दुर्गेश्वर राय की रिपोर्ट
आप भले ही ‘नेशनल इलिजिबिलिटी कम इंट्रेस टेस्ट’ यानी नीट परीक्षा के टॉपर स्टूडेंट्स में शामिल हों, लेकिन हो सकता है कि आपको देश के टॉप मेडिकल कॉलेज एम्स में दाखिला न मिल पाए।
क्यों हो रही है ऐसी स्थिति?
इस साल, नीट परीक्षा में 67 विद्यार्थियों ने फर्स्ट रैंक हासिल किया है, जो एक अभूतपूर्व स्थिति है। चार जून, 2024 को नीट परीक्षा के परिणाम घोषित होने के बाद कई दावे सामने आए हैं कि इस परीक्षा का आयोजन ठीक तरह से नहीं हुआ है।
नीट परीक्षा का महत्व
नीट वो परीक्षा है जिसमें डॉक्टरी की पढ़ाई की इच्छा रखने वाले विद्यार्थी शामिल होते हैं। इसके स्कोर के आधार पर उन्हें मेडिकल कॉलेजों में दाखिला मिलता है। लेकिन इस साल टॉपरों की इतनी बड़ी संख्या ने दाखिला प्रक्रिया में जटिलता पैदा कर दी है।
इस स्थिति के कारण, भले ही आपने नीट में टॉप रैंक हासिल की हो, फिर भी एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में दाखिला मिलना मुश्किल हो सकता है। यह छात्रों और शिक्षा प्रणाली दोनों के लिए चिंता का विषय है और परीक्षा की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है।
परीक्षा केंद्र और प्राप्तांक में विसंगतियां
टॉप रैंक पर आने वाले 67 बच्चों में से छह ने हरियाणा के एक ही परीक्षा केंद्र पर इम्तेहान दिया था। इसके अलावा, कुछ बच्चों को ऐसे प्राप्तांक मिले हैं जो परीक्षा की मार्किंग स्कीम के लिहाज से गणितीय दृष्टि से संभव नहीं थे।
एनटीए का स्पष्टीकरण
इन दावों को खारिज करते हुए, नीट का आयोजन करने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने किसी भी तरह की धांधली या प्रश्न पत्र लीक होने के आरोपों से इनकार किया है। एनटीए ने कहा है कि सिर्फ़ उन्हीं विद्यार्थियों को अतिरिक्त अंक दिए गए हैं जिन्हें प्रश्न पत्र समय पर नहीं मिला था।
छात्रों की मांग और कानूनी कार्रवाई
हालांकि, इस बार नीट में शामिल होने वाले कई विद्यार्थी परीक्षा फिर से आयोजित कराने की मांग कर रहे हैं। देश की कई अदालतों में इसे लेकर मुक़दमे भी दायर किए गए हैं।
नीट परीक्षा में धांधली के आरोपों और प्राप्तांक में विसंगतियों के कारण विवाद उत्पन्न हो गया है। एनटीए ने अपने स्पष्टीकरण में सभी आरोपों को खारिज किया है, लेकिन छात्रों की असंतुष्टि और कानूनी कार्रवाइयों के कारण यह मुद्दा अब भी गरमाया हुआ है। परीक्षा की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए इस मामले का समाधान करना आवश्यक है।
इस बार नीट परीक्षा का आयोजन पांच मई को कराया गया था। नीट परीक्षा में शामिल होने के लिए 24 लाख से अधिक विद्यार्थियों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया था, जिनमें से 23.33 लाख बच्चे परीक्षा में शामिल हुए। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, परीक्षा के परिणाम 14 जून को घोषित होने थे, लेकिन रिज़ल्ट दस दिन पहले यानी चार जून को ही घोषित कर दिए गए।
गड़बड़ी के संकेत
नीट परीक्षा की प्रक्रिया पर नज़र रखने वाले जानकारों के अनुसार, गड़बड़ी का पहला संकेत रिज़ल्ट की जल्दी घोषणा से मिला। इसके अलावा, कोचिंग इंस्टीट्यूट्स और विद्यार्थियों ने नीट परीक्षा को लेकर कई गंभीर चिंताएं सामने रखी हैं।
टॉपरों की अभूतपूर्व संख्या
इस साल 67 बच्चों ने 720 में से 720 अंक हासिल किए, जो कि एक अभूतपूर्व स्थिति है। साल 2023 में यह उपलब्धि केवल दो छात्रों ने हासिल की थी, जबकि 2022 में किसी भी छात्र ने पूरे अंक नहीं हासिल किए थे।
संदिग्ध परीक्षा केंद्र
67 टॉपर स्टूडेंट्स में से 6 बच्चों का परीक्षा केंद्र हरियाणा के झज्जर ज़िले का एक सेंटर था। विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी संभावना सामान्य रूप से बहुत कम है, जो परीक्षा में धांधली के संदेह को बढ़ाती है।
एनटीए का जवाब
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने किसी भी तरह की धांधली या प्रश्न पत्र लीक होने के आरोपों से इनकार किया है। एनटीए ने कहा है कि सिर्फ़ उन्हीं विद्यार्थियों को अतिरिक्त अंक दिए गए हैं जिन्हें प्रश्न पत्र समय पर नहीं मिला था।
