Explore

Search
Close this search box.

Search

19 January 2025 10:28 am

लेटेस्ट न्यूज़

पत्रकारों को निशाना बनाने के बाद अब जांच अधिकारी को बनाया जा रहा निशाना, कभी भी कराई जा सकती है बड़ी घटना

59 पाठकों ने अब तक पढा

– ग्राम पंचायतों के विकास से ज्यादा अपने विकास पर ध्यान देते सचिव, कार्यवाही के डर से जांच अधिकारी को दे रहे धमकी

– सचिव के साथ हुए मारपीट के मामले में कर रहे धरना प्रदर्शन, जांच अधिकारी को धमकी देने वाले सचिव के खिलाफ क्या कार्यवाही करेंगे महोदय

संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

चित्रकूट- ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों में हो रही धांधली की खबरें प्रकाशित करना पत्रकारों के आफ़त बनता चला जा रहा है जहां पर अपना भ्रष्टाचार छिपाने के लिए प्रधान व सचिव किस हद तक गिर सकते हैं कोई अंदाजा नहीं लगा सकता है पत्रकारों को निशाना बनाकर ग्राम प्रधान व सचिवों द्वारा फर्जी मुक़दमे लगवाना व दुर्घटनाएं करवाना आम बात हो गई है जिसका जीता जागता उदाहरण है पत्रकार संजय सिंह राणा का दुर्घटना ग्रस्त होना जिसका दबंग सचिव व ठेकेदारों ने साजिश के तहत एक्सीडेंट कराया था जिसका इलाज़ लगभग नौ महीने से अभी भी चल रहा है वहीं दूसरी ओर पत्रकारों को निशाना बनाने के बाद दबंग सचिव अपने ऊपर होने वाली कार्यवाही के डर से जांच अधिकारी को धमका रहा है l

*मामला है मऊ ब्लाक में तैनात रहे ग्राम विकास अधिकारी सतीश पांडेय का l

मऊ ब्लाक के ग्राम पंचायत सेसा सुबकरा सहित अन्य कई ग्राम पंचायतों का कार्यभार संभालने वाले ग्राम विकास अधिकारी सतीश पांडेय ने ग्राम पंचायत सेसा सुबकरा में मनरेगा योजना/राज्य, चौदहवें वित्त आयोग की धनराशि से कराए गए कार्यों में घोर अनियमितताएं बरती गई थी जिसकी शिकायत समाजसेवी दिलीप कुमार मिश्रा द्वारा शासन प्रशासन सहित जिले के उच्चाधिकारियों से की गई थी l

जिसमें जिला प्रशासन ने मामले को संज्ञान में लेते हुए विकास कार्यों की जांच कमेटी बनाकर जांच कराई जिसकी जांच में महेश कुमार गुप्ता सहायक अभियंता (जिला ग्राम्य विकास अभिकरण) भी शामिल थे जिनके द्वारा की गई जांच में लगभग 46 लाख रुपए धन के दुरुपयोग का मामला सामने आया था जिसमें लगभग तेरह लोगों को आरोपी बनाया गया था व मऊ थाने में गबन का मुकदमा दर्ज हुआ था l

वहीं दूसरी ओर ग्राम पंचायत सेसा सुबकरा व ग्राम पंचायत ओबरी में पंचायत भवन के नव निर्माण में घोर धांधली की गई थी जिसमें ग्राम विकास अधिकारी सतीश पांडेय को जांच में दोषी पाया गया था जिसकी कार्यवाही अभी भी लंबित है जांच में दोषी पाए जाने वाले गबन के आरोपी ग्राम विकास अधिकारी सतीश पांडेय द्वारा जांच अधिकारी महेश कुमार गुप्ता सहायक अभियंता (जिला ग्राम्य विकास अभिकरण) को सोशल मीडिया के व्हाट्स ऐप एकाउंट पर मैसेज करके व मोबाइल में फोन करके धमकाने का मामला सामने आया है जिसको लेकर जांच अधिकारी ने जिले के उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर दबंग ग्राम विकास अधिकारी सतीश पांडेय के ऊपर कार्यवाही की मांग की है व अपने व अपने परिवार की सुरक्षा की गुहार लगाई है l

