संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट- परिवहन सम्बंधी कार्यों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए प्रत्येक जिले में सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी की नियुक्ति की गई है जिससे वह मोटर वाहन अधिनियम के विभिन्न प्राविधानों को लागू कर कार्य कर सकें l
वहीं दूसरी ओर चित्रकूट जिले का सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय दलालों का अड्डा बना हुआ है जहां पर लाइसेंस बनाने व फिटनेस सहित अन्य कार्यों में दलालों द्वारा मनमाने तरीके से वसूली की जा रही है l
सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी व कार्यालय में तैनात प्रधान सहायक, वरिष्ठ सहायक, कनिष्ठ सहायक व सहायक लेखाकार की मिलीभगत से दलालों द्वारा आम जनता को लूटने का काम किया जाता है जिसमें लाइसेंस बनाने के नाम पर लगभग पांच से छह हजार रुपए की वसूली की जाती है कार्यालय में लाइसेंस बनाने के नाम का वसूली चार्ट बना हुआ है जिसमें लर्निंग लाइसेंस की सरकारी फीस 350 रूपए व लाइट लाइसेंस की सरकारी फीस 01 हज़ार रुपए ली जाती है वहीं पेपर न देने के नाम पर दो से तीन हजार रूपए की अवैध वसूली की जाती है वहीं गाड़ी न चलाने के नाम पर एक हजार रूपए से पंद्रह सौ रुपए तक की अवैध वसूली की जाती है सूत्रो के अनुसार यह अवैध वसूली कार्यालय में तैनात प्राईवेट कर्मचारी द्वारा की जाती है वहीं कार्यालय में अन्य कई दलाल हैं जो आम जनता को मनमाने तरीके से लूटने का काम कर रहे हैं वहीं कार्यालय के जिम्मेदार बाबू इन दलालों से मिलीभगत कर मनमाने तरीके से वसूली करवाते हैं व अपनी जेबें भरने का काम करते हैं वहीं सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी भी सब कुछ जानते हुए अनजान बन कर अवैध वसूली में सहयोग करते हैं इसी अवैध कमाई के चलते एक बाबू स्थानान्तरण होने के बाद भी कार्यालय में जमा हुआ है जबकि इस बाबू का स्थानांतरण लगभग तीन माह पूर्व हो चुका है l
सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के स्पष्ट निर्देश है कि अगर वाहन कि स्थिति ठीक नहीं है तो उसकी फिटनेस नहीं की जाएगी लेकिन अगर वाहन के पंजीयन की वैधता है तो उसका पहले बारीकी से निरीक्षण किया जाए फिर उसमे जो कमी दिखे उसे पूरा करवाने के बाद ही उसका फिटनेस प्रमाण पत्र जारी किया जाए बावजूद इसके सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय मे मंत्रालय के आदेश को दरकिनार कर आरआई अपनी मनमर्जी से कामर्शियल वाहनों की फिटनेस कर रहे है जिससे कहीं न कहीं परिवहन मंत्रालय का आदेश हवा हवाई साबित होता नजर आ रहा है l
सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय चित्रकूट में इस समय कामर्शियल वाहनों की फिटनेस करने मे एक अनोखा खेल देखने को मिल रहा है। जहां आर.आई. की मनमर्जी के आगे परिवहन मंत्रालय का आदेश बौना साबित होता दिख रहा है। कामर्शियल वाहनों की फिटनेस मे न ही वाहनो का निरीक्षण किया जा रहा है और न ही संबन्धित लिपिक की रिपोर्ट लगवाने के लिए तवज्जो दी जा रही है l कामर्शियल वाहनों की फिटनेस मे परिवहन मंत्रालय के साफ निर्देश है कि चेचिस नंबर लेने एवं वाहन का बारीकी से निरीक्षण करने के बाद ही उसे फिटनेस प्रमाण पत्र जारी किया जाए बावजूद इसके बंद कमरे मे बैठकर ही वाहनो का निरीक्षण से लेकर पूरी प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
*बगैर परावर्ती टेप रिप्रेक्टर लगवाए की जा रही फिटनेस*
परिवहन मंत्रालय के स्पष्ट आदेश है कि कामर्शियल वाहनो की फिटनेस से पहले परावर्ती टेप रिप्रेक्टर अवश्य लगवाए जाएं जिससे रात के समय हाइवे पर चलने के दौरान सड़क किनारे खड़े वाहन लाइट की रोशनी परावर्ती टेप रिप्रेक्टर के चमकने से सामने से आ रहे वाहन चालक को दिख जाए जिससे दुर्घटना से बचा जा सके फिटनेस के दौरान वाहन के प्रपत्रों मे परावर्ती टेप रिप्रेक्टर की रसीद तो देखी जा रही है लेकिन वाहन मे परावर्ती टेप रिप्रेक्टर लगे या नहीं इस ओर जरा भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है l
*यात्री वाहनो मे काले शीशे लगे होने के बाद भी हो रही फिटनेस*
यात्री वाहनो से लेकर छोटे वाहनो मे काले शीशे एवं काली फिल्म लगवाना बर्जित है और यह सब वाहन की फिटनेस या चैकिंग के दौरान कार्यवाही के अधीन आते है लेकिन चैकिंग के दौरान इस तरफ न तो एआरटीओ का ध्यान रहता और न ही आरआई का फिटनेस निरीक्षण के दौरान रहता है जिससे काले शीशे लगे वाहनो वाहनों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है l
वहीं ओवर लोड वाहनों पर कार्यवाही के बजाय ज़िम्मेदार अधिकारी अवैध वसूली करने में ज्यादा ध्यान देते हुए नज़र आ रहे हैं जिसके चलते ओवर लोड वाहनों की भरमार है व यह ओवर लोड वाहन जिला मुख्यालय सहित जिले के सभी इलाकों में मनमाने तरीके से फर्राटा भरते हुए नज़र आते हैं वहीं इन ओवर लोड वाहनों पर ज्यादातर नंबर प्लेटे गायब रहती हैं जिसके कारण दुर्घटना करने के बावजूद यह वाहन आसानी से निकल जाते हैं व इनपर कार्यवाही नही हो पाती है l
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."