नौशाद अली की रिपोर्ट
गोंडा। जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मुजेहना में शाम को लगभग 6:00 बजे एक महिला के सीने में दर्द हो रहा था जब उसके पति उसे लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मुजेहना पहुंचे तो पता लगा कि सीएससी अधीक्षक डॉ विवेक मिश्रा साहब अभी सोने में बिजी हैं। जब मरीज ने जाकर के डॉक्टर साहब को आवाज दिया तो अंदर से आवाज आई कि डिस्टर्ब मत करो, फिर वहां की जो लेडीस नर्स स्टाफ थी उनसे बात हुई तो उन्होंने कहा कि इसके बारे में हमें जानकारी नहीं है हम सिर्फ डिलीवरी करवाते हैं और इससे ज्यादा जानकारी हमें नहीं है। यह दवा डॉक्टर साहब ही बताएंगे। लेकिन डॉक्टर साहब की नींद खुल नहीं रही थी डॉक्टर साहब सोने में बिजी थे।
जहां एक तरफ उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक जी लगातार डॉक्टरों पर और सीएमओ पर एक्शन ले रहे हैं वहीं दूसरी तरफ डॉ विवेक मिश्रा किसी की सुनने को तैयार नहीं है।
यह कहानी सिर्फ 1 दिन की नहीं है, इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रतिदिन यही हाल है। जो लोग आते हैं वो दर दर भटकते हैं और लास्ट में निराश हो कर चले जाते हैं। क्योंकि यहां के डॉक्टर साहब किसी की सुनते नहीं है।
अब गरीबों के ऊपर इस तरीके से अत्याचार हो रहा है कि उन्हें अब सरकारी अस्पताल समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के नाम से डर लगता है क्योंकि उन्हें पता है कि हम जाएंगे तो डॉक्टर साहब हमें डांट कर वहां से भगा देंगे और हमारा इलाज नहीं होगा लेकिन डॉ विवेक मिश्रा के अलावा जो भी स्टाफ रहेते हैं वो सही है लेकिन सीएससी अधीक्षक डॉ विवेक मिश्रा अब सिर्फ ऐसो आराम की जिंदगी जीते हैं ना कि लोगों का इलाज करते हैं । डॉ विवेक मिश्रा का रवैया आज का नहीं है बल्कि कई सालों से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मुजेहना पर यही चल रहा है।
इस चीज की जानकारी जब इस प्रतिनिधि को मिली तो उन्होंने विवेक मिश्रा से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन कोशिश नाकाम रही। डॉ विवेक मिश्रा ने पत्रकार से पूछा आप किस न्यूज़ से हैं पत्रकार ने अपना परिचय दिया और बताया तो उन्होंने कहा कि हम तो नहीं जानते हैं साथ ही उन्होंने पत्रकार के साथ फोन पर ही अभद्रता की और फिर फोन काट कर नंबर को ब्लैक लिस्ट में कर दिया। पीड़ित मरीज ने कहा है कि हम मामले में हम गोण्डा CMO से भी शिकायत करेंगे साथ ही हम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से भी शिकायत करेगें ।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."