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November 23, 2024 3:19 am

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मेंहदी हसन के प्रथम शिष्य और अंतरराष्ट्रीय गजल गायक “राजकुमार रिजवी” का निधन

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सुरेन्द्र प्रताप सिंह की रिपोर्ट

झुंझुनूं के मंडावा ने ही नहीं, बल्कि पूरे देश ने एक और फनकार को खो दिया है। अंतरराष्ट्रीय गजल गायक राजकुमार रिजवी का रविवार को मुंबई में निधन हो गया। वे झुंझुनूं के मंडावा कस्बे के रहने वाले थे। राजकुमार रिजवी ने 1976 में बनी सुपरहिट फिल्म लैला मजनूं के टाइटल सॉन्ग के अलावा कई बॉलीवुड फिल्मों में गानों और गजलों को अपनी आवाज दी।

अंतरराष्ट्रीय गजल गायक राजकुमार रिजवी का रविवार सुबह 6.35 बजे मुंबई में निधन हो गया। उनके भतीजे रमजान रिजवी ने बताया कि वे कुछ दिनो से बीमार थे। राजस्थान में झुंझुनूं जिले के मंडावा कस्बे के रहने वाले थे। राजकुमार रिजवी ने 1976 में बनी सुपरहिट फिल्म लैला मजनूं के टाइटल सॉन्ग के अलावा कई बॉलीवुड फिल्मों में गानों और गजलों को अपनी आवाज दी थी।

गजल गायकी के बादशाह मेहदी हसन के प्रथम शिष्य के रूप में पहचाने जाने वाले राजकुमार रिजवी सात साल पहले अप्रेल 2015 में वे परिवार सहित अंतिम बार झुंझुनूं के मंडावा में आए थे। इस दौरान उनकी बेटी गायिका रूना रिजवी तथा उनके दामाद इंटरनेशनल ड्रम आर्टिस्ट शिवमणी ने रिजवी नाइट को सजाया था।

इस कार्यक्रम में राजकुमार रिजवी खुद हारमोनियम संभाले हुए थे। इस मौके पर उन्होंने राजस्थान में म्यूजिक एकेडमी खोलने की इच्छा जाहिर की थी और कहा था कि मंडावा आकर उन्हें काफी सुखद अहसास होता है। राजकुमार रिजवी का जन्म झुंझुनूं जिले के मंडावा में एक संगीत प्रेमी कलाकार घराने में हुआ।

संगीत की प्रारम्भिक तालीम उन्होंने अपने पिता उस्ताद नूर मोहम्मद से ली। जिनका ताल्लुक कलावंत घराने से था। कम उम्र में ही राजकुमार पिता के साथ दरबार में गाने लगे। 16 वर्ष की उम्र में उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री के सामने गाया एवं खूब वाहवाही लूटी।

मशहूर गायिका इंद्राणी मुखर्जी से हुई शादी

1992 में राजकुमार गजल गाने के सिलसिले में रूस गए थे। वहीं उनकी मुलाकात मशहूर गायिका इंद्राणी मुखर्जी से हुई। जल्द ही दोनों ने शादी कर ली। वे इंद्राणी मुखर्जी से इंद्राणी रिजवी बन गई। शादी के बाद दोनों ने साथ गाना शुरू कर दिया। राजकुमार रिजवी ने इसके अलावा लैला- मजनू फिल्म में टाइटल सॉन्ग दिया। वहीं राजस्थानी फिल्म मूमल सहित कई फिल्मों में भी गाया है और संगीत भी दिया है। उन्होने बिरजू महाराज (कथक) तथा केलुचरण महापात्र (ओडिसी) के लिए कुछ नृत्य धुनें भी तैयार की हैं।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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