कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
रात के लगभग 9 बजे, बृजेश सिंह (काल्पनिक नाम) को अचानक नकद की आवश्यकता महसूस हुई। उन्होंने अपने एटीएम कार्ड को उठाया और पास के एटीएम बूथ की ओर बढ़ गए। रुपये निकालने के बाद, जब उन्होंने अपना कार्ड मशीन से निकालने की कोशिश की, तो उन्हें पता चला कि उनका कार्ड मशीन में फंस गया है। काफी प्रयासों के बावजूद, कार्ड नहीं निकला। अंत में, बृजेश ने एटीएम बूथ पर लिखे कस्टमर केयर नंबर पर फोन किया और समस्या के बारे में बताया।
कस्टमर केयर से मिली जानकारी के अनुसार, उन्हें सलाह दी गई कि वह अपना कार्ड मशीन में छोड़ दें। बैंक की टीम जल्द ही उनका नया कार्ड उनके पते पर भेज देगी। बृजेश ने इस सलाह को मान लिया और घर की ओर चल पड़े। लेकिन कुछ ही देर बाद, उनके मोबाइल पर एक मेसेज आया, जिसमें बताया गया कि उनके एटीएम से रुपये निकाल लिए गए हैं। यह सुनकर बृजेश घबरा गए और तुरंत उसी एटीएम पर लौटे।
जैसे ही वह एटीएम बूथ पहुंचे, उनकी आशंकाएं सही साबित हुईं—उनका कार्ड अब वहां नहीं था। दरअसल, बृजेश एटीएम धोखाधड़ी करने वाले “फेवीक्विक गैंग” का शिकार बन चुके थे, जो पिछले कुछ समय से दिल्ली और फरीदाबाद जैसे एनसीआर के शहरों में सक्रिय था।
पुलिस द्वारा गैंग का भंडाफोड़
पुलिस ने 22 अक्टूबर को इस गैंग का भंडाफोड़ करते हुए तीन संदिग्धों को गिरफ्तार किया। जानकारी के अनुसार, पुलिस को 21 अक्टूबर को इस गैंग के बारे में सूचना मिली थी। इसके बाद, एक विशेष टीम का गठन किया गया और इन अपराधियों को पकड़ने के लिए जाल बिछाया गया। 22 अक्टूबर को डीएनडी गोल चक्कर के पास पुलिस ने घेराबंदी कर तीनों आरोपियों को दबोच लिया। इनके पास से 35 हजार रुपये नकद, एक स्क्रूड्राइवर, एक प्लास, एक चाकू, ब्लैक मार्कर और फेवीक्विक ट्यूब बरामद की गई।
फेवीक्विक गैंग की कार्यप्रणाली
इस गैंग के सदस्य उन एटीएम बूथों को लक्षित करते थे जो रात में खुले रहते थे और जहां कोई चौकीदार नहीं होता था। गैंग का एक सदस्य एटीएम मशीन में कार्ड डालने वाली जगह पर फेविक्विक लगाकर, रुपये निकालने के बहाने से वहीं रुका रहता। जब कोई उपयोगकर्ता एटीएम का उपयोग करने आता, तो उसका कार्ड फंस जाता। इस दौरान, गैंग का सदस्य चुपचाप उसका एटीएम पिन भी देख लेता था।
पीड़ित व्यक्ति के कार्ड फंसने के बाद, गैंग का सदस्य उसे दीवार पर लिखे फर्जी कस्टमर केयर नंबर पर फोन करने की सलाह देता। यह नंबर उन्होंने ब्लैक मार्कर से एटीएम की दीवार पर लिखा होता था। फोन करने पर, गैंग का एक अन्य सदस्य कॉल उठाता और पीड़ित को बताता कि उन्हें अपना एटीएम कार्ड वहीं छोड़ देना चाहिए, क्योंकि बैंक की टीम इसे सुबह निकालेगी और नया कार्ड जल्द ही उनके पते पर भेज दिया जाएगा।
फेवीक्विक गैंग का नामकरण
जैसे ही पीड़ित एटीएम बूथ से बाहर निकलता, गैंग के सदस्य तुरंत उसके एटीएम कार्ड से रुपये निकालकर मौके से फरार हो जाते। इसी कारण इस गैंग का नाम “फेवीक्विक गैंग” पड़ा, क्योंकि वे फेवीक्विक का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी करते थे।
आरोपियों का इतिहास
पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार आरोपियों में राहुल कुमार सिंह, गौरव कुमार और दीपक पटेल शामिल हैं। राहुल कुमार इस गैंग का सरगना है और वह 2011 से एटीएम धोखाधड़ी की वारदातों में शामिल रहा है। पुलिस का कहना है कि यह गैंग अब तक दिल्ली एनसीआर में 100 से अधिक वारदातों को अंजाम दे चुका है।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि एटीएम का उपयोग करते समय सतर्कता बेहद जरूरी है, खासकर जब रात का समय हो और एटीएम बूथ में कोई अन्य व्यक्ति उपस्थित हो। लोगों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर ध्यान दें और अपने कार्ड से संबंधित जानकारी को सुरक्षित रखें।
Author: samachar
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