चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
करनैलगंज गोण्डा। पहाड़ापुर की बहुचर्चित भूमि प्रकरण का मामला तूल पकड़ते जा रहा है। सैकड़ो शिकायती पत्र देने के बाद भी सरकारी भूमि पर हुए अवैध निर्माण पर बाबा का बुलडोजर नही चलाया गया है। जिससे प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यवाही पर सवालिया निशान लग रहा है।
मामला ग्राम पंचायत पहाड़ापुर का है जहां अपात्रों को आवासीय पट्टा आवंटित कर उस पर निर्माण कार्य कराया गया है। रविंदर कुमार ने आयुक्त देवीपाटन मंडल को शिकायती पत्र देकर आरोप लगाया है कि ग्रामीणों की शिकायत के आधार पर 1088/आ0लि0 आवंटन की जांच 13 दिसंबर 2016 को राजस्व निरीक्षक दुबहा बाजार व स्वयं तत्कालीन उपजिलाधिकारी द्वारा भूमि की भौतिक स्थित व रिक्तता व पात्रता की जांच की गई। जिसमे सभी लाभार्थियों का नाम अपात्र पाया गया। कुछ राजस्व कर्मियों की सांठ गांठ से पत्रावली व जांच रिपोर्ट गायब करा दी गई। उसके बाद मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। उपजिलाधिकारी के स्थानांतरण के बाद मामले को हवा देकर गर्म किया गया और नए उपजिलाधिकारी को गुमराह करते हुए गांव सभा की भूमि को हड़पने के उद्देश्य से गायब हुई पत्रावली को पुनः स्वीकृति करा ली गई।
आरोप लगाते हुए कहा कि अनिल कुमार व संतोष कुमार पुत्र द्वारिका ये लोग अपने आदमियों को पंचायत चुनाव लड़ाकर स्वयं प्रधानी का कार्यभार संभाल रहे थे। आवासीय पट्टा आवंटन में उपरोक्त लोगों द्वारा अपने व अपने मातहतों के नाम आवासीय पट्टा प्राप्त कर लिया गया। अपने मातहतों को पट्टा दिलाकर वर्तमान ग्राम प्रधान द्वारा उसका बैनामा करा लिया गया जो नियम के विरुद्ध है। जबकि आवासीय पट्टा आवंटन के दिनाँक से 10 वर्ष अवधि के भीतर अन्तरण करने का कोई अधिकार नही है। गाटा संख्या 969 में संतोष कुमार पुत्र द्वारिका को आवासीय पट्टा आवंटन किया गया है जबकि उसी भूमि में 20 वर्षो से अनसूचित वर्ग के लोगों का मकान व उनका निकास पठार है और गांव पंचायत में सुचारू रूप से चकबंदी प्रक्रिया प्रभावी होने के बावजूद बिना अभिलेख के भौतिक स्थित पात्रता आदि को दरकिनार कर पट्टे का आवंटन किया गया है। गाटा संख्या 927 बंजर भूमि में वर्तमान ग्राम प्रधान द्वारा बिना पैमाइश व उपजिलाधिकारी के रोकने के बावजूद चारो तरफ पक्की दीवार का निर्माण कर लिया है जिससे पूर्व माध्यमिक विद्यालय के कमरों की खिड़कियां बंद हो गई हैं तथा बच्चों को पर्यावरण की दृष्टि से खुली हवा व पर्याप्त प्रकाश आदि से वंचित रहना पड़ रहा है जो बच्चों के सुखाधिकार का उलंघन है।
बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि पट्टा प्रस्ताव दिनाँक 4/8/2016 व स्वीकृति दिनाँक 18/10/2018 तथा पट्टा रजिस्टर पर अंकना तीन वर्ष बाद यानी 1/11/2021 को की गई। इतने दिन तक फ़ाइल क्यों लंबित थी और किसके पास थी यह तो जांच का विषय है। कहा कि जिन लोगों को आवासीय पट्टा आवंटन हुआ है वह सभी लाभार्थी अपात्र हैं, केवल वर्तमान प्रधान, प्रधान पति व प्रधान देवर तथा पूर्व प्रधान द्वारा सरकारी संपत्ति हड़पने के उद्देश्य से आवासीय पट्टा का आवंटन कराया गया है।
शिकायतकर्ता ने उपरोक्त सभी बिंदुओ जी जांच किसी राजपत्रित अधिकारी से कराए जाने की मांग की है।
Author: samachar
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