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November 2, 2024 6:55 pm

सच्चाई छन के बाहर निकली, खुशी में झूम रहे पत्रकार

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जगदीश सिंह की खास रिपोर्ट

आज बागी बलिया की गलियां गुलजार है। हर तरफ जश्न का माहौल है। मगर अब जंग आर पार की होगी इसका पूरा आसार हैं? जिन अधिकारीयों ने सच लिखने पर अपराधियो जैसा सलूक किया’ और खून के आंसू रोते रहे कलमकार उनकी अब खैर नहीं?

लोकतांत्रिक तरीके से ईंट का ज़बाब‌ पत्थर दिया जायेगा! मन बना लिया है समाज का सजग प्रहरी पत्रकार !कलम को बदनाम करने की सारी कोशिशें भ्रष्टाचार की इबारत लिखने वाले अधिकारियों ने किया है।

जब सच्चाई की सतह पर फतह हासिल कर जेल से बाहर निकले पत्रकारों की सड़कों पर पब्लिक की उमड़ी भीड़ ने जिस तरह से हौसला अफजाई किया उसको देखकर नौकर शाह शर्मिन्दा है।

बलिया में पत्रकारो के साथ हुई घटना की गूंज दिल्ली तक सुनाई दी। गांव गांव शहर शहर कस्बा बाजार में गजब की एकता का परिचय देते हुते सरस्वती पुत्रों ने अपने हक की रहनुमाई की। आन्दोलन सम्मेलन अधिवेशन के साथ ही धरना प्रदर्शन का क्रम एक दिन भी नहीं रुका। लाख कोशिश किया शासन प्रशासन पत्रकार नहीं झुका। आजाद भारत के इतिहास में पत्रकार समाज का यह पहला आन्दोलन है जिसकी धमक बलिया से दिल्ली तक चमक पैदा कर दिया। पत्रकार समाज को जगा दिया। वर्ना मनमानी अफसर शाह करते रहे पत्रकार सिसकते रहे।

दर्द जब हद से गुजरता है तब दवा बन जाता है पत्रकार संगठन जब जब उफान पर आते हैं तब तब भ्रष्टाचारियों की हवा निकल जाती है। आज हालात तमाम सवालात के साथ चिल्ला चिल्ला कर पूछ रहे हैं आखिर पत्रकारों का गुनाह क्या था? यही न कि समाज में बढ़ रहे अपराध पर प्रभावी कार्यवाही की इबारत लिखकर सरकार को आगाह कर दिया!अफसरशाह हिटलरशाही अंदाज में समाज के प्रदूषण को रोकने के लिये तत्पर‌‌ निडर‌‌ निर्भीक कलमकारों को जेल में डाल दिया। शायद भूल गये कि न रुकेंगे, न झुकेंगे, हम वो इन्कलाब है, के सूत्रों को समाहित कर सतत संघर्षों की श्रृंखला का इतिहास बनाता निस्वार्थ समाज सेवा के लिये संकल्पित कलम का सिपाही तबाही से दो दो हाथ करता निरन्तर सच की सतह पर अपने वजूद को प्रभावी करता रहा है।

इतिहास गवाह‌ है सरस्वती पुत्रों से नौकरशाह तथा लक्ष्मी पुत्र जब जब टकराये हैं उनका इतिहास भूगोल दोनों बदल गया है। बलिया के पत्रकार आन्दोलन ने पत्रकार समाज को जागृत कर दिया है। बगावत की बहती हवा अब सुनामी बनती जा रही है। बेगुनाह अथाह पीड़ा का सम्वरण करता पीड़़ित पत्रकारों के परिवार का कसूर क्या था योगी जी? जिन पत्रकारों को भ्रष्टाचार उजागर करने पर सम्मान मिलना चाहिए था नौकरशाहों के झूठ‌ को सच स्वीकार कर जेल भेज दिया। कलम को बदनाम करने‌‌ का खेल कर दिया। आज हर तरफ शोर है बलिया एस पी, बलिया डीयम चोर है।फिर भी क्यो चुप है सरकार? सच की सजा भुगत गये पत्रकार। अपने को ये भ्रष्ट नौकरशाह जनता का नौकर नहीं शहंशाह समझते हैं। इनकी जन्म कुंडली में साढ़े साती प्रवेश कर चुका है। बर्बादी की इबारत हर रोज तहरीर होगी। आज नहीं तो कल बहुत याद आयेगी शहर बलिया। एक दिन जार जार रोयेगी तकदीर तेरी छलिया। बलिया की बागी धरती से निकली बगावत की चिंगारी पत्रकार समाज के लिये जहां रौशनी का काम करेगी वहीं इसकी चपेट में आकर तुम्हारी औकात राख हो जायेगी नौकरशाहों। बिगडते हालात मे योगी सरकार को बदनाम करने में लगे कुछ नौकर शाह खामख्वाह तिल का ताड़ बनाकर नौकरशाही का रूतबा दिखाकर संगठित ‌गिरोह की तरह काम कर रहे हैं।उनको पता है पत्रकारों का उत्पीडन जितना ज्यादा होगा विपक्ष को उतना ही फायदा होगा। समय रहते योगी सरकार ऐसे नौकरशाहों पर लगाम नहीं कसी तो आने वाले कल में यही नौकरशाह सरकार के लिये घातक साबित होंगे। इसी का उदाहरण है बलिया का पत्रकार प्रकरण। खैर वक्त ने पत्रकार समाज के रक्त में गर्मी पैदा कर दिया है।

जगदीश सिंह
samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."