सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम का अद्वितीय त्योहार है, जिसमें बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र, सुरक्षा और सेहत की कामना करती है, और भाई भी उसकी रक्षा और हमेशा साथ निभाने का वादा करता है।
इस पावन पर्व पर हम ऐसी बहनों के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने अपने भाई के लिए अपनी जान की बाज़ी लगाते हुए अपने अंगों का दान किया और उनकी जान बचाई। यह घटनाएँ भाई-बहन के अनमोल रिश्ते की गहराई और सच्चे प्रेम को उजागर करती हैं।
ग्रेटर नोएडा के दादूपुर गांव की रहने वाली रेखा गुर्जर ने अपने बड़े भाई के प्रति जो प्रेम दिखाया, वह अद्वितीय है। कुछ महीने पहले उनके बड़े भाई प्रदीप की तबीयत अचानक बहुत बिगड़ गई। अस्पताल में डॉक्टरों ने बताया कि उनके भाई का लिवर खराब हो चुका है और उसे तुरंत ट्रांसप्लांट की आवश्यकता है।
जैसे ही रेखा को इस स्थिति का पता चला, उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के अपने भाई को अपना लिवर देने का फैसला किया। उनकी इस निस्वार्थ भावना और बलिदान ने उनके भाई की जान बचाई। आज प्रदीप स्वस्थ हैं और अपने काम पर लौट चुके हैं।
इससे पहले भी रेखा ने अपने छोटे भाई के लिए अपने लिवर का दान करने का प्रयास किया था। छोटे भाई का लिवर भी खराब हो गया था, और रेखा ने उसके लिए सारी कानूनी प्रक्रिया पूरी कर ली थी। लेकिन, दुर्भाग्यवश, ऑपरेशन से एक दिन पहले ही 17 मार्च को उनके छोटे भाई का निधन हो गया। इस हादसे ने रेखा को गहरा सदमा दिया, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
करीब 15 दिन बाद, रेखा के बड़े भाई को भी हार्निया की बीमारी हो गई और जांच के दौरान पता चला कि उनका लिवर भी खराब हो गया है। रेखा के लिए यह दूसरी बार था जब उन्हें अपने भाई को बचाने के लिए अपने लिवर का दान करना पड़ा। एक बहन के रूप में, उन्होंने अपने भाई के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाते हुए एक बार फिर अपना लिवर दान किया और उनके भाई की जान बचाई। रेखा गुर्जर, जो माता गुर्जरी पन्नाधाय ट्रस्ट की अध्यक्ष हैं, का यह कार्य भाई-बहन के रिश्ते की गहराई और समर्पण का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
इस प्रकार, यह कहानी भाई-बहन के उस अनमोल और सच्चे रिश्ते की ताकत को दर्शाती है, जिसमें वे छोटी-छोटी बातों पर भले ही झगड़ते हों, लेकिन जब भी कोई संकट आता है, तो वे एक-दूसरे के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं। यही इस प्यारे रिश्ते की असली खूबसूरती है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."