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December 3, 2024 1:55 am

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उम्र 14 साल और हैवानियत ऐसी कि किसी की भी जान लेना इसके लिए हंसी मजाक जैसा था…चलता फिरता यमदूत कहलाता था

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

मुन्ना बजरंगी… 80 के दशक में आतंक का दूसरा नाम। साए की तरह कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी के साथ रहने वाला शार्प शूटर। जो बंदूकों से खिलौनों की तरह खेलता था। और जिसके लिए, किसी की भी जान लेना हंसी-मजाक जैसा था। 9 जुलाई 2018 को इसी मुन्ना बजरंगी की यूपी की बागपत जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्या का इल्जाम था दूसरे गैंगस्टर सुनील राठी पर। अब 6 साल बाद इस मामले में सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कई अहम खुलासे किए हैं। इन खुलासों के बाद मुन्ना बजरंगी फिर से खबरों में है। 

ऐसे में आइए आपको बताते हैं कि आखिर प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी जुर्म की दुनिया में कैसे आया? मुख्तार अंसारी ने कुछ ही दिनों के भीतर उसे अपना खासमखास क्यों बना लिया?

बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में साल 2009 में मुन्ना बजरंगी की गिरफ्तारी हुई थी। पूछताछ हुई, तो चौंकाने वाले राज खुले। यूपी में जौनपुर के पूरे दयाल गांव में रहने वाले प्रेम प्रकाश ने 5वीं के बाद ही पढ़ाई छोड़ दी थी। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जब वो महज 14 साल का था, तो घरवालों ने उसकी मर्जी के बिना जबरन उसकी शादी करा दी। शादी को महज 4-5 दिन ही बीते थे कि उसके चाचा का गांव में एक विवाद हो गया। भुल्लन सिंह नाम के एक शख्स ने उसके चाचा को सरेआम गालियां दी। ये बात प्रेम प्रकाश को चुभ गई।

चाचा के अपमान पर कर दिया मर्डर

प्रेम प्रकाश ने अपने चाचा के अपमान का बदला लेने की ठान ली। उसने कहीं से 250 रुपए में एक कट्टा खरीदा। कट्टा लेकर वो भुल्लन के घर पहुंचा और उसे गोली मार दी। गांव में हल्ला मच गया। पुलिस पहुंची, लेकिन तब तक प्रेम प्रकाश भाग चुका। 

जुर्म की दुनिया में ये प्रेम प्रकाश का पहला कदम था। इसके बाद उसके कदम अपराध जगत की तरफ मुड़े गए। उसने अपना नाम भी प्रेम प्रकाश से मुन्ना बजरंगी रख लिया। शुरुआत में मार-पिटाई जैसे छोटे मामलों में उसका नाम आया, लेकिन बहुत जल्द वो पूर्वांचल का कुख्यात डॉन बनने की तरफ चल पड़ा।

मुख्तार के गैंग में एंट्री और बन गया खासमखास

सबसे पहले उसने जौनपुर के गैंगस्टर गजराज सिंह से हाथ मिलाया और उसके लिए काम करने लगा। उन दिनों अपराध जगत में पूर्वांचल का एक नाम तेजी से आगे बढ़ रहा था। ये नाम था- मुख्तार अंसारी। मुन्ना बजरंगी उसके गैंग में शामिल हो गया। 

1984 में यूपी में दिनदहाड़े एक बिजनेसमैन का मर्डर हुआ। इस मर्डर को मुन्ना बजरंगी ने ही अंजाम दिया था। अब जुर्म की दुनिया में मुन्ना बजरंगी का सिक्का चलने लगा था। ऐसे में मुख्तार अंसारी ने उसे सरकारी ठेके हासिल करने का काम सौंपा। मुन्ना उसके भरोसे से कहीं ज्यादा बढ़कर साबित हुआ। अब वो मुख्तार का राइट हैंड बन चुका था।

सीमा सिंह से की मुन्ना बजरंगी ने लव मैरिज

मुख्तार अंसारी ने भी मुन्ना बजरंगी का पूरा साथ दिया। एक दिन जब दोनों कहीं से लौट रहे थे, तो रास्ते में उनके ऊपर दुश्मन गैंग ने फायरिंग की। मुख्तार ने फायरिंग के बीच से मुन्ना को बचा लिया। इस हमले में दोनों को हल्की चोटें आईं। लेकिन, इसके बाद मुख्तार और मुन्ना के बीच भरोसा और बढ़ गया। इसी बीच 1998 में उसकी जिंदगी में सीमा सिंह नाम की महिला आई। दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे और बाद में शादी कर ली। 

शादी के बाद दोनों दिल्ली आए, लेकिन यहां पुलिस के साथ उसकी मुठभेड़ हो गई। पुलिस की गोलियों से मुन्ना घायल हो गया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

कृष्णानंद राय हत्याकांड को दिया अंजाम

2002 में मुन्ना जेल से बाहर आया और मुख्तार ने उसके रहने का इंतजाम मुंबई में कर दिया। हालांकि, मुंबई में उसका ठिकाना ज्यादा दिन के लिए नहीं था। तीन साल बाद ही मुख्तार के कहने पर वो वापस गाजीपुर लौट आया। 

साल 2015 में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की निर्मम तरीके से गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड को मुख्तार के कहने पर मुन्ना बजरंगी ने ही अंजाम दिया था। हत्या के बाद मुन्ना फरार हो गया, लेकिन 2009 में उसे मुंबई से गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद वो अपनी हत्या होने तक जेल में ही रहा।

इस खौफ का अंत भी काफी भयंकर हुआ

सुबह करीब 6 बजे का वक्त रहा होगा। मौसम में भारी उमस थी। तारीख थी 9 जुलाई, साल 2018… और जगह यूपी के बागपत जिले का केंद्रीय कारागार। चाय पीने के लिए जेल के कैदी अपनी-अपनी बैरक से निकले और कॉमन एरिया की तरफ बढ़े। हर रोज की तरह उस दिन भी जेल में आम हलचल थी। तभी अचानक, ठांय की आवाज सुनाई दी। कैदी कुछ समझ पाते, इससे पहले ही एक-एक कर दस फायर हुए। गोलियां चलने की ये आवाज तन्हाई बैरक की तरफ से आई थी। कैदियों में भगदड़ मच गई। कुछ अपनी बैरक की तरफ भागे और कुछ गोलियों आवाज की तरफ। लेकिन, तन्हाई बैरक के मेन गेट पर ताला लगा था। अब तक कैदी समझ चुके थे कि जेल में गैंगवार हुआ है।

जेल के आला अफसर मौके पर पहुंचे। आनन-फानन में तन्हाई बैरक का ताला तोड़ा गया। अंदर जाकर देखा तो सामने खून से लथपथ एक लाश पड़ी थी। लाश थी कुख्यात गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी की। वो मुन्ना बजरंगी, जो पूर्वांचल के खूंखार माफिया मुख्तार अंसारी का राइट हैंड था। जिसे चलता-फिरता यमदूत कहा जता था। और, इस कत्ल को अंजाम दिया था एक दूसरे गैंगस्टर सुनील राठी ने। कत्ल को पूरी प्लानिंग के साथ अंजाम दिया गया था। मुन्ना बजरंगी के बचने की कोई गुंजाइश ना रहे, इसलिए दो गोलियां सिर में मारी गईं। बीच-बचाव में कोई कैदी ना आ सके, इसलिए तन्हाई बैरक पर ताला जड़ दिया गया। गोली मारने के तुरंत बाद पिस्टल भी गटर में फेंक दी गईं।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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