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November 21, 2024 10:25 pm

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धान की कटोरी में खुशबूदार धान की खेती का पुनरुत्थान, मुनाफे का सबब बासमती फिर से लहलहाई

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संतोष कुमार सोनी के साथ धर्मेन्द्र कुमार की रिपोर्ट

बुंदेलखंड का बांदा, जिसे दो दशक पहले ‘धान का कटोरा’ कहा जाता था, एक बार फिर सुगंधित धान की खेती में लौट रहा है। पहले यहां के बासमती और परसन चावल की विशेष मांग थी, लेकिन सरकारी क्रय केंद्रों पर इन धानों की उचित कीमत न मिलने के कारण किसान मोटे धान की खेती की ओर झुक गए थे। इस वजह से सुगंधित चावल की उपज कम हो गई थी। हालाँकि, अब एक बार फिर किसानों का रुझान बासमती और परसन की ओर बढ़ता दिख रहा है, और वे बाजार से बीज खरीदकर धान की रोपाई कर रहे हैं।

दो दशक पहले की स्थिति

चित्रकूटधाम मंडल में दो दशक पहले तक सुगंधित धान जैसे बासमती, परसन, और चिन्नावर की बड़े पैमाने पर खेती होती थी। यहां का चावल दूर-दूर तक भेजा जाता था। लेकिन, सिंचाई की कमी और सरकारी क्रय केंद्रों पर पतले धान की खरीद को मोटे धान के भाव पर किए जाने की वजह से किसानों ने इनकी खेती कम कर दी थी। इसके अलावा, आढ़तियों के मनमाने दामों के कारण भी किसानों को नुकसान हुआ था।

पिछले साल मिले अच्छे दाम

पिछले साल सुगंधित धान के अच्छे दाम मिलने के बाद किसानों का रुझान फिर से बासमती और परसन की ओर बढ़ा है। इस साल 63 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में धान की रोपाई की गई है, जिसमें करीब 60 हजार हेक्टेयर में सुगंधित धान की खेती की गई है। बांदा के नरैनी, अतर्रा और अन्य क्षेत्रों में 30 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में पतला धान बोया जा रहा है।

सरकारी खरीद में कमी

प्रगतिशील किसान प्रेम सिंह का कहना है कि सरकार को पतले धान की भी सरकारी केंद्रों पर बाजार रेट पर खरीद करनी चाहिए और भुगतान समय पर सुनिश्चित करना चाहिए। वैश्विक बाजार में पतले धान की मांग अधिक है। प्रगतिशील किसान मोहम्मद असलम का कहना है कि मोटा धान देर से तैयार होता है, जिससे रबी की फसल पिछड़ जाती है और इसका दाम भी पतले धान से आधा होता है। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर यहां बासमती चावल प्रोसेसिंग इकाई लगाई जाए, तो किसानों को लाभ होगा।

बीज की उपलब्धता का संकट

सरकारी बीज केंद्रों में बासमती, परसन, और चिन्नावर जैसे धान की प्रजातियों के बीज उपलब्ध नहीं हैं। किसानों को मजबूरी में प्राइवेट दुकानों से बीज खरीदना पड़ रहा है, जहां बासमती 11, 21 और 17, 18 का बीज 15 से 20 हजार रुपये कुंतल बिक रहा है। अगर सरकारी केंद्रों पर पतले धान के बीज उपलब्ध हों, तो किसानों को काफी राहत मिलेगी।

प्रमाणन की समस्या

उपनिदेशक कृषि विजय कुमार ने बताया कि बासमती, परसन और चिन्नावर धान प्रमाणित नहीं हैं, जिससे ये बीज सरकारी केंद्रों पर उपलब्ध नहीं हैं। इस मुद्दे पर शासन को सूचित किया जा रहा है ताकि इन सुगंधित धानों की बिक्री भी सरकारी केंद्रों पर शुरू की जा सके।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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