ग्राम विकास अधिकारी सतीश पांडेय द्वारा मऊ ब्लाक की ग्राम पंचायतों में तैनात हुए विकास कार्यों के नाम पर जमकर फर्जीवाड़ा करते हुए सरकारी धन का मनमाने तरीके से बंदरबाट किया गया था जिसमें कई मामलों में दोषी भी पाया गया था जिसपर कार्यवाही अभी भी लंबित है लेकिन कार्यवाही होने के डर से ग्राम विकास अधिकारी द्वारा जांच अधिकारी को धमकाया जा रहा है l

ग्राम पंचायतों के विकास से ज्यादा अपने विकास पर ज्यादा ध्यान देकर कार्य करने वाले सचिवों द्वारा सरकारी धन का मनमाने तरीके से बंदरबाट करते हुए करोड़ों की संपत्ति के मालिक बन बैठे हैं जो अकूत पैसा व रसूख के बल पर अपने ऊपर होने वाली कार्यवाही से बचने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं जिनके द्वारा अपने भ्रष्टाचार को छिपाने व कार्यवाही के डर से कभी पत्रकारों को निशाना बनाने का काम कर रहे हैं तो कभी जांच अधिकारी को धमका रहे हैं l

पहाड़ी ब्लाक में तैनात सचिव घनश्याम दास शुक्ला के साथ हुए मारपीट मामले में सचिवों द्वारा कार्य बहिष्कार करते हुए विकास भवन परिसर में धरना प्रदर्शन किया जा रहा है व आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की जा रही है लेकिन ग्राम विकास अधिकारी सतीश पांडेय द्वारा महेश कुमार गुप्ता सहायक अभियंता (जिला ग्राम्य विकास अभिकरण) को धमकाने वाले मामले में धरना प्रदर्शन करने वाले सचिव व उनके जिलाध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारी क्या कार्यवाही करवाने का काम करते हैं यह एक बड़ा सवाल है l

ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों में सरकारी धन का मनमाने तरीके से बंदरबाट करने वाले व धरना प्रदर्शन के बल पर जिम्मेदार अधिकारियों पर दबाव बनाने वाले सचिवों की संपत्तियों की जांच कराई जाय तो बड़े भ्रष्टाचार के मामले सामने आ जाएं लेकिन इन सचिवों के खिलाफ जब कोई आवाज उठाता है तो उन शिकायत कर्ताओं को या तो फर्जी मुकदमों व जेल की हवा खानी पड़ती है या फिर किसी बड़ी दुर्घटना का शिकार होना पड़ता है l

जबकि सबसे बड़ी हकीकत यह है कि धरना प्रदर्शन की अगुवाई करने वाले व सचिव संघ के जिलाध्यक्ष अम्बरीष त्रिपाठी भी गबन के आरोपी है जिनके ऊपर गबन का मुकदमा दर्ज है व उसपर अभी भी कार्यवाही लंबित है व अभी भी रामनगर ब्लाक के तैनाती ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार की नई इबारत लिखने का काम कर रहे हैं अगर इन सचिवों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की जांच किसी स्वतंत्र शाखा से कराई जाय तो ज्यादातर सचिव जेल की सलाखों के पीछे नजर आयेंगे व गबन के आरोपी मुखिया बनकर कभी जिम्मेदार अधिकारियों पर दबाव नहीं बना पायेंगे l

मुख्यमंत्री योगी जी द्वारा भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कसने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर दबंग/गबन के आरोपी सचिवों द्वारा कभी पत्रकारों को तो कभी जांच अधिकारी को मारने का प्रयास व धमकाने का काम किया जा रहा है जिससे सचिव अपने द्वारा किए गए भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने में कामयाब हो सकें l

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़