हरीश चन्द्र गुप्ता की रिपोर्ट
रायपुर। लोकसभा चुनाव परिणाम से स्पष्ट संकेत है कि छत्तीसगढ़ के मतदाताओं ने डबल इंजन की सरकार में विकास की उम्मीद के साथ मतदान किया। अपने छह महीने के कार्यकाल में प्रदेश के पहले आदिवासी मुख्यमंत्री काफी हद तक जनता का भरोसा जीतने में सफल रहे। विधानसभा चुनाव के संकल्प-पत्र के कार्यान्वयन का इसमें महत्वपूर्ण योगदान रहा।
साथ ही यह भी माना जा सकता है कि कांग्रेस की गुटबाजी और भ्रष्टाचार के आरोपितों की उम्मीदवारी ने भी 11 में 10 सीटों पर भाजपा की राह को आसान बनाया। कांग्रेस के नेता व नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत की पत्नी डॉ. ज्योत्सना महंत ने कोरबा से जीत पाई है। उन्होंने भाजपा की पूर्व राज्यसभा सदस्य डॉ. सरोज पांडेय को पराजित किया है।
राज्य की हाई प्रोफाइल सीट राजनांदगांव लोकसभा सीट के चुनाव परिणाम घोषित हो गए हैं। यहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला था। राजनांदगांव लोकसभा सीट में दूसरे चरण में 26 अप्रैल को वोटिंग हुई थी। बीजेपी उम्मीदवार संतोष पांडेय ने भूपेश बघेल को चुनाव हारा दिया है। भूपेश बघेल को 667646 वोट मिले। वहीं, बीजेपी उम्मीदवार 712057 वोट पाकर पहले स्थान पर रहे। भूपेश बघेल 44411 वोट से अपना चुनाव हार गए।
राजनांदगांव लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने राज्य के पूर्व सीएम भूपेश बघेल को उम्मीदवार बनाया था। वहीं, बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद संतोष पांडेय को टिकट दिया था। भूपेश बघेल के समर्थन में प्रियंका गांधी ने चुनावी रैली की थी। वहीं, संतोष पांडेय के लिए सीएम विष्णुदेव साय के अलावा यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जनसभाएं की थीं।
राजनांदगांव लोकसभा सीट के समीकरण
राजनांदगांव लोकसभा सीट पर ओबीसी वोटर्स बड़ी संख्या में हैं। कांग्रेस ने यहां ओबीसी वोटर्स को साधने के लिए भूपेश बघेल को मैदान में उतारा था। भूपेश बघेल राज्य में कांग्रेस के सबसे बड़े ओबीसी नेताओं में से एक हैं। वहीं, सीएम रहते उनकी लोकप्रियता को भुनाने के लिए दांव चला था। जिस कारण यह सीट राज्य की हाईप्रोफाइल सीटों में शामिल हो गई।
राजनांदगांव लोकसभा सीट पर कैसा रहा मतदान
राजनांदगांव लोकसभा सीट पर इस बार वोटिंग को लेकऱ लोगों में अच्छा खासा उत्साह दिखाई दिया। इस बार राजनांदगांव निर्वाचन क्षेत्र में 77.42 प्रतिशत मतदान हुआ जो 2019 के मुकाबले में अधिक है। यहां महिला वोटर्स में वोटिंग को लेकर जमकर उत्साह देखने को मिला था।
उल्लेखनीय है कि 2018 में 68 सीटें जीतकर प्रदेश की सत्ता पर काबिज भूपेश बघेल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को प्रदेश की सिर्फ दो सीटें ही जिताने में सफल रहे थे।
ये दिग्गज नेता हारे
कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को राजनांदगांव, कवासी लखमा को बस्तर और देवेंद्र यादव को बिलासपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारा था। तीनों के नाम 540 करोड़ रुपये के कोयला परिवहन घोटाला, 2,100 करोड़ के आबकारी घोटाला और हजारों करोड़ रुपये के महादेव सट्टा एप से जुड़े भ्रष्टाचार में शामिल हैं।
इसी तरह विधायक और मंत्री रहते हुए पराजित शिवकुमार डाहरिया, ताम्रध्वज साहू और विकास उपाध्याय को कांग्रेस ने क्रमश: जांजगीर चांपा, महासमुंद और रायपुर संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया। साय के नेतृत्व को स्वीकार करते हुए जनता ने इन सभी को नकार दिया। भाजपा से पूर्व राज्यसभा सदस्य डॉ. सरोज पांडेय भी चुनाव हार गईं।
जीत की प्रमुख वजह प्रदेश में भाजपा की जीत सुनिश्चित कराने में लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही उम्मीदवारों की घोषणा ने भी अहम योगदान किया।
Author: samachar
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