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31 January 2025 12:18 pm

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जिसकी मौत के जुर्म में जेलबंद था भाई वो 17 साल बाद जिंदा घर लौटा, मामला दिमाग हिला देती है

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ब्रजकिशोर सिंह की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के झांसी में पुलिस की गश्त के दौरान एक ऐसा मामला सामने आया, जिसने सबको हैरान कर दिया। पुलिस को एक ऐसा व्यक्ति मिला, जिसे 17 साल पहले मृत घोषित कर दिया गया था और उसकी कथित हत्या के आरोप में उसके ही चचेरे भाइयों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। यह चौंकाने वाली घटना बरुआसागर थाना क्षेत्र की है, जहां धमना चौकी प्रभारी नवाब चौधरी गश्त पर निकले थे।

गश्त के दौरान मिला संदिग्ध व्यक्ति

गश्त के दौरान पुलिस को एक व्यक्ति संदिग्ध हालत में मिला, जिसकी शारीरिक स्थिति काफी खराब थी। पुलिस ने जब उससे पूछताछ की, तो उसने अपना नाम नथुनी पाल बताया और अपना घर बिहार में होने की जानकारी दी। जब झांसी पुलिस ने बिहार के संबंधित थाने से संपर्क किया, तो एक चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई—यह वही नथुनी पाल था, जिसे 17 साल पहले मृत घोषित कर दिया गया था।

कैसे हुई थी ‘हत्या’ की पुष्टि?

यह घटना साल 2008 की है, जब नथुनी पाल अचानक लापता हो गया था। काफी तलाश के बाद भी जब उसका कोई सुराग नहीं मिला, तो उसके मामा ने नथुनी के चचेरे भाइयों—रति पाल, विमलेश पाल, भगवान पाल और सतेंद्र पाल के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करा दिया। पुलिस ने चारों को गिरफ्तार कर लिया, और उन्होंने काफी समय जेल में बिताया। हालांकि, बाद में जमानत मिलने के बाद वे रिहा हो गए।

17 साल बाद घर लौटेगा नथुनी पाल

अब जब नथुनी पाल झांसी में पुलिस को मिला, तो अधिकारियों ने तुरंत बिहार में उसके परिवार को सूचना दी। जब परिजन झांसी पहुंचे और उन्होंने नथुनी को देखा, तो उनकी आंखों में आंसू आ गए। 17 साल तक जिस शख्स को मरा हुआ समझा गया था, वह उनके सामने जिंदा खड़ा था।

नथुनी पाल ने पुलिस को बताया कि वह पिछले छह महीनों से झांसी में एक किसान धर्मदास अहिरवार के घर पर रह रहा था और खेतों में काम कर रहा था। अब पुलिस के सहयोग से वह अपने गांव देवरिया जिले के रोहताश गांव लौटेगा।

न्याय की नई उम्मीद

इस मामले के खुलासे के बाद अब नथुनी के चचेरे भाइयों को बड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि जिस हत्या के आरोप में उन्हें सजा मिली थी, वह हत्या हुई ही नहीं थी। अब कानूनी प्रक्रिया के तहत उनके ऊपर लगे आरोपों को हटाने की कार्यवाही होगी।

यह घटना पुलिस की सतर्कता और सही जांच प्रक्रिया का एक अनोखा उदाहरण है, जिसने 17 साल पुरानी एक बड़ी भूल को उजागर किया और एक परिवार को न्याय दिलाने की दिशा में कदम बढ़ाया।

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