नयना और रश्मि प्रभा की रिपोर्ट
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ भगवान के रक्षक के रूप में पूजे जाने वाले भैरवनाथ के कपाट शनिवार को भक्तों के लिए खोले जाएंगे। परंपरा के अनुसार भैरवनाथ के कपाट खुलने के बाद ही केदारनाथ धाम में नित्य पूजाएं शुरू होंगी। केदारनाथ मंदिर से पांच सौ मीटर की दूरी पर पहाड़ी में भगवान भैरवनाथ का मंदिर स्थित है।
शुक्रवार को केदारनाथ मंदिर के कपाट भले ही खुल गए हैं। लेकिन अभी मंदिर में सांय कालीन आरती व नित्य पूजाएं नहीं होंगी। परंपरा के अनुसार भैरवनाथ के कपाट खुलने के बाद ही केदारनाथ मंदिर में नित्य पूजाएं व भोग लगाया जाता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।
केदारनाथ के कपाट खुलने के पश्चात पहले आने वाले मंगलवार व शनिवार को ही भैरवनाथ के कपाट खोलने की परंपरा है। केदारनाथ में भैरवनाथ को भगवान केदार के रक्षक के रूप में माने जाते हैं।
भैरवनाथ मंदिर के पुजारी अरविंद शुक्ला ने बताया कि सात मई यानी शनिवार को पौराणिक रीति-रिवाज एवं विधि विधान के साथ भैरवनाथ मंदिर के कपाट खोले जाएंगे। इसके बाद ही केदारनाथ मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना एवं भोग लगाया जाएगा।
शुक्रवार को केदारनाथ मंदिर में भक्त मात्र दर्शन कर सकेंगे, लेकिन पुरानी परंपराओं के अनुसार मंदिर में नित्य होने वाली पूजाएं एवं आरती नहीं होगी। भैरवनाथ मंदिर के कपाट खुलने के बाद शनिवार रात्रि से केदारनाथ मंदिर में शाम की आरती शुरू होगी।
पहले दिन 23,512 श्रद्धालुओं ने किए बाबा केदार के दर्शन
केदारनाथ यात्रा शुरू होने के पहले ही दिन ही धाम में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह कपाटोद्घाटन के मौके पर धाम में दस हजार से अधिक श्रद्धालु मौजूद थे। वहीं, दिनभर यात्रियों के गौरीकुंड से केदारनाथ पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। यही वजह है कि शाम तक दर्शन करने वालों की संख्या 23,512 पहुंच गई।
बीते दो वर्षों में कोरोना संक्रमण के चलते केदारनाथ यात्रा व्यवस्थित रूप से संचालित नहीं हो पाई। कोरोना संक्रमण बढ़ जाने के कारण धाम के कपाट तय तिथि पर खोले जाने के बावजूद यात्रा प्रतिबंधित कर दी गई। संक्रमण कम होने पर दर्शनों की अनुमति तो दी गई, लेकिन शर्तों के साथ।
नतीजा, सीमित संख्या में ही श्रद्धालु केदारनाथ पहुंच पाए। इस बार कोरोना के साये से निकलने के बाद यात्रा व्यवस्थित ढंग से संचालित हो रही है। यही वजह है कि पहले दिन ही दर्शनार्थियों की संख्या 20 हजार का आंकड़ा पार कर गई। स्थिति यह हो गई कि धाम में पैर रखने तक को जगह नजर नहीं आ रही थी।
पहले दिन महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडू, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा समेत विभिन्न राज्यों से यात्री बाबा के दर्शनों को पहुंचे। पहले दिन ही दर्शनों को पहुंचे। अहमदाबाद (गुजरात) से केशुभाई परिवार के चार सदस्यों के साथ केदारनाथ पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि केदारनाथ आने का कार्यक्रम बीते दो वर्षों से बना रहे थे, लेकिन कोरोना राह अवरुद्ध कर दे रहा था। इस बार यात्रा मौका मिलने से पूरा परिवार काफी खुश है।
वर्ष 2014 में 40832 यात्रियों ने दर्शन किए। जबकि, वर्ष 2015 में 1,54,430, वर्ष 2016 में 3,95,033 व वर्ष 2017 में 4,71,235 यात्री केदारनाथ पहुंचे। वर्ष 2018 यात्रा के लिए खास रहा। इस वर्ष 7,32,241 यात्रियों ने बाबा के दर्शन किए। यह स्वयं में एक उपलब्धि थी, लेकिन वर्ष 2019 की यात्रा ने तो पिछले सारे रिकार्ड तोड़ दिए। इस वर्ष दस लाख 39 यात्री केदारनाथ धाम पहुंचे। इसके बाद कोरोना संक्रमण के चलते बीते दो यात्रा महज औपचारिक रही।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."