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11 January 2025 4:36 am

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मोदी लहर का पूरा असर ; भाजपा प्रत्याशी शशांक मणि लगातार बढत की ओर

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इरफान अली लारी की रिपोर्ट

देवरिया लोकसभा सीट सवर्ण बाहुल्य मानी जाती है। यहां दलित और पिछड़ा मतदाता भी किसी प्रत्याशी की जीत हार तय करने में सक्षम हैं। यहां 17 लाख 29 हजार 563 वोट हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव भाजपा को हराने के लिए सपा बसपा की गठबंधन किया था। मगर स्वर्ण और गैर यादव ओबीसी वोट के फैक्टर ने सपा बसपा गठबंधन को चित कर दिया।

आपको बता दें, उत्तर प्रदेश में इस बार देवरिया लोकसभा चुनाव में भाजपा और सपा कांग्रेस गठबंधन के बीच आमने-सामने का मुकाबला मुकाबला देखने को मिला। लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी जहां अपनी जीत बरकरार रखने की कोशिश में है। 

वहीं कांग्रेस सपा के समर्थन से यहां वापसी की कोशिश में है। इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी की भी अच्छी पकड़ रही है। पिछली बार सपा के साथ गठबंधन के तहत बसपा ने बेहतर प्रदर्शन किया था। इस बार बसपा अकेले मैदान में हैं और संदेश यादव को प्रत्याशी बनाया है। 

वहीं भाजपा ने चेहरा बदल कर शशांक मणि को मैदान में उतारा है। 2014 में भाजपा से कलराज मिश्र और 2019 के चुनाव में भाजपा से रमापति राम त्रिपाठी यहां से जीत दर्ज कर चुके हैं। कांग्रेस सपा गठबंधन मैं यह सीट कांग्रेस को मिली हैं। कांग्रेस ने अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता पूर्व विधायक अखिलेश प्रताप सिंह को मैदान में उतारा है। इस लोकसभा सीट पर अंतिम चरण में 1 जून को मतदान हुआ।

01.36 बजे: देवरिया लोकसभा सीट पर भाजपा के शशांक मणि 14 हजार वोट से आगे चल रहे हैं। अब तक इन्हें 2.67 लाख वोट मिले हैं। वहीं दूसरे नंबर पर कांग्रेस के अखिलेश प्रताप सिंह 2.53 लाख वोट के साथ टक्कर दे रहे हैं।

उत्तर प्रदेश देवरिया लोकसभा चुनाव 2019 का परिणाम

लोकसभा चुनाव 2019 में सपा बसपा गठबंधन के बाद भी भाजपा के रमापति राम त्रिपाठी 5,80,644 वोट पाकर सपा बसपा गठबंधन के विनोद जायसवाल को लगभग ढाई लाख मतों से हराया था। विनोद जायसवाल को 3,30,713 मत मिले। कांग्रेस की नियाज अहमद 51,056 मत पाकर तीसरे स्थान पर थे।

देवरिया लोकसभा सीट पर 1951 से अब तक कौन जीता

देवरिया लोकसभा सीट पर अब तक हुए चुनावों में सबसे ज्यादा 6 बार कांग्रेस जीती है। सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी और जनता दल एक-एक बार समाजवादी पार्टी तीन बार, बसपा एक बार और भाजपा चार बार चुनाव जीती है। 1951 में कांग्रेस के विश्वनाथ राय, सरजू प्रसाद मिश्र जीते। 1957 के चुनाव में कांग्रेस हार गई और सोशलिस्ट पार्टी के रामजी वर्मा जीते। 1962, 1967, 1971 में फिर कांग्रेस के विश्वनाथ राय जीते। 1977 में जनता पार्टी के उग्रसेन सिंह, 1980 में कांग्रेस के रामायण राय, 1984 में कांग्रेस के राजमंगल पाण्डेय, 1989 में जनता दल से राजमंगल पाण्डेय, 1991 में सपा के मोहन सिंह, 1996 में भाजपा के श्री प्रकाश मणि त्रिपाठी, 1998 में सपा के मोहन सिंह, 1999 में फिर भाजपा के श्री प्रकाश मणि त्रिपाठी जीते। 2004 में सपा के मोहन सिंह जीते। 2009 में बसपा का खाता खुला और गोरख प्रसाद जायसवाल जीते। 2014 में भाजपा के कलराज मिश्र व 2019 में भाजपा के रमापति राम त्रिपाठी चुनाव जीते।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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