छात्रों की मांग
हालांकि, कई विद्यार्थी परीक्षा फिर से आयोजित कराने की मांग कर रहे हैं। देश की कई अदालतों में इसे लेकर मुक़दमे भी दायर किए गए हैं।
नीट परीक्षा 2024 के परिणामों को लेकर संदेह जताने वाले लोग तीन मुख्य बिंदुओं पर ध्यान दिला रहे हैं:
गणितीय विसंगतियां
कुछ छात्रों को 720 में से 718 और 719 नंबर मिले हैं, जो परीक्षा की मार्किंग स्कीम के अनुसार संभव नहीं है। इस परीक्षा में सही उत्तर पर चार अंक मिलते हैं और गलत उत्तर पर एक अंक काट लिया जाता है। इसलिए, अगर किसी छात्र ने सभी सवालों के सही जवाब दिए और एक जवाब गलत हो गया, तो उसे 715 नंबर मिलेंगे, न कि 718 या 719।
पेपर लीक के आरोप
बिहार में पेपर लीक के आरोपों के सिलसिले में एक एफआईआर दर्ज की गई है और 13 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने इस केस की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया है।
क्वॉलिफाइंग स्कोर का बढ़ना
इस साल नीट परीक्षा का क्वॉलिफाइंग स्कोर 164 हो गया है, जो पिछले तीन सालों के 130 स्कोर से काफी ज्यादा है।
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने किसी भी धांधली या पेपर लीक के आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि केवल उन्हीं विद्यार्थियों को अतिरिक्त अंक दिए गए हैं जिन्हें प्रश्न पत्र समय पर नहीं मिला था।
कई विद्यार्थी नीट परीक्षा फिर से आयोजित कराने की मांग कर रहे हैं। देश की कई अदालतों में इसे लेकर मुकदमे भी दायर किए गए हैं।
एनटीए की प्रतिक्रिया: एक स्पष्टीकरण
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने प्रेस रिलीज़ के माध्यम से उन आरोपों का समर्थन किया है, जिन्हें नीट परीक्षा 2024 के परिणामों को लेकर उठाया गया था। एनटीए ने निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं पर अपनी स्थिति प्रकट की है:
ग्रेस मार्क्स का प्रयोग
एनटीए ने बताया है कि 1563 परीक्षार्थियों को ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं, क्योंकि उन्हें परीक्षा के लिए कम समय मिला था। इसे निष्पक्ष रूप से सुनिश्चित करने के लिए सीसीटीवी फ़ुटेज देखा गया और अधिकारियों से बातचीत की गई। इसके लिए, वही फार्मूला अपनाया गया जो सुप्रीम कोर्ट ने कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट के लिए सुझाया था।
नंबर गड़बड़ी और शिकायतें
एनटीए ने पेपर लीक और परीक्षा की शुचिता के समर्थन में कठिन स्थितियों का सम्मान किया है। इसके अलावा, वे परीक्षा के अन्य शिकायतों पर भी कार्रवाई कर रहे हैं।
नतीजों की घोषणा की विलम्ब
एनटीए ने नतीजों को 30 दिनों के भीतर घोषित करने का आश्वासन दिया है। वे जल्दी से जल्द परिणाम जारी करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
एनटीए के इस स्पष्टीकरण से स्पष्ट होता है कि वे नीट परीक्षा 2024 के परिणामों को लेकर उठी गई सभी आलोचनाओं का समर्थन और समाधान करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।
इन विवादास्पद परिस्थितियों में, सोशल मीडिया और शिक्षा संबंधित स्थानों पर उचित वार्ता और जांच की मांग करना सामाजिक जवाबी कर्तव्य है। करियर्स360 के संस्थापक महेश्वर पेरी की बात से स्पष्ट होता है कि इस संकट के समय में पूर्ण जानकारी और पारदर्शिता की मांग की जा रही है।
एनटीए के ट्वीट के माध्यम से ग्रेस मार्क्स की उपस्थिति को स्पष्ट करना उत्तरदायी रीति है, लेकिन अब भी यह मामला गहराई से जांचा जाना चाहिए। गैर-पारदर्शी कार्यवाहियों को सुधारने के लिए संज्ञान लिया जाना चाहिए ताकि विश्वास और निष्ठा की भावना स्थापित की जा सके।
इन बयानों और चिंताओं का महत्वपूर्ण मायने है, और इसे संदर्भ में गहराई से जांचना चाहिए। एनटीए और अन्य संबंधित अधिकारियों को इस मामले में स्पष्टता और पारदर्शिता के संकेत देने के लिए गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। छात्रों के भविष्य के संदर्भ में उनकी चिंताओं को सुना जाना चाहिए और उनकी समस्याओं का समाधान किया जाना चाहिए।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."