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November 22, 2024 8:33 am

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भारतीय कला और संस्कृति के संरक्षण हेतु दो दिवसीय ‘कला धरोहर’ कार्यशाला का सफल समापन

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इरफान अली लारी की रिपोर्ट

देवरिया। जागृति सेवा केंद्र बरपार में भारतीय संस्कृति और कला को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से दो दिवसीय “कला धरोहर” कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसका सफल समापन हुआ। 

इस कार्यशाला का उद्देश्य छात्र-छात्राओं को भारतीय कला और संस्कृति के प्रति जागरूक करना और उनकी प्रतिभाओं को निखारना था।

यह आयोजन संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष डॉ. संध्या पुरेचा की पहल पर शुरू की गई ‘कला धरोहर’ श्रृंखला का हिस्सा था, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का समर्थन करते हुए भारतीय प्रदर्शन कलाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यशालाओं और व्याख्यानों का आयोजन करती है।

कार्यशाला के दौरान, राजकीय इंटर कॉलेज और कस्तूरबा इंटर कॉलेज देवरिया की छात्राओं ने संत मीरा बाई पर आधारित भजन प्रस्तुत किया, जिसे दर्शकों ने बहुत सराहा। 

सुप्रसिद्ध लोक गायिका और संगीत नाटक अकादमी सम्मान से सम्मानित श्रीमती शैलेश श्रीवास्तव ने इस कार्यक्रम में विशेष योगदान दिया। उन्होंने न केवल छात्रों को भारतीय कला और संस्कृति की महत्ता से अवगत कराया, बल्कि भजन और नृत्य नाटिका के माध्यम से कला के जीवन में महत्व को समझाया।

अकादमी के प्रतिनिधि निलेश दीपक ने बताया कि संगीत नाटक अकादमी का उद्देश्य भारत की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना और इसे व्यापक दर्शकों तक पहुँचाना है। उन्होंने बताया कि यह संस्था विभिन्न आयोजनों और उत्सवों के माध्यम से देश की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देती है।

कार्यशाला के दौरान प्रसिद्ध कथक नृत्य प्रशिक्षक श्रीमती गौरी शर्मा त्रिपाठी ने भी छात्रों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने ‘कला धरोहर’ श्रृंखला की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह पहल छात्रों को भारतीय संस्कृति और धरोहर से जोड़ने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

इस अवसर पर कई प्रमुख शिक्षाविद और कलाकार उपस्थित थे। करन त्रिपाठी, संध्या मिश्रा, स्वाती बरनवाल, राम किंकर मिश्रा, प्रमोद मणि त्रिपाठी सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। 

छात्राओं में सलोनी द्विवेदी, प्रिया यादव, ज्योति विश्वकर्मा, अल्का गुप्ता, शीतल वर्मा, काजल मोदनवाल, पायल राजभर और तमन्ना खातून ने सक्रिय रूप से कार्यशाला में प्रतिभाग किया और अपनी कलात्मक प्रतिभाओं का प्रदर्शन किया।

कार्यशाला ने छात्रों को भारतीय कला और संस्कृति के प्रति नया दृष्टिकोण प्रदान किया और उन्हें अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़े रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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