सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
गाजियाबाद में हाल के घटनाक्रमों ने बांग्लादेश के राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला दिया है। बांग्लादेश में हाल ही में तख्तापलट की खबरों के बीच, प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है और फिलहाल भारत के गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर मौजूद हैं। उनकी योजना लंदन जाने की है, और इस वक्त उनके विमान का हिंडन एयरबेस पर रुकने की संभावना है।
हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि वे भारत से लंदन जाने के लिए उसी विमान का इस्तेमाल करेंगी या किसी अन्य फ्लाइट का सहारा लेंगी।
बांग्लादेश में हालात बेहद तनावपूर्ण हैं। पिछले दो दिनों में विरोध प्रदर्शनों के दौरान 100 से अधिक लोग मारे गए हैं।
छात्रों ने एक विवादास्पद नौकरी आरक्षण योजना के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया था, जो अब एक व्यापक सरकार विरोधी आंदोलन का रूप ले चुका है।
यह विवादित योजना 1971 के मुक्ति संग्राम में भाग लेने वालों के परिवारों के लिए सिविल सेवा नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करती है। इसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
इन घटनाओं को देखते हुए भारत ने अपनी सतर्कता बढ़ा दी है। बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) को पूरे बॉर्डर पर 24 घंटे अलर्ट रहने का निर्देश दिया गया है, और बॉर्डर पर ट्रूप्स की संख्या भी बढ़ा दी गई है। BSF के डायरेक्टर जनरल पश्चिम बंगाल का दौरा कर स्थिति का जायजा ले रहे हैं।
शेख हसीना, जिनका जन्म 28 सितंबर 1947 को हुआ था, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की बड़ी बेटी हैं। उनका प्रारंभिक जीवन पूर्वी बंगाल के तुंगीपारा में बीता, जहाँ उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। इसके बाद वे कुछ समय के लिए सेगुनबगीचा में रहीं और फिर उनका परिवार ढाका में शिफ्ट हो गया।
कौन है शेख हसीना
शेख हसीना का जन्म 28 सितंबर 1947 को ढाका, बांग्लादेश में हुआ था। वे बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की सबसे बड़ी बेटी हैं।
शेख हसीना का प्रारंभिक जीवन ढाका में ही बीता और उन्होंने विश्वविद्यालय में स्टूडेंट पॉलिटिक्स में सक्रिय भूमिका निभाई। छात्र नेता के रूप में उन्होंने राजनीति में कदम रखा और अपने पिता की आवामी लीग के स्टूडेंट विंग का नेतृत्व किया।
साल 1975 में, बांग्लादेश में सेना ने सत्ता का तख्तापलट किया और इस दौरान शेख हसीना के परिवार के खिलाफ हिंसा शुरू हो गई। इस बगावत में शेख हसीना के माता-पिता और तीन भाइयों की हत्या कर दी गई। इस हादसे में केवल शेख हसीना, उनके पति एम.ए. वाजिद मियां और छोटी बहन ही बच पाए।
इस त्रासदी के बाद, शेख हसीना कुछ समय के लिए जर्मनी चली गईं। बाद में, भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निमंत्रण पर वे भारत आईं और कुछ वर्षों तक दिल्ली में रहीं।
1981 में, शेख हसीना बांग्लादेश लौटीं और अवामी लीग पार्टी को फिर से संगठित किया। उन्होंने 1996 में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के रूप में अपना पहला कार्यकाल पूरा किया और स्वतंत्रता के बाद से पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाली देश की पहली प्रधानमंत्री बनीं। इस दौरान, उन्होंने भारत सरकार के साथ गंगा नदी पर 30 साल के जल बंटवारे की संधि पर भी हस्ताक्षर किए।
साल 2001 में चुनावों में हार के बाद, शेख हसीना 2008 में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में लौटीं। उन्होंने 2009 में एक बार फिर प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और 2014 तथा 2018 में लगातार तीसरी और चौथी बार प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त हुईं। उनके कार्यकाल के दौरान, 2004 में उनकी रैली में हुए ग्रेनेड विस्फोट के प्रयास से वे बच गईं।
2009 में सत्ता में आने के तुरंत बाद, शेख हसीना ने 1971 के युद्ध अपराधों की सुनवाई के लिए एक ट्रिब्यूनल गठित किया। इस ट्रिब्यूनल ने कुछ विपक्षी नेताओं को दोषी ठहराया, जिससे हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
शेख हसीना ने अपने राजनीतिक करियर में कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किए हैं।
1998 में उन्हें मदर टेरेसा बाय ऑल इंडिया पीस काउंसिल का पुरस्कार मिला। उसी साल, उन्होंने एमके गांधी पुरस्कार भी प्राप्त किया।
2000 में उन्हें द पर्ल बद पुरस्कार और 2014 में महिला सशक्तिकरण तथा बालिका शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता के लिए यूनेस्को शांति वृक्ष पुरस्कार मिला। 2009 में उन्हें इंदिरा गांधी पुरस्कार और 2015 में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।
Author: samachar
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