खुशी लखेश्री की खास रिपोर्ट
राजस्थान का सीकर लोकसभा क्षेत्र भारतीय राजनीति में एक विशिष्ट स्थान रखता है, क्योंकि इसने देश को विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर अनेक महान शख्सियतें दी हैं, सिवाय प्रधानमंत्री पद के।
सीकर से संबंधित प्रमुख शख्सियतों में
1.भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटील सीकर की पुत्रवधू थीं।
2.उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत का पैतृक गाँव खाचरियाबास सीकर में स्थित है। वे तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री भी रहे।
3.सातवीं और आठवीं लोकसभा के स्पीकर रहे बलराम जाखड़ भी सीकर से जीतकर संसद में पहुंचे थे।
4.चौधरी देवीलाल ने देश के उपप्रधानमंत्री पद को संभाला, और वे भी सीकर से चुनकर लोकसभा पहुंचे थे।
हाल ही में, अमराराम, जो एक प्रसिद्ध और जमीन से जुड़े संघर्षशील किसान नेता हैं, को सीकर से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI(M)) का सांसद चुनकर भेजा गया है। उनकी पहचान एक शालीन और संघर्षशील नेता के रूप में है, जो अपनी मेहनत और संकल्पशीलता के लिए जाने जाते हैं।
सीकर का यह योगदान न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश की राजनीति में अद्वितीय है।
सीकर लोकसभा क्षेत्र में 2024 के चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के उम्मीदवार कॉमरेड अमराराम ने उल्लेखनीय जीत हासिल की। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के दो बार के सांसद और आर्यसमाज के राष्ट्रीय नेता स्वामी सुमेधानंद सरस्वती को 72,896 वोटों से पराजित किया।
चुनाव के नतीजे इस प्रकार थे:
-कॉमरेड अमराराम: 6,59,300 वोट
-स्वामी सुमेधानंद सरस्वती: 5,86,404 वोट
कॉमरेड अमराराम की यह जीत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दर्शाती है कि उनकी लोकप्रियता और जनता के बीच उनकी स्वीकृति मजबूत है। अमराराम की पहचान एक संघर्षशील किसान नेता के रूप में है, जिसने उन्हें इस चुनाव में बड़ी जीत दिलाई।
सीकर लोकसभा क्षेत्र में दशकों से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस का ही वर्चस्व रहा है। इस क्षेत्र में राजनीति का प्रमुख ध्रुवीकरण हमेशा इन दो प्रमुख दलों के बीच रहा है।
हालांकि, 1952 से ही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सक्रियता रही है, लेकिन आज तक कभी कोई कम्युनिस्ट उम्मीदवार मुख्य मुकाबले में नहीं रहा। इसके बावजूद, 2024 के चुनावों में कॉमरेड अमराराम की जीत ने इस धारणा को बदला है।
यह जीत भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के लिए ऐतिहासिक मानी जा सकती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि क्षेत्र में राजनीतिक बदलाव की लहर है और लोग वैकल्पिक नीतियों और नेतृत्व की ओर आकर्षित हो रहे हैं। अमराराम की इस जीत ने न केवल सीकर में बल्कि पूरे राज्य और देश में वामपंथी राजनीति को एक नई ऊर्जा दी है।
सीकर लोकसभा क्षेत्र में वामपंथी दलों का इतिहास काफी पुराना है, लेकिन इस बार की स्थिति असाधारण रही है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के उम्मीदवार कॉमरेड अमराराम की जीत एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना है, जो कई दशकों के संघर्ष और लगातार प्रयासों का परिणाम है।
वामपंथी दलों का इतिहास
- **कॉमरेड त्रिलोक सिंह:** 1957 में पहला चुनाव लड़ा और तीसरे स्थान पर रहे। वे 1962, 1967, 1971, और 1977 में भी चुनाव लड़े, लेकिन वामपंथी दलों के लिए लोकसभा पहुंचना एक दिवास्वप्न ही रहा।
