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12 January 2025 4:14 am

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मदरसे में बच्चों के साथ ऐसा हैवानियत भरा सलूक कि सुनकर कलेजा मुंह को आ जाए

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

लखनऊ,  गोसाईगंज के शिलवर में स्थित मदरसे में छात्रों को जरा-जरा सी बात पर मौलवी (शिक्षक) जंजीर बांधकर पीटते हैं। छोटी सी गलती होने पर हाथ-पैर में बेड़ियां डालकर ताला जड़ दिया जाता है। लाठियों से बुरी तरह पीटा जाता है। शिक्षक धमकाते हैं गाली-गलौज करते हैं। मदरसे की दहशत भरी दास्तां छात्र शहवाज और राजू ने सीडब्ल्यूसी (बाल कल्याण समिति) के अध्यक्ष रविंदर सिंह जादौन को बताई। इसके बाद बच्चे फूट-फूटकर रोने लगे और उन्होंने मदरसे में जाने से इनकार कर दिया।

मदरसे के शिक्षकों की क्रूरता भरी कहानी सुनकर आस पास खड़े लोग भी थर्रा उठे। बच्चों के बयानों का संज्ञान लेते हुए मदरसे के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए किशोर न्याय बोर्ड को पत्र लिखा गया है। मामले में कार्रवाई अब किशोर न्याय बोर्ड ही करेगा। अध्यक्ष रविंदर सिंह जादौन ने बताया कि बच्चों को अब उनके माता-पिता के सिपुर्द कर दिया गया है। सोमवार को माता-पिता के साथ आकर फिर से बयान दर्ज कराने के लिए कहा गया है।

पुलिस ने की मामला दबाने की कोशिश सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष ने बताया कि शनिवार को वह बैठक में थे। वहां उन्‍हें मामले की जानकारी हुई। उन्होंने स्वत: संज्ञान लेकर गोसाईगंज पुलिस से बात की और पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी। इसके बाद थाने से एक दारोगा और दो सिपाही, छात्र राजू और शहवाज को लेकर बाल कल्याण समिति पहुंचे। जहां उनके बयान दर्ज किए गए।

वहीं, मामले में एडीसीपी दक्षिणी राजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि बच्चे अकसर घर भाग जाते थे। इस लिए माता पिता ने उन्हें बांधकर रखने के लिए कहा था। यह बात उन्होंने लिखित में भी दी है। वह कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं। मामले की रिपोर्ट सीडब्ल्यूसी और जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को भेज दी गई है।

शुक्रवार दोपहर भी शहवाज और राजू दीवार फांदकर भागे थे। शहवाज के पैर जंजीर से बंधे थे और ताला जड़ा था। इस बीच रास्ते में कुछ लोगों ने रास्ते में रोककर मोबाइल में वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया पर वायरल कर दिया था। जिसके बाद पुलिस दोनों छात्रों को थाने ले गई थी। जहां पूछताछ के बाद उनके घरवालों को बुलाया गया। घरवालों ने मदरसे पर किसी कार्रवाई से इनकार किया था।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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