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29 December 2024 4:59 am

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यहां लगता है “भूतों” का मेला नाम है “भूतना मेला” ; कथित आत्माओं का होता है “खेला” : वीडियो देखिए

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विरेन्द्र कुमार खत्री की रिपोर्ट

हसपुरा/औरंगाबाद। औरंगाबाद जिले के हसपुरा प्रखंड अंतर्गत अमझर शरीफ में छोटकी दरगाह पर चैती नवरात्र के समय सप्तमी से नवमी तक लगने वाला भूतना मेला रविवार को सपंन्न हो गया। आस-पास के इलाकों में भूतना मेले के नाम से यह मेला काफी प्रसिद्ध है जहां जहानाबाद, अरवल, रोहतास, बक्सर, औरंगाबाद, गया आदि जिले के गांवों से लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ पड़ती है।

कोरोना महामारी के दौरान वर्ष 2020-21 में इस मेले पर प्रशासन ने रोक लगा दी थी। वैसे तो वर्ष में दो बार यह मेला लगता है। एक दशहरे के समय जहां एकम से नवमी तक भीड़ उमड़ी रहती है दूसरा चैत्र माह के सप्तमी से नवमी में भी काफी संख्या में भीड़ पहुंचती है।

 

क्या है भूतना मेले की खासियत

अंधविश्वास एवं अशिक्षा इस जमाने में किस तरह से लोगों पर हावी है। इसकी झलक इस भूतना मेले में नजर आती है। इस मेले में अंधविश्वास के चलते ग्रामीण अपने बीमार परिजनों को चिकित्सा विज्ञान की सारी उपलब्धियों को नकारते हुए ओझा की करतूतों के समक्ष घुटने टिका देते है।

इस मेले की विशेषता यह भी है कि यहां लोग भूत भगाने के लिए ही नही बल्कि कई वर्षों से जिन्हें संतान नही हुआ है वो भी मन्नत मांगते और मन्नत पूरी होने पर हर वर्ष चढ़ावा चढ़ाने आते है।

इस मेले में भूतप्रेत खेलती महिलाएं तथा उनको ढोलक-झाल बजाकर झुमाते ओझा ही इस मेले का मुख्य आकर्षण है। कई रोगों से ग्रसित महिलाएं जिनके परिचित ओझा यह विश्वास दिलाने में सक्षम हो जाते हैं कि वे रोग नही बल्कि किसी दुष्ट आत्मा की प्रताड़ना से पीड़ित है।

सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि आत्माओं से पीड़ित अधिकांश औरतें ही यहां आती है। पूरे मेले में कही इक्के-दुक्के पीड़ित मर्द ही दिखाई पड़ते है।

इस मेले में कम पढ़े-लिखे लोगों के साथ-साथ शिक्षित लोग भी पहुंचकर विभिन्न बाधाओं से मुक्ति का एकमात्र उपाय आज भी झाड़-फूंक को ही मान रहे हैं जिससे ओझाओं की भरपूर कमाई इस मेले से हो जाती है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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