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November 2, 2024 9:55 pm

श्री शनिदेव महिला स्व सहायता समूह द्वारा उत्पादित गौकाष्ठ से होगा होलिका दहन

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डीपी रात्रे की रिपोर्ट

बलौदाबाजार :- राज्य सरकार की गोधन योजना के तहत मे कलेक्टर डोमन सिंह के द्वारा जिलें में गोधन न्याय योजना का लगातार विस्तार किया जा रहा है।

एक ओर जहां बार जैसे वनांचल क्षेत्र में गौठान बनाकर ग्रामीणों को लाभांवित करनें का प्रयास जारी है वहीं दूसरी और जेल जैसे स्थानों में वर्मी कंपोस्ट उत्पादन कैदियों द्वारा किया जा रहा है। अब इसी कड़ी मे आने वाले होली त्यौहार को देखते हुए होलिका दहन के लिए यथासंभव लकड़ी की जगह गौकाष्ठ का उपयोग करनें का निर्णय जिला प्रशासन की ओर से लिया गया है। इससे ना केवल पर्यावरण प्रदूषण से बचाव होगा बल्कि महिला स्व सहायता समूहों के सदस्यों को अतिरिक्त आमदनी प्राप्त होगा। इस पर बलौदाबाजार नगर पालिका अधिकारी राजेश्वरी पटेल ने कलेक्टर को जानकारी देतें हुए बताया की नगर पालिका परिषद बलौदाबाजार द्वारा 2 गोठानों का संचालन एसएलआरएम सेंटरों में किया जा रहा है। जहां पर गोधन न्याय योजना अंतर्गत गोबर खरीदी की जाती है। उक्त गोबर खरीदी का कार्य श्री शनिदेव महिला स्व सहायता समूह बलौदाबाजार के द्वारा किया जाता है। जहां पर ना केवल वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन किया जाता है।साथ ही यहां पर बड़े पैमाने में गौकाष्ठ का निर्माण भी किया जाता है। समूह में कार्य करनें वाली सदस्य सुनीता साहू ने बताया कि हमारे समूह में लगभग 59 महिला जुड़ी हुई हैं। हम सभी महिलाएं डोर टू डोर कचरा उठाने के साथ ही खरीदी किए गये गोबर से वर्मी कंपोस्ट,सुपर कंपोस्ट एवं गोकाष्ठ का निर्माण किया जाता है।

वर्तमान में समूह के पास लगभग 50 क्विंटल गौकाष्ठ उपलब्ध है। जिसे हम 8 रुपये प्रति किलो की दर से बेचते है। अभी तक हमारे समूह को 13 हजार रुपए के गौकाष्ठ का आर्डर मिल गया है। जिसमे नगर पालिक परिषद के पूर्व अध्यक्ष विक्रम पटेल ने 12 क्विटल का आर्डर हमे दिया है जिसका मूल्य 9 हजार 6 सौ रुपये है। इसके अतिरिक्त हमें स्थानीय नगरीय निकाय के द्वारा ही लगभग 15 क्विंटल का अतिरिक्त गौकाष्ठ बनाने का आर्डर मिल चुका है जिसका उपयोग शहर के सभी प्रमुख चौक चौराहों में जलने वाले होलिका दहन में उपयोग किया जाएगा। 

सुनीता साहू ने बताया कि कोविड के दूसरे लहर के दौरान मृतक के अंतिम संस्कार में भी गोकाष्ठ का उपयोग बड़े पैमाने में किया गया है। साथ ही हाल के दिनों में शीत लहर से बचाव हेतु अलाव के व्यवस्था के लिए गौकाष्ठ का उपयोग किया गया।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."