अनिल अनूप
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में दो-तीन चीज़ें गौर करने योग्य हैं, अगर हम मानवीय मूल्यों को सामने रख कर देखते हैं तो यूक्रेन में शिक्षा ग्रहण कर रहे भारतीय छात्र, जो देश के विभिन्न हिस्सों से वहां गए थे, वे अधिकतर स्वदेश लौट आए हैं। उनमें से हिमाचल के भी बहुत छात्र थे। एयर इंडिया चूंकि अब टाटा समूह के पास है, लेकिन टाटा समूह जब भी देश में आंतरिक या बाहरी संकट आता है, तब देश की मदद के लिए सबसे आगे होता है। अधिकतर भारतीयों को यूक्रेन से वापस भारत ले आया गया है। हर नागरिक का जीवन महत्वपूर्ण है। चाहे वे किसी भी देश में रहें, उनकी सुरक्षा का दायित्व उसी देश का होता है जहां वे रहते हैं। लेकिन युद्ध की स्थिति बिल्कुल अलग होती है।
रूस- यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध मोर्चे से जो सबसे नवीनतम समाचार मिला है वह यह है कि रूस ने दूसरे निकटवर्ती देश ‘बेलारूस’ में अपना एक प्रतिनिधिमंडल भेज कर यूक्रेन से वर्तमान संघर्ष पर बातचीत की पेश की है जिसे यूक्रेन ने यह कह कर ठुकरा दिया है कि वह बेलारूस के अलावा अन्य मान्य कथित निष्पक्ष या तटस्थ समझे जाने वाले देशों में ही वार्ता के लिए तैयार हो सकता है। मगर बाद में वह वार्ता के लिए तैयार हो गया है, जिसे एक शुभ संकेत माना जाना चाहिए। इसका आशय यह निकलता है कि रूस यूक्रेन की उस जिद को अपनी सैनिक कार्रवाई से तोड़ कर उसे वार्ता की मेज पर लाना चाहता है। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में यह कोई नई बात नहीं है। उधर यूक्रेन के राष्ट्रपति श्री लेजेन्वस्की ने भी भारत के प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी को फोन करके रूस को समझाने की गुजारिश की है। इसकी वजह यही लगती है कि भारत ने राष्ट्रसंघ सुरक्षा परिषद में उभय पक्षीय भूमिका अदा करके रूस व यूक्रेन के बीच सुलह-सफाई कराने की एक खिड़की खुली हुई रखी है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."