कॉमरेड अमराराम का संघर्ष
1.चुनाव लड़ने का लंबा इतिहास 1996 से अब तक आठ चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन पिछले सात चुनावों में कांग्रेस का समर्थन नहीं मिला।
2.छात्र और किसान आंदोलनों में सक्रियता: 80 के दशक से ही वे छात्र और किसान आंदोलनों में सक्रिय रहे हैं। उनके आंदोलनों ने हजारों किसानों को बिजली, पानी और अन्य मुद्दों पर बार-बार एकजुट किया है।
कांग्रेस का समर्थन और समझौते
- सीकर सीट पर समझौता: इस बार कांग्रेस ने सीकर सीट पर माकपा को समर्थन दिया, जो चुनाव जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कांग्रेस ने नागौर सीट पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल और बांसवाड़ा सीट भारतीय आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत के लिए भी छोड़ी, और ये तीनों उम्मीदवार जीत गए।
शेखावाटी का राजनीतिक परिदृश्य
1.राजनीतिक चेतना का क्षेत्र: शेखावाटी क्षेत्र में जबरदस्त शिक्षा और राजनीतिक चेतना है, जिससे यहां के नेताओं को मजबूत जनाधार मिलता है।
कॉमरेड अमराराम की जीत को केवल माकपा की जीत के रूप में नहीं देखा जा सकता, बल्कि इसमें कांग्रेस के समर्थन की भी अहम भूमिका रही है। उनके लंबे संघर्ष और कांग्रेस के रणनीतिक समर्थन ने मिलकर इस ऐतिहासिक जीत को संभव बनाया है।
कॉमरेड अमराराम की राजनीतिक यात्रा और किसान आंदोलनों में उनकी भूमिका का विवरण उनके संघर्षशील और समर्पित नेता होने का प्रमाण है। उन्होंने विभिन्न आंदोलनों में नेतृत्व करते हुए अपनी दृढ़ता और संकल्प को साबित किया है।
प्रमुख किसान आंदोलन
- 2004-05 का घड़साना किसान आंदोलन : इस आंदोलन में अमराराम ने किसानों की समस्याओं को उठाते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2.2006 का बिजली की माँग से संबंधित आंदोलन : इस आंदोलन में उन्होंने राज्यभर के किसानों को संगठित किया और सरकार पर दबाव डाला।
3.2017 का राज्यव्यापी किसान आंदोलन : उन्होंने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सरकार के खिलाफ बड़े आंदोलन का नेतृत्व किया और अपनी मांगें मनवाने में सफल रहे।
मोदी सरकार के खिलाफ किसान आंदोलन
- साझापुर बॉर्डर पर साल भर का धरना : उन्होंने मोदी सरकार के खिलाफ बड़े किसान आंदोलन के दौरान साल भर साझापुर बॉर्डर पर डटे रहे और कभी घर नहीं गए, यह उनकी प्रतिबद्धता का परिचायक है।
अन्य प्रमुख आंदोलन
1.1989 में बीकानेर से माकपा नेता श्योपतसिंह मक्कासर लोकसभा में पहुंचे : इससे पहले बीकानेर से श्योपतसिंह मक्कासर का लोकसभा में पहुंचना भी वामपंथी दलों के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी।
2.मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ 2006 का आंदोलन : इस आंदोलन में हजारों किसानों ने जयपुर को घेर लिया था, जिसके बाद वरिष्ठ माकपा नेता प्रकाश कारत के हस्तक्षेप से आंदोलन समाप्त हुआ।
प्रेरणास्रोत और राजनीतिक प्रभाव
1.कॉमरेड त्रिलोक सिंह : अमराराम के प्रेरणास्रोत रहे हैं और उन्होंने त्रिलोक सिंह के संघर्ष और धैर्य से प्रेरणा ली है।
2.अन्य नेताओं का प्रभाव : कॉमरेड योगेंद्रनाथ हांडा, प्रोफेसर केदार, हेतराम बेनीवाल जैसे नेताओं के साथ मिलकर अमराराम ने अपनी राजनीतिक समझ और सक्रियता को निखारा।
कॉमरेड अमराराम ने लगातार संघर्ष और आंदोलन के माध्यम से अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने किसानों की समस्याओं को उठाने और उनके समाधान के लिए लगातार प्रयास किए हैं। उनकी जीत, संघर्ष और समर्पण की कहानी, सीकर लोकसभा क्षेत्र में वामपंथी दलों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
