आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
बुंदेलखंड की लोकसभा सीटों में से एक सीट है बांदा, यह लोकसभा सीट केन और यमुना नदी के बीच बसा हुआ है और इसके आस-पास काफी दर्शनीय स्थल मौजूद हैं। साथ ही यहां इतिहास से जु़ड़ी कई रोचक जगहें भी मौजूद हैं। जिन्हे देखने के लिए दूर दूर से सैलानी आते हैं।
जितना खूबसूरत इस शहर का इतिहास है। उतना ही खूबसूरत इस लोकसभा सीट का भी इतिहास है। यहां अब तक 16 बार लोकसभा के चुनाव हो चुके हैं।
पहली बार 1957 में यहां चुनाव हुए और राजा दिनेश सिंह सांसद चुने गए। इसके बाद 1962 में राजा दिनेश की जगह सावित्री निगम कांग्रेस से सांसद बनी। 1967 के लोकसभा चुनाव में सीपीआई से जागेश्वर यहां से सांसद बने। 1971 के चुनाव में जनसंघ से राम रतन शर्मा ने चुनाव जीता।
1977 के लोकसभा चुनाव में लोकदल के अंबिका प्रसाद यहां से सांसद बने लेकिन 1980 के चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर से वापसी की और यहां रामनाथ दुबे सांसद बने।
1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से ही भीष्मदेव दूबे चुनाव जीतकर संसद पहुंचे, लेकिन इसके बाद इस सीट पर कांग्रेस कभी वापस नहीं आ पाई। लेकिन 1989 में सीपीआई दूसरी बार यहां जीत हासिल करने में कामयाब रही और राम सजीवन यहां से सांसद बने, राम मंदिर के दौर में पहली बार यहां बीजेपी ने जीत का स्वाद चखा और 1991 में हुए चुनाव में प्रकाश नारायण यहां से जीत कर संसद पहुंचे। लेकिन इसके बाद ही 1996 के चुनाव मे सीपीआई से बसपा में गए राम सजीवन बसपा के टिकट पर चुनाव जीत गए।
1998 में यहां हुए चुनाव में बीजेपी के रमेश चंद द्विवेदी ने यहां बीजेपी की वापसी कराई। लेकिन अगले साल 1999 में हुए चुनाव में बसपा ने बीजेपी को मात दे दी…और राम सजीवन सांसद बने। वहीं 2004 में समाजवादी पार्टी ने कारोबारी श्यामा चरण गुप्ता को मैदान में उतारा और श्यामाचरण चुनाव जीत गए। लेकिन अगले ही चुनाव में सपा ने अपना प्रत्याशी बदल दिया और 2009 के चुनाव में सपा से आरके पटेल चुनाव लड़े और संसद पहुंचे…2014 के मोदी लहर में बीजेपी के टिकट पर भैरो प्रसाद मिश्र यहां से सांसद चुने गए और 2019 में भी इस सीट पर बीजेपी का कमल खिला.. बांदा और चित्रकूट जिले की कुल पांच विधानसभा सीटें इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं।
आइए आपको बताते हैं कि बांदा और चित्रकूट जिले की कौन सी विधानसभा सीटें बांदा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं।
साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इस लोकसभा क्षेत्र के 5 में से 2 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी,जबकि 2 सीटों पर सपा और एक सीट पर अपना दल S ने जीत दर्ज की थी।
2024 में बांदा सीट पर मतदाताओं की संख्या
इस बार 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में बांदा लोकसभा सीट पर कुल 19 लाख 96 हज़ार 599 वोटर अपने मत का प्रयोग करेंगे। जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 10 लाख 89 हज़ार 269 है। जबकि महिला वोटरों की संख्या 09 लाख 07 हज़ार 221 है।
एक नजर 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
अब एक नजर पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों पर डालें तो साल 2019 में इस सीट पर बीजेपी के आर.के. सिंह पटेल ने 4 लाख 77 हजार 926 वोट हासिल कर जीत का परचम लहराया था तो ,वहीं सपा के श्यामा चरण गुप्ता 4 लाख 18 हजार 988 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे जबकि कांग्रेस बलकुमार पटेल उर्फ राजकुमार को 75 हजार 438 को वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे।
एक नजर 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
अब एक नजर 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर डालें तो साल 2014 में इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी भैरो प्रसाद मिश्रा ने जीत दर्ज की। भैरो प्रसाद मिश्र को कुल 3 लाख 42 हज़ार 66 वोट मिले।
वहीं दूसरे नंबर पर बसपा के आर.के पटेल रहे, आर.के. पटेल को कुल 2 लाख 26 हज़ार 278 वोट मिले, तीसरे नंबर पर सपा प्रत्याशी बाल कुमार पटेल रहे। बालकुमार को कुल 1 लाख 89 हज़ार 730 वोट मिले।
एक नजर 2009 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
2009 में हुए लोकसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी आर.के. पटेल यहां से जीत कर संसद पहुंचे थे, आर.के. पटेल को 2 लाख 40 हज़ार 948 वोट मिले थे। वहीं दूसरे नंबर पर बसपा के भैरो प्रसाद मिश्रा रहे। भैरो प्रसाद मिश्रा को कुल 2 लाख 6 हज़ार 355 वोट मिले…तीसरे नंबर पर बीजेपी के अमित वाजपेयी रहे। अमित को कुल 85 हज़ार 587 वोट मिले।
एक नजर 2004 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
2004 में हुए लोकसभा चुनाव में सपा से श्यामा चरण गुप्ता ने चुनाव लड़ा और जीत गए..श्यामा चरण गुप्ता को कुल 1 लाख 85 हज़ार 99 वोट मिले। वहीं दूसरे नंबर पर बसपा के राम सजीवन रहे। राम सजीवन को कुल 1 लाख 28 हज़ार 795 वोट मिले, तीसरे नंबर पर बीजेपी के भैरो प्रसाद मिश्र रहे। भैरो प्रसाद मिश्र को कुल 1 लाख 22 हज़ार 405 वोट मिले।
इस संसदीय सीट पर कभी किसी दल का लंबे समय तक दबदबा नहीं रहा है, यहां पर अब तक हुए चुनाव में किसी भी दल ने चुनावी जीत की हैट्रिक नहीं लगाई है।
समाजवादी पार्टी 2014 में हार के साथ ही हैट्रिक से चूक गई, लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी भी हैट्रिक की रेस में है। हालांकि इस बार मुकाबला कांटे का होने वाला है क्योंकि 2019 के चुनाव में बीजेपी को कड़े मुकाबले में जीत मिली थी। इस बार चुनाव में यूपी में सपा और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में इस बार इस सीट पर बीजेपी के लिए जीत की हैट्रिक लगना इतना आसान नहीं होगा।
अब बांदा संसदीय सीट के जातिगत समीकरण को देखें तो इस संसदीय क्षेत्र में ब्राह्मण और कुर्मी वोटरों की संख्या अधिक है.. कहा जाता है कि इनका वोट जिसकी तरफ जाता है, वही संसद पहुंचता है।
इस लोकसभा सीट से ब्राह्मण और कुर्मी नेताओं को