चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश में हाल ही में घटित दो महत्वपूर्ण घटनाओं ने राज्य की कानून व्यवस्था और प्रशासनिक प्रणाली पर गहरा प्रभाव डाला है।
पहली घटना बरेली जिले से जुड़ी है, जहां एक पुलिस थाने पर ही छापेमारी की गई, जबकि दूसरी घटना सुलतानपुर जिले में जल निगम के एक अधिशासी अभियंता की निर्मम हत्या से संबंधित है।
बरेली के फरीदपुर थाने पर छापेमारी
22 अगस्त, गुरुवार को बरेली जिले में एक असाधारण घटना सामने आई जब आईपीएस अधिकारी मानुष पारिक, जो बरेली के दक्षिणी क्षेत्र के पुलिस अधीक्षक हैं, ने फरीदपुर थाना परिसर में अचानक छापेमारी की। यह कार्रवाई इसलिए विशेष मानी जा रही है क्योंकि आमतौर पर छापेमारी की खबरें व्यापारिक प्रतिष्ठानों, नेताओं या अधिकारियों के निवास स्थानों पर सुनने में आती हैं, लेकिन किसी पुलिस थाने पर इस तरह की कार्रवाई दुर्लभ है।
छापेमारी की सूचना मिलते ही फरीदपुर थाने के प्रभारी निरीक्षक रामसेवक ने घबराहट में थाने की दीवार फांदकर वहां से फरार होने की कोशिश की। यह कदम उनकी संभावित दोषी गतिविधियों की ओर संकेत करता है। छापेमारी के दौरान, पुलिस अधिकारियों को निरीक्षक के कक्ष से 9 लाख रुपये की बड़ी राशि बरामद हुई। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि यह राशि स्मैक तस्करों को छोड़ने के बदले में रिश्वत के रूप में ली गई थी।
रामसेवक की तलाश और भ्रष्टाचार का मामला
प्रभारी निरीक्षक रामसेवक के फरार होने के बाद, उत्तर प्रदेश पुलिस ने उनकी तलाश तेज कर दी है। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। यह घटना प्रदेश में पुलिस विभाग के अंदर व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को उजागर करती है। प्रशासन इस मामले में कठोर कार्रवाई करने की दिशा में अग्रसर है ताकि भविष्य में ऐसे कृत्यों को रोका जा सके और जनता का पुलिस पर विश्वास बहाल किया जा सके।
सुलतानपुर में जल निगम अभियंता की हत्या
दूसरी तरफ, सुलतानपुर जिले में 19 अगस्त को एक दुखद घटना घटी जब जल निगम के अधिशासी अभियंता संतोष कुमार की उनके किराए के आवास में बेरहमी से हत्या कर दी गई। 40 वर्षीय संतोष कुमार विनोवापुरी मोहल्ले में रहते थे और उनकी हत्या ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी।
पुलिस ने तत्परता से कार्रवाई करते हुए एनकाउंटर के बाद दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों में जल निगम के ही संविदा सहायक अभियंता अमित कुमार और एक अन्य व्यक्ति प्रदीप शामिल हैं। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि व्यक्तिगत रंजिश और आंतरिक विवाद इस हत्या के पीछे के मुख्य कारण हो सकते हैं। पुलिस इन दोनों से गहन पूछताछ कर रही है ताकि घटना के पूर्ण विवरण और मोटिव को समझा जा सके।
प्रशासनिक कार्रवाई और कानून व्यवस्था
इन दोनों घटनाओं ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था और प्रशासनिक प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। जहां एक तरफ पुलिस विभाग के अंदर ही भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं, वहीं सरकारी अधिकारियों की सुरक्षा और आंतरिक विवादों को सुलझाने में भी प्रशासन को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
प्रदेश सरकार और पुलिस प्रशासन इन घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए सख्त कदम उठा रहे हैं। भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए दोषियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जा रही है। यह आवश्यक है कि ऐसे मामलों में त्वरित और न्यायपूर्ण कार्रवाई हो ताकि जनता का विश्वास प्रशासन और कानून व्यवस्था पर बना रहे और प्रदेश में शांति और सुरक्षा का माहौल स्थापित हो सके।
इन घटनाओं से सबक लेते हुए भविष्य में प्रशासनिक और पुलिस विभागों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के प्रयासों को और मजबूती दी जानी चाहिए। साथ ही, अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच बेहतर समन्वय और समझ को बढ़ावा देने की दिशा में भी कदम उठाए जाने की आवश्यकता है ताकि ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."