सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
धर्म के नाम पर ढोंग एक ऐसा विषय है जो समाज के हर तबके में मौजूद है और जिस पर चर्चा करना जरूरी है। भारत जैसे देश में, जहां विविध धर्मों और संस्कृतियों का संगम है, धर्म को अक्सर सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा जाता है। यह लोगों को एकजुट करता है, नैतिकता और अनुशासन का पाठ पढ़ाता है। लेकिन, जब धर्म का उपयोग स्वार्थी उद्देश्यों, अंधविश्वास और सत्ता हासिल करने के लिए होता है, तो यह ढोंग में बदल जाता है। इस आलेख में हम धर्म के नाम पर किए जा रहे ढोंग और इसके प्रभावों पर चर्चा करेंगे।
धर्म के नाम पर ढोंग के उदाहरण
ऐसे कई उदाहरण हैं, जब धर्म के नाम पर तथाकथित धर्मगुरु लोगों को गुमराह करते हैं। वे दिखावे के सत्संग और चमत्कार के नाम पर भोली-भाली जनता का शोषण करते हैं।
इसके एक उदाहरण के रूप में, कुछ बाबा या स्वयंभू गुरु जिनका दावा होता है कि वे चमत्कारी शक्तियों से रोग ठीक कर सकते हैं या भक्तों के भविष्य का पता लगा सकते हैं, बाद में बलात्कार, वित्तीय घोटालों या अन्य अपराधों में संलिप्त पाए जाते हैं।
धार्मिक उन्माद और राजनीति
धर्म का उपयोग अक्सर राजनीतिक लाभ उठाने के लिए किया जाता है। कई बार राजनीतिक दल धर्म का सहारा लेकर जनता को विभाजित करने का प्रयास करते हैं। वे धार्मिक भावनाओं को भड़काकर वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश करते हैं। इसका एक प्रसिद्ध उदाहरण बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद है, जिसने धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दिया और इससे समाज में कई वर्षों तक तनाव बना रहा।
अंधविश्वास और अंधभक्ति
भारत जैसे समाज में, जहां शिक्षा और जागरूकता की कमी है, लोग अक्सर अंधविश्वासों में फंस जाते हैं। तंत्र-मंत्र, बलि प्रथा और अंधभक्ति के रूप में यह ढोंग धर्म के मूल उद्देश्यों को धूमिल करता है। उदाहरण के लिए, कई स्थानों पर महिलाएं आज भी अपने पति की दीर्घायु के लिए धार्मिक कर्मकांडों में अत्यधिक कठोर उपवास रखती हैं, जबकि इन्हें विज्ञान और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से नुकसानदायक माना जाता है।
धर्म के नाम पर ढोंग के परिणाम
धर्म के नाम पर किए जा रहे ढोंग से समाज में विभाजन और हिंसा होती है। इससे सामाजिक ताना-बाना कमजोर हो जाता है और भाईचारे की भावना पर आघात पहुंचता है।
आर्थिक और मानसिक शोषण
जब लोग धार्मिक ढोंग के चंगुल में फंस जाते हैं, तो उनका आर्थिक और मानसिक शोषण होता है। वे अपनी मेहनत की कमाई को ऐसे कार्यों पर खर्च करते हैं, जिनका कोई वास्तविक महत्व नहीं होता।
धर्म की वास्तविक छवि को नुकसान धार्मिक ढोंग करने वाले व्यक्तियों की गतिविधियों के कारण वास्तविक धर्म की छवि धूमिल होती है। इससे न केवल धर्म की सार्थकता पर सवाल उठते हैं, बल्कि इससे समाज में सही धार्मिक विचारधारा और शिक्षाएं भी कमजोर पड़ती हैं।
समाज को इस ढोंग से बचाने के लिए शिक्षा, जागरूकता और विवेक का प्रसार आवश्यक है। धार्मिक गुरुओं और नेताओं को भी धर्म का सही अर्थ समझाना चाहिए और धर्म का उपयोग मानवता की सेवा के लिए करना चाहिए, न कि स्वार्थ के लिए।
धर्म के नाम पर ढोंग तभी समाप्त हो सकता है जब लोग तर्कसंगत दृष्टिकोण अपनाएं और धर्म के मूल्यों को सही रूप में समझें। धर्म का उद्देश्य लोगों को जोड़ना है, न कि उन्हें बांटना। यदि हम धर्म के वास्तविक अर्थ को समझें और उसका पालन करें, तो यह समाज में शांति और सद्भाव का आधार बन सकता है।
धर्म को ढाल के रूप में प्रयोग करने के बजाय, इसे नैतिक और सामाजिक प्रगति के साधन के रूप में अपनाना आवश्यक है। केवल तभी हम धर्म के नाम पर होने वाले ढोंग से समाज को मुक्त कर सकते हैं।
धार्मिक ढोंग करने वाले तथाकथित बाबाओं के कई उदाहरण हैं, जिनके कारण समाज में धर्म की छवि को नुकसान पहुंचा है। यहाँ कुछ प्रमुख उदाहरण दिए जा रहे हैं:
1. गुरमीत राम रहीम सिंह: डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को बलात्कार और हत्या जैसे अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया है। वह धार्मिक प्रवचन और भक्ति गीतों के माध्यम से बड़ी संख्या में अनुयायियों को आकर्षित करता था। हालांकि, उसके खिलाफ कई गंभीर अपराधों के मामले उजागर होने के बाद उसे जेल की सजा हुई।
2. आसाराम बापू: एक समय में लाखों अनुयायियों के बीच लोकप्रिय, आसाराम बापू पर यौन शोषण के आरोप लगे और अदालत ने उसे नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी ठहराया। इसका परिणाम यह हुआ कि उनकी छवि न केवल धूमिल हुई, बल्कि उनके अनुयायियों का विश्वास भी टूटा।
3. स्वामी नित्यानंद: नित्यानंद का नाम भी विवादों से जुड़ा रहा है। उन पर यौन उत्पीड़न और अनुयायियों को गुमराह करने के आरोप लगे हैं। विवादों और कानूनी मामलों से बचने के लिए वह भारत छोड़कर फरार हो गया और खुद का एक कथित ‘राष्ट्र’ भी स्थापित करने का दावा किया।
4. राधे मां: राधे मां अपने अलौकिक और भव्य रूप-रंग के लिए प्रसिद्ध हैं। उन पर धोखाधड़ी और भक्तों के मानसिक शोषण जैसे आरोप लगे हैं। हालांकि वे अपने समर्थकों के बीच लोकप्रिय बनी हुई हैं, लेकिन उन पर कई बार गंभीर सवाल उठ चुके हैं।
5. सतपाल महाराज: सतपाल महाराज, जो धार्मिक गुरु और राजनीतिक व्यक्तित्व भी हैं, पर भी अतीत में कई विवाद रहे हैं। हालांकि वे वर्तमान में मुख्यधारा की राजनीति में सक्रिय हैं, उनके धार्मिक प्रथाओं और गतिविधियों पर सवाल उठते रहे हैं।
इन उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि धर्म का दिखावा करने वाले कुछ बाबाओं ने अपनी गतिविधियों से न केवल धर्म का नाम बदनाम किया है, बल्कि अपने अनुयायियों और समाज का भी शोषण किया है। यह धार्मिक जागरूकता और विवेक के महत्व को रेखांकित करता है ताकि लोग सही और गलत का अंतर समझ सकें।