संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट
बस्ती जिले में एक गंभीर प्रशासनिक लापरवाही का मामला सामने आया है, जिसमें मृतकों को भी वृद्धावस्था पेंशन का लाभ मिल रहा था। यह स्थिति तब उजागर हुई जब समाज कल्याण विभाग ने योजनाओं के लाभार्थियों का सत्यापन किया।
जिले में रूटीन जांच के दौरान पता चला कि 2304 पेंशनर मृत हो चुके थे, जिनमें से 2199 वृद्धावस्था पेंशनर और 105 दिव्यांग पेंशनर थे। हैरानी की बात यह है कि ये लोग मरने के बाद भी पेंशन का लाभ ले रहे थे। वार्षिक सत्यापन की प्रक्रिया में यह खुलासा हुआ कि वर्षों से मृत लोगों के खातों में पेंशन का पैसा भेजा जा रहा था।
सत्यापन के बाद, समाज कल्याण विभाग ने तुरंत कदम उठाए। मृतकों के नाम पेंशनर सूची से हटा दिए गए और उनके परिवारों को नोटिस जारी की गई। बैंकों ने भी मृतकों के खातों से पेंशन की राशि की वसूली शुरू कर दी है। अब तक 1.65 लाख रुपये की पेंशन वापस ली जा चुकी है और ट्रेजरी के माध्यम से सरकार को लौटा दी गई है।
जिला समाज कल्याण अधिकारी श्रीप्रकाश पांडेय ने बताया कि यह समस्या सत्यापन की कमी के कारण उत्पन्न हुई। विभाग ने अप्रैल 2024 से पेंशनरों का सत्यापन शुरू किया था, जिसमें कई मृतक पाए गए। बैंकों को सूचना भेज दी गई है और पेंशन की राशि वापस की जा रही है।
यह पहली बार नहीं है कि ऐसी लापरवाही सामने आई है; पहले भी ऐसे मामलों का खुलासा हो चुका है। हालांकि, पेंशन के लाभार्थियों की वास्तविक स्थिति की जांच की प्रक्रिया को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे इस प्रकार की लापरवाही को रोकने के लिए एक ठोस योजना बनाएं ताकि योजनाओं का लाभ केवल जीवित और पात्र लोगों को ही मिले।
Author: samachar
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