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December 10, 2024 4:47 am

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पत्रकार पर हुए हमले के मामले में पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन

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इरफान अली लारी की रिपोर्ट

भाटपाररानी, देवरिया । 4 अक्टूबर 2024 को रात करीब 9:30 बजे, एक स्थानीय टीवी चैनल के पत्रकार मृत्युंजय प्रसाद पर दो बाइक सवार हमलावरों ने जानलेवा हमला करने का प्रयास किया। इस घटना की सूचना देने के लिए पत्रकार ने पुलिस अधीक्षक को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने पूरी घटना का वर्णन किया।

मृत्युंजय ने बताया कि हमलावरों ने उनकी बाइक को रोककर हमला करने का प्रयास किया। किसी तरह से वह अपनी बाइक को भगाने में सफल रहे और खुखुंदू चौराहे के पास अपने एक साथी शिवम के घर पहुंचकर अपनी जान बचाई। पत्रकार ने इस घटना की सूचना तुरंत पुलिस अधीक्षक के सीयूजी नंबर पर दी और साथ ही सोशल मीडिया पर भी इसे साझा किया।

मृत्युंजय ने हाल ही में मझगावा गांव के एक दलित को न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसी के चलते, गांव के कुछ दोषियों ने उनके खिलाफ षड्यंत्र रचने की कोशिश की। यह सभी घटनाएँ इस बात का संकेत हैं कि हमलावरों में बौखलाहट थी, क्योंकि उन्हें डर था कि पत्रकार उन्हें पहचान चुका है और वह उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत कर सकता है।

घटना के बाद, जब इस हमले की जानकारी सोशल मीडिया पर तेजी से फैलने लगी, तो दोषियों ने खुद को बचाने के लिए पत्रकार के खिलाफ खुखुंदू थाने में तहरीर दे दी। उनकी शिकायत में आरोप लगाया गया कि मृत्युंजय प्रसाद अपने साथियों के साथ गांव में जाकर उन्हें जान से मारने का प्रयास कर रहे थे।

पत्रकार ने स्पष्ट किया है कि यह सभी आरोप झूठे हैं और उन्हें प्रताड़ित करने का एक तरीका है। उन्होंने कहा कि अब पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वह निष्पक्ष जांच करे और हमलावरों की पहचान करके उन्हें गिरफ्तार करे।

मृत्युंजय ने चेतावनी दी है कि अगर दोषियों की गिरफ्तारी नहीं होती है और इस मामले में निष्पक्ष जांच नहीं की जाती, तो वह आंदोलन करने पर बाध्य होंगे।

इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि पत्रकार गांव में गए थे, तो वह वहां से सुरक्षित कैसे निकल आए? ऐसा प्रतीत होता है कि दोषी अब अपने पत्ते खोलने को मजबूर हो चुके हैं।

पत्रकारों ने उम्मीद जताई है कि प्रशासन इस मामले में त्वरित और सख्त कार्रवाई करेगा, ताकि न्याय की प्रक्रिया को बनाए रखा जा सके।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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