कॉमरेड अमराराम का जीवन और संघर्ष न केवल उनके राजनीतिक करियर की बल्कि उनके व्यक्तिगत धैर्य और समर्पण की भी गाथा है। उन्होंने अपने परिवार की डॉक्टर बनने की इच्छाओं के विपरीत, वामपंथी आंदोलनों में अपनी रुचि और जोश के कारण एक अलग राह चुनी।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
1.बायोलॉजी के छात्र : अमराराम का परिवार उन्हें डॉक्टर बनाना चाहता था, लेकिन उन्होंने वामपंथी आंदोलनों में अपना रुझान दिखाया।
2.छात्र राजनीति : सीकर के कल्याण कॉलेज में उन्होंने स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफ़आई) से जुड़कर 24 साल की उम्र में 1979 में छात्र संघ के अध्यक्ष का पद संभाला।
प्रारंभिक राजनीतिक करियर
- मूंडवाड़ा पंचायत के सरपंच : 1983 में, अमराराम उस पंचायत के सरपंच चुने गए जहाँ स्वतंत्रता सेनानी जमनालाल बजाज का जन्म हुआ था। उन्होंने 1993 तक इस पद को संभाला।
2.धौद विधानसभा चुनाव : 1985 में उन्होंने धौद विधानसभा से चुनाव लड़ा, लेकिन केवल 10,281 वोटों के साथ बुरी तरह हार गए।
निरंतर संघर्ष और सफलताएँ
1.विधानसभा चुनाव 1990 : उन्होंने फिर से विधानसभा चुनाव लड़ा और हार गए।
2.धौद विधानसभा चुनाव 1993 : इस बार उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता रामदेवसिंह महरिया को हराकर महत्वपूर्ण जीत हासिल की। महरिया 1957 से लगातार जीतते आ रहे थे, और अमराराम की जीत ने उन्हें एक नई पहचान दी।
साधारण जीवन और किसान आंदोलनों में सक्रियता
- साधारण और शालीन जीवन : अमराराम अपने साधारण और शालीन व्यवहार के लिए जाने जाते हैं।
- किसान आंदोलनों में भूमिका : उनके साथ रहे किसान नेता संजय माधव का कहना है कि अमराराम के भीतर लक्ष्य को हासिल करने की एक विचित्र ज़िद है। उन्होंने 1983 से लगातार चुनाव लड़े और हर बार हार के बाद भी किसानों के बीच सक्रिय रहे।
प्रमुख आंदोलनों में योगदान
1.2004-05 घड़साना किसान आंदोलन
2.2006 का बिजली की माँग से संबंधित आंदोलन
3.2017 का राज्यव्यापी किसान आंदोलन
4.मोदी सरकार के खिलाफ साझापुर बॉर्डर पर साल भर का धरना
कॉमरेड अमराराम का जीवन उनकी निरंतरता, संघर्षशीलता, और दृढ़ता का प्रतीक है। उन्होंने न केवल राजनीतिक स्तर पर बल्कि सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे उनकी पहचान एक समर्पित और जमीनी नेता के रूप में बनी है।
कॉमरेड अमराराम का राजनीतिक सफर लंबा और संघर्षपूर्ण रहा है, जिसमें उन्होंने कई बार चुनावी हार का सामना किया, लेकिन कभी भी अपनी प्रतिबद्धता और संघर्षशीलता को नहीं छोड़ा।
विधानसभा चुनाव और विधायकी
- विधायक कार्यकाल
– 1993, 1998, और 2003 में धौद से विधायक चुने गए।
– 2008 में दांतारामगढ़ से विधायक बने।
- हार का सिलसिला
– 2013 के चुनाव में 30,142 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे।
– 2018 के विधानसभा चुनाव में 45,186 वोटों के साथ फिर तीसरे नंबर पर रहे।
– 2023 के विधानसभा चुनाव में माकपा नेता अमराराम को 20,891 वोट मिले।
लोकसभा चुनाव
- लगातार प्रयास
– 1996, 1998, 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव सीकर से लड़े और हमेशा ही तीसरे नंबर पर रहे।
किसान आंदोलन में भूमिका
- 2017 का ऐतिहासिक किसान आंदोलन : उन्होंने किसानों का एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया और सरकार को झुकाया।
