की मनमानी से भूमाफियाओं के हौंसले बुलंद ; सरकारी नाले पर अवैध निर्माण जारी

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कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट 

लखनऊ। थाना बंथरा क्षेत्र के अंतर्गत सरकारी नाले को लेकर विवाद चल रहा था। सूत्रो के अनुसार उक्त प्रकरण में सबसे बड़ी भूमिका राजस्व विभाग के सम्बन्धित लेखपाल निभा रहे हैं।

गाँव वालो के कथनानुसार उक्त भूमि खसरा संख्या 131 ग्राम समाज की जगह होने के कारण ग्राम वासियों का कई वर्षों से गांव का पानी इसी नाले से निकलकर चला जाता रहा लेकिन कुछ विपक्षी रसूखदार लोगों ने अपनी प्रतिष्ठा बना ली और अधिकारियों से साठगांठ करते हुए थाना बंथरा पुलिस के बल पर भू माफियाओं द्वारा बाहर से गुंडे बुलवाकर गांव वालों को डरा धमका कर अवैध रूप से कब्जा करते हुए निर्माण करा रखा है। 

ग्राम वासियों के कथनानुसार मौके पर उप जिला अधिकारी सरोजिनी नगर के नेतृत्व में ग्राम वासियों ने लिखित तहरीर देकर अवगत कराया था। कई बार तहसील दिवस में पहुंच कर प्रार्थना पत्र भी दिए गए लेकिन वीडियो एवं सीडीओ से लेकर कानून गो लेखपाल तथा तहसीलदार सरोजिनी नगर मौके पर पहुंचकर मामले का निस्तारण किया गया था लेकिन उप जिला अधिकारी प्रफुल्ल त्रिपाठी सरोजिनी नगर का ट्रांसफर होने के पश्चात लेखपाल द्वारा षड्यंत्र के तहत ग्राम भटगांव मजरा बचान खेड़ा के रहने वाले प्रदीप संदीप यह कथनानुसार भू माफिया हर्ष यादव उर्फ अर्जुन रामकेश यादव रामनिवास यादव ने दबंगई के बल पर राजस्व विभाग लेखपाल एवं थाना बंथरा पुलिस से सांठगांठ करके अवैध निर्माण कार्य करा दिया गया। जबकि पूर्व में उप जिला अधिकारी के आदेश संसार लेखपाल कानूनगो एडीओ साहब तहसीलदार के नेतृत्व में आदेश पारित किया गया था, लेकिन उसके बावजूद हर्ष यादव उर्फ अर्जुन एवं उनके साथी राम मिलन यादव धीरेंद्र यादव के खिलाफ अपराधिक इतिहास थाना बंथरा में लंबित है तथा माननीय न्यायालय से गंभीर धाराओं में सजा काटकर जमानत पर बाहर हैं और अपनी दबंगई के कारण उनके साथी योगेंद्र यादव नंदन गोलू यादव के साथ मिलकर राजस्व विभाग के लेखपाल से मिलकर खसरा 131 पर अवैध निर्माण करा रखा है।

जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ता प्रदीप एवं संदीप को लगातार धमकी एवं जान से मारने की धमकी भी दी जा रही है जिसकी शिकायत पीड़ित के द्वारा उच्चाधिकारियों को लिखित रूप से की है । 

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."