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November 22, 2024 2:01 pm

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पढ़े लिखे घर की शिक्षित लड़की, इतनी गंदी बात कैसे कर सकती… शिखा मैत्रेय के कारनामे ने सबके मन में सवाल उठा दिया है… . 

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

यह कहानी एक बहुत ही चौंकाने वाली और दुखद घटना का चित्रण करती है। शिखा मैत्रेय जैसी पढ़ी-लिखी और सक्षम व्यक्ति द्वारा ऐसा अपराध करना समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।

यह घटना न केवल कानून और नैतिकता के उल्लंघन को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि आधुनिक तकनीक और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का दुरुपयोग कितना खतरनाक हो सकता है। 

इस प्रकार के अपराधों से निपटने के लिए समाज को सतर्क और जागरूक रहना आवश्यक है। इंटरनेट और सोशल मीडिया के उपयोग में सतर्कता और जिम्मेदारी अपनाना आवश्यक है ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। साथ ही, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को भी ऐसे मामलों में त्वरित और कठोर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि अपराधियों को उनके कुकर्मों की सजा मिल सके और समाज में एक मजबूत संदेश जाए।

शिखा मैत्रेय के खिलाफ की गई कानूनी कार्रवाई एक महत्वपूर्ण कदम है जो दिखाता है कि समाज और कानून व्यवस्था ऐसे अपराधों को गंभीरता से ले रही है। सोशल मीडिया पर लोगों की सक्रियता और एक्टिविस्ट दीपिका नारायण भारद्वाज की शिकायत के चलते पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की, जिससे शिखा को गिरफ्तार किया जा सका।

शिखा पर पोक्सो एक्ट, आईटी एक्ट और आईपीसी की धाराओं में केस दर्ज किया गया है। इन धाराओं के अंतर्गत उसे सात साल तक की सजा हो सकती है। इस तरह की सख्त कार्रवाई से यह संदेश जाता है कि किसी भी प्रकार की गैरकानूनी और अनैतिक गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों को उनके कृत्यों के लिए सजा मिलेगी।

यह घटना समाज के सभी वर्गों को सतर्क करती है कि वे इंटरनेट और सोशल मीडिया का उपयोग जिम्मेदारी और सतर्कता से करें। साथ ही, यह उदाहरण भी है कि यदि हम सभी मिलकर आवाज उठाएं और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करें, तो न्याय संभव है।

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गुरुवार को जब पुलिस शिखा मैत्रेय को गिरफ्तार कर कौशांबी थाने लाई, तो वो फफक-फफककर रोने लगी। शिखा पुलिसवालों के सामने गुहार लगा रही थी। उसके शब्द थे, ‘मुझसे गलती हो गई। बस इस बार माफ कर दो, अब कभी ऐसी हरकत नहीं करूंगी।’ इंदिरापुरम के एसीपी रितेश त्रिपाठी के मुताबिक, शिखा ने कुछ साल पहले ही अपने यूट्यूब चैनल की शुरुआत की थी। पहले उसका यूट्यूब चैनल उसी के नाम पर था, जिसे बाद में बदलकर उसने कुंवारी बेगम कर लिया। यहां उसके फॉलोवर्स की संख्या 2000 से ऊपर थी।

भनक लगते ही शिखा ने मिटा दिए सबूत

बुधवार को जैसे ही सोशल मीडिया पर नवजात बच्चों के साथ यौन शोषण के लिए उकसाने वाला उसका वीडियो वायरल हुआ, लोगों ने उसके खिलाफ कमेंट करने शुरू कर दिए। वहीं, कौशांबी थाने में शिखा के खिलाफ शिकायत भी दर्ज करा दी गई। इसकी भनक लगते ही शिखा ने सबसे पहले अपने सभी आपत्तिजनक वीडियो की सेटिंग पब्लिक से प्राइवेट की और बाद में इन्हें डिलीट कर दिया। यहां तक कि उसने अपने सोशल मीडिया अकाउंट भी इनएक्टिव कर दिए। हालांकि, तब तक पुलिस उसे ट्रेस कर चुकी थी और कुछ ही घंटों बाद शिखा सलाखों के पीछे पहुंच गई।

काला चश्मा लगाकर बनाती थी वीडियो

पुलिस ने शिखा को गिरफ्तार करने के साथ ही उसके कब्जे से कुछ सामान भी बरामद किया है। इनमें उसका मोबाइल, एक लैपटॉप, फाइबर की शीट, माउस, कीवर्ड और वो दो काले चश्मे शामिल हैं, जिन्हें पहनकर शिखा वीडियो बनाती थी।

पुलिस ने ये सारा सामान फॉरेंसिक जांच के लिए भिजवा दिया है। उसका वायरल वीडियो अभी भी सोशल मीडिया पर मौजदू है और पुलिस उसे स्थाई तौर पर हटवाने के लिए कोशिश कर रही है। सूत्रों के हवाले से खबर ये भी है कि इस मामले में उसके माता-पिता से भी पूछताछ हो सकती है।

पढ़े-लिखे परिवार से है शिखा मैत्रेय

शिखा मैत्रेय ने दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन डिजाइनिंग से कोर्स किया है। वहीं, उसके पास एक अच्छी खासी नौकरी भी थी। बताया जा रहा है कि वो दिल्ली की एक नामी कंपनी में एग्जीक्यूटिव के पद पर थी। गाजियाबाद के इंद्रगढ़ी इलाके में रहने वाली शिखा की मां गुरुग्राम की एक कंपनी में इंजीनियर हैं, वहीं उसके पिता टीचर हैं। उसकी एक छोटी बहन भी है, जो 12वीं की पढ़ाई कर रही है।

इन धाराओं में गिरफ्तार हुई शिखा

शिखा मैत्रेय उर्फ कुंवारी बेगम पर यूपी पुलिस ने सूचना प्रोधौगिकी (संशोधन) अधिनियम 2008 की धारा 67ए और 67बी लगाई है। इसमें धारा 67ए का मतलब- अगर कोई व्यक्ति इंटरनेट पर किसी भी तरह का अश्लील कंटेंट प्रसारित या प्रकाशित करता है या करवाता या उसे बढ़ावा देता है जो यौन कृत्य से जुड़ा हुआ हो तो उस पर इस धारा के अंतर्गत कार्रवाई होती है। वहीं धारा 67बी उस व्यक्ति पर लगाई जाती है जो बच्चों से जुड़े अश्लील कंटेंट को प्रसारित या प्रकाशित करता है या उसे बढ़ावा देता है। 

कितनी होती है सजा

सूचना प्रोधौगिकी (संशोधन) अधिनियम 2008 की धारा 67ए और 67बी में अगर आरोप सिद्ध होते हैं तो आरोपी को पांच साल की सजा होती है और उस पर 10 लाख रुपये के जुर्माना भी लगाया जाता है। इसके अलावा अगर आरोपी इस अपराध को दोहराता है तो ये सजा 5 साल से बढ़ कर सात साल हो जाती है। 

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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