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November 22, 2024 9:50 pm

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नाकामी पर वफादारी भारी ! नतीजे खराब रहने पर भी इन कांग्रेसियों को मिला सम्मान ; राहुल गांधी के दफ्तर में तोड़फोड़ वीडियो ? देखिए 

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जीशान मेंहदी की रिपोर्ट 

कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार (23 जून, 2022) को कार्य समिति (CWC) के लिए नए सदस्यों के नाम की घोषणा की, जिसमें कुमारी शैलजा और अभिषेक मनु सिंघवी मुख्य निकाय में हैं। वहीं, टी सुब्बारामी रेड्डी को एक स्थायी आमंत्रित सदस्य और अजय कुमार लल्लू को सीडब्ल्यूसी के लिए एक स्पेशल इनवाइटी सदस्य बनाया गया है। इन नए सदस्यों पर ध्यान दें तो हाल के दिनों में उनका प्रदर्शन काफी खराब रहा है, इसके बावजूद कांग्रेस पार्टी का यह फैसला बेहद चौंकाने वाला है। साफ नजर आ रहा है कि इन लोगों की समिति में एंट्री परफोर्मेंस के आधार पर नहीं बल्कि पार्टी नेतृत्व से वफादारी के कारण हुई है। आइए जानते हैं CWC में शामिल इन 4 नए सदस्यों के बारे में-

टी सुब्बारामी रेड्डी

साल 2002 से 2020 तक तीन बार राज्यसभा सांसद रहे टी सुब्बारामी रेड्डी, आंध्र प्रदेश के एक अनुभवी नेता हैं। वो कांग्रेस नेतृत्व के प्रति काफी वफादार हैं। साल 2009 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के 33 सांसद जीते थे। पार्टी ने 2004 और 2009 में लगातार विधानसभा चुनाव भी जीते।

2019 के पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 174 सीटों पर चुनाव लड़ा और सभी निर्वाचन क्षेत्रों में हार गई। लोकसभा चुनाव में भी यही स्थिति रही। सुब्बारामी प्रभावशाली रेड्डी समुदाय से भी ताल्लुक रखते हैं और आर्थिक रूप से संपन्न हैं। उनको चुनने की वजह पार्टी नेतृत्व के प्रति वफादारी ही मानी जा रही है।

हालांकि, पार्टी के इस फैसले से कई नेता हैरान हैं और उनका मानना है कि रेड्डी की वफादारी के कारण ही उन्हें सदस्यता मिली है। उनका कहना है कि अगर पार्टी रेड्डी समुदाय को संदेश देना चाहती थी, तो वो पूर्व मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी को चुन सकती थी। किरण कुमार रेड्डी ने आंध्र के विभाजन के विरोध में 2014 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया लेकिन, 4 साल बाद फिर वापसी की।

कुमारी शैलजा

पिछले दिनों हरियाणा कांग्रेस में काफी उथल-पुथल रही और कुमारी शैलजा को अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा। शैलजा पांच बार की सांसद रही हैं- चार बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा में। शैलजा पिछले महीने राज्यसभा के नामांकन की दौड़ में भी हार गई थीं और पार्टी नेतृत्व ने अजय माकन को मैदान में उतारा।

भूपिंदर हुड्डा और शैलजा के बीच पिछले दिनों कमान को लेकर काफी तनाव की स्थिति रही। कांग्रेस के एक वरिष्ठ का कहना है, “सीडब्ल्यूसी में शैलजा को शामिल करके हरियाणा पार्टी हरियाणा में समीकरणों को संतुलित करने की कोशिश कर रही है। हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा राज्यसभा सांसद हैं, इसलिए शैलजा को सीडब्ल्यूसी के सदस्य के रूप में समायोजित करना आवश्यक है।” कुमारी शैलजा के सोनिया गांधी से काफी अच्छे रिश्ते हैं।

अभिषेक मनु सिंघवी

अभिषेक मनु सिंघवी एक प्रमुख वकील हैं जिन्होंने कांग्रेस पार्टी के लिए कई कानूनी लड़ाईयां लड़ी हैं। वो काफी सालों से पार्टी के प्रभावी प्रवक्ता हैं। कानूनी मामलों में उनकी अच्छी समझ को लेकर माना जा रहा है कि उन्हें शामिल किया गया है। नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का सामना करना पड़ रहा है, सीडब्ल्यूसी में सिंघवी की एंट्री उन पर पार्टी की बढ़ती निर्भरता को दर्शाता है। इस मामले को भी सिंघवी ही देख रहे हैं।

इसके अलावा, 2016 का उत्तराखंड का मामला हो, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में राष्ट्रपति शासन को रद्द करने के पक्ष में फैसला सुनाया, या 2018 की कर्नाटक लड़ाई, जब शीर्ष अदालत ने आधी रात के आदेश में फ्लोर टेस्ट का आह्वान किया, इन सभी में उनकी भूमिका रही है।

अजय कुमार लल्लू

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल करने को वफादारी के पुरस्कार के रूप में देखा जा रहा है। वो एआईसीसी महासचिव यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा के करीबी हैं। दिलचस्प बात यह है कि वह उन चारों में से इकलौते ऐसे हैं जिनकी उम्र 50 साल से कम है। 42 वर्षीय अजय कुमार को इस साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव के बाद यूपी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख के पद से इस्तीफा देने के लिए कहा गया था।

उन्हें सीडब्ल्यूसी में शामिल करने पर एक नेता ने कहा, “क्या उन्हें यूपी में पार्टी की हार के लिए पुरस्कृत किया जा रहा है? मुझे नहीं पता कि हम क्या संदेश भेज रहे हैं। हम जवाबदेही तय करने के बजाय हार की अध्यक्षता करने वालों को पुरस्कृत कर रहे हैं। प्रियंका भी यूपी की प्रभारी बनी हुई हैं। एक बार जब आप सिस्टम में होते हैं और आप वफादार होते हैं … आपको पद मिलते रहेंगे, चाहे आप प्रदर्शन करें या नहीं।”

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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