- मोदी सरकार के खिलाफ राष्ट्रीय किसान आंदोलन : उन्होंने इस आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाई।
व्यक्तित्व और शैली
- साधारण और शालीन जीवन :
– अमराराम अपने साधारण और जमीनी व्यवहार के लिए जाने जाते हैं।
- भाषण शैली :
– वे भाषणों में कटु बोलने से बचते हैं, जिससे उनके विरोधी भी उनकी प्रशंसा करते हैं।
स्थानीय और राष्ट्रीय प्रभाव
- स्थानीय स्तर पर : पिछले तीस साल से माकपा और उसके नेताओं की गतिविधियों को बहुत नज़दीक से देखने वाले उनके बारे में सकारात्मक सोचते हैं।
- राष्ट्रीय स्तर पर : राष्ट्रीय किसान आंदोलन में उनकी भागीदारी ने उन्हें एक मजबूत किसान नेता के रूप में स्थापित किया।
कॉमरेड अमराराम की राजनीतिक यात्रा इस बात का प्रमाण है कि हार के बावजूद एक नेता अपनी प्रतिबद्धता और संघर्ष से कैसे समाज और राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। उनका जीवन और कार्य शैली प्रेरणादायक है, विशेष रूप से उनके शालीन और कटुता से बचने वाले व्यवहार के कारण, जो उन्हें एक आदर्श और सम्माननीय नेता बनाता है।
कॉमरेड अमराराम का जीवन और राजनीतिक सफर एक अद्वितीय संघर्ष और संकल्प की कहानी है। उनके बारे में कई प्रकार के दृष्टिकोण और अनुभव साझा किए गए हैं, जो उनके जटिल व्यक्तित्व और अदम्य इच्छाशक्ति को दर्शाते हैं।
संघर्ष और हार का सामना
- निरंतरता
– शेखावाटी के एक बुजुर्ग भाजपा नेता ने कहा, “वे जितनी बार हारे हैं, उतनी हारों को बर्दाश्त करना अन्य किसी नेता के लिए मुमकिन नहीं।”
– अमराराम ने हर हार को धैर्य और संकल्प के साथ स्वीकार किया और फिर से संघर्ष शुरू किया।
समर्थन और सहयोग
- कांग्रेस का समर्थन :
– अमराराम खुद भी मानते हैं कि कांग्रेस का समर्थन उनके लिए महत्वपूर्ण रहा।
– कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, प्रमुख नेता सचिन पायलट, और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खुले तौर पर उनका समर्थन किया।
विरोधियों के आरोप :
- जातिगत समीकरण और अराजक तत्वों का समर्थन
– विरोधियों का आरोप है कि अमराराम की जीत जातिगत समीकरणों और कांग्रेस के समर्थन की वजह से है।
– विरोधियों का यह भी कहना है कि अमराराम शेखावाटी इलाके में अराजक तत्वों को शह देते हैं और सरकारी तंत्र पर अवांछित दबाव डालते हैं।
अमराराम का व्यक्तित्व
- शालीनता और दृढ़ता
– वे न तो अपने विरोध में चल रही उन्मत्त हवाओं में पीछे हटे और न ही बदहवास कर देने वाले पुलिस अत्याचारों से कभी डरे।
– उनके समर्थकों का कहना है कि वे अपने चेहरे से निराशा और हार की भावना को मिटाते हुए हमेशा पार्टी के लिए प्रेरणादायक बने रहते हैं।
– 2004-05 का घड़साना किसान आंदोलन, 2006 का बिजली की माँग से संबंधित आंदोलन, और 2017 का राज्यव्यापी किसान आंदोलन, सभी में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
– मोदी सरकार के खिलाफ हुए राष्ट्रीय किसान आंदोलन में भी उन्होंने साल भर साझापुर बॉर्डर पर डटे रहे।
अमराराम का राजनीतिक करियर एक आदर्श उदाहरण है कि कैसे निरंतर संघर्ष और संकल्प से एक नेता अपने समुदाय और पार्टी के लिए महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। उनके व्यक्तित्व में दृढ़ता, शालीनता, और संघर्षशीलता का अद्भुत मेल है, जो उन्हें एक प्रेरणादायक और सम्माननीय नेता बनाता है। उनकी जीत केवल व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि यह उनके संघर्षशील स्वभाव, कांग्रेस के समर्थन, और किसानों के लिए किए गए उनके अथक प्रयासों का परिणाम है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."