इरफान अली लारी की रिपोर्ट
देवरिया का इतिहास काफी पुराना है। माना जाता है कि देवरिया नाम की उत्पत्ति ‘देवारण्य’ या ‘देवपुरिया’ से हुई थी। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार, ‘देवरिया’ नाम इसके मुख्यालय के नाम से लिया गया है और इसका मतलब होता है एक ऐसा स्थान, जहां कई मंदिर होते हैं।
संत देवरहा बाबा की धरती के रूप में इसकी विशेष ख्याति है। बिहार राज्य से सीमा साझा करने वाली देवरिया संसदीय सीट का इतिहास देश के पहले लोकसभा चुनाव 1952 से शुरू होता है। 2014 में यहां से कद्दावर भाजपा नेता कलराज मिश्र जीते थे। उसके बाद रमापति राम त्रिपाठी ने 2019 में भाजपा को जीत दिलाई। यहां लंबे समय तक कांग्रेस का दबदबा रहा है।
विधानसभा, स्थानीय मुद्दे और डेमोग्राफी 1952 में गोरखपुर से अलग हुआ देवरिया जिला कभी गन्ना की खेती के लिए जाना जाता था। क्षेत्र में 14 चीनी मिलें थीं। गन्ने का बकाया मूल्य भुगतान न होने के कारण यहां के किसानों का गन्ने की खेती से मोहभंग होता गया।
औद्योगिक शून्यता, बाढ़, बेरोजगारी प्रमुख मुद्दे हैं। देवरिया लोकसभा के अंतर्गत देवरिया, तमकुही राज, फाजिलनगर, पथरदेवा, रामपुर कारखाना विधानसभा सीटें हैं। 2011 की जनगणना के जिले की आबादी 31 लाख से ज्यादा है।
देवरिया की खास बातें
देवरिया से पहले सांसद विश्वनाथ राय थे। देवरिया लोकसभा के अंतर्गत देवरिया, तमुखी राज, फाजिलनगर,, पथरदेवा, रामपुर कारखाना विधानसभा हैं। देवरिया कभी कोशल राज्य का हिस्सा हुआ करता था। गांधी जी ने देवरिया और पडरौना में 1920 में जनसभा को संबोधित किया था। देवरिया जिला गोरखपुर से 16 मार्च 1946 को अलग हुआ था।
देवरिया एक GENERAL सीट है। BJP, BSP इस निर्वाचन क्षेत्र में मुख्य दल हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में BJP के Ramapati Ram Tripathi ने 249,931 वोटों के अंतर से इस सीट पर जीत हासिल की थी। उन्हें 57.00 % वोट शेयर के साथ 580,644 वोट मिले थे। उन्होंने BSP के Binod Kumar Jaiswal को हराया था, जिन्हें 330,713 वोट (32.56 %) मिले थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में Kalraj Mishra ने इस सीट से जीत हासिल की थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में Kalraj Mishra को 51.07 % वोट शेयर के साथ 496,500 वोट मिले थे। BSP उम्मीदवार Niyaj Ahmad को 231,114 वोट (23.77 %) मिले। Kalraj Mishra ने Niyaj Ahmad को 265,386 वोटों के अंतर से हराया था।
देवरिया जिला प्रदेश के हाई प्रोफाइल जिलों में गिना जाता है। इस सीट से राज्य के कई कद्दावर नेता चुनाव लड़ चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी ने यहां पर पिछले दो लोकसभा इलेक्शन में जीत दर्ज की है, इस चुनाव में भी जीतकर बीजेपी हैट्रिक लगाना चाहती है। वहीं, बात अगर कांग्रेस पार्टी की करें तो कांग्रेस को 1984 के बाद से इस सीट पर कभी जीत नहीं मिल सकी और उसे 40 साल से अपनी पहली जीत का इंतजार है।
साल 2019 में देवरिया लोकसभा सीट का परिणाम (Deoria Lok Sabha Elections Result 2019)
2019 के लोकसभा इलेक्शन में भारतीय जनता पार्टी ने रमापति राम त्रिपाठी को मैदान में उतारा और उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के विनोद कुमार जयसवाल को शिकस्त दी। रमापति राम त्रिपाठी को 580,644 वोट मिले तो बिनोद कुमार जयसवाल के खाते में 3,30,713 वोट आए। बीजेपी के उम्मीदवार रमापति ने 2,49,931 वोटों के अंतर से यह चुनाव जीत लिया। कांग्रेस के नियाज अहमद 51056 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे। यहां पर एक खास बात यह रही कि नोटा के पक्ष में भी करीब 13,421 वोट पड़े।
साल 2014 में देवरिया लोकसभा सीट का परिणाम (Deoria Lok Sabha Elections Result 2014)
साल 2014 के लोकसभा इलेक्शन की बात करें तो पूरे देश में मोदी लहर चल रही थी। भारतीय जनता पार्टी ने इस लोकसभा सीट से कलराज मिश्रा को टिकट दिया था। कलराज मिश्रा को चुनाव में 4,96,500 वोट मिले थे। वहीं, बहुजन समाज पार्टी के नियाज अहमद को 231114 वोट मिले थे। वह दूसरे नंबर पर रहे थे। कांग्रेस के प्रत्याशी सभा कुंवर के खाते में 37752 वोट आए। साथ ही, समाजवादी पार्टी के बालेश्वर यादव को 150852 वोटों से ही संतोष करना पड़ा था।
देवरिया लोकसभा सीट का जातीय समीकरण
यहां पर कुल वोटर 17,29,583 है। जिसमें पुरुष वोटर की संख्या 9,44,821 और महिला वोटर की संख्या 7,84,666 हैं। 96 अन्य वोटर के रूप में शामिल हैं। जाति के आधार पर देखा जाए तो यहां पर जनरल कैटेगरी की आबादी 81 फीसदी है तो अनुसूचित जाति की आबादी 15 फीसदी और अनुसूचित जनजाति की महज 4 फीसदी आबादी है।
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."