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23 February 2025 9:30 pm

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कविता ; मीठे किस्से रूठ गये

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प्रमोद दीक्षित मलय

महुआ कैथा जामुन से रिश्ते टूट गये।
नानी-दादी के मीठे किस्से रूठ गये।
भूल गये अमराई में सावन के झूले,
अपनी सोंधी माटी के हिस्से छूट गये।।

समता ममता की मधुरिम बातें भूल गये।
नील गगन स्वच्छ चांदनी रातें भूल गये
शहर समझता केवल धन की भाषा बोली,
निर्मल मन के प्रिय रिश्ते-नाते भूल गये।।

पगडंडी का अपनापन राजमार्ग में नहीं मिला।
शहर स्वार्थी में बस मन-देह का अंग छिला।
प्रीति धूप, सरस जल, मलय पवन मधु खाद बिन,
सुरभित नेह का सुमन गमलों में नहीं खिला।
•••

शिक्षक, बांदा (उ.प्र.)
samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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