नौशाद अली की रिपोर्ट
बलरामपुर। सड़क किनारे तड़पती पचपेड़वा के नेतहवा गांव निवासिनी साहिबा को महिला अस्पताल ही नहीं स्थानीय सामुदायिक केंद्र की कार्यशैली ने भी निराश किया है। वहां के अधीक्षक व एएनएम ने अतिकुपोषित गर्भवती के लिए कोई पहल नहीं की, जो स्थिति गंभीर होने का कारण बना।
यूं तो स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि प्रत्येक महिला की तीन माह का गर्भ रुकते ही आशा के जरिए देखभाल कराई जाती है। हर नौ व 24 तारीख को निकटतम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाकर चिकित्सीय परामर्श व पौष्टिक आहार दिए जाते हैं। पचपेड़वा में यह सब कागजों में चल रहा है। ईंट भट्ठे पर कार्य करने वाले इस दंपती के अति कुपोषित होने के बाद सीएचसी पचपेड़वा से चिकित्सा, जांच समेत अन्य सुविधाएं नहीं मिलीं। हालत गंभीर होने के बाद उसे महिला अस्पताल लाया। यहां रेफर होने के बाद उसके पास न तो इलाज कराने के रुपये थे और न ही बहराइच जाने का किराया। सड़क किनारे जमीन पर तड़पती गर्भवती को देख निजी वाहन चालकों ने मीडिया कर्मियों को सूचना दी। इस पर सबसे पहले महिला अस्पताल फिर पचपेड़वा सीएचसी की कार्यशैली संदिग्ध हो गई। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. सुशील कुमार का कहना है कि सीएमएस डा.विनीता राय से पूरे मामले की जानकारी मांगी है। गर्भवती को एंबुलेंस न मिलने की जांच भी शुरू कर दी गई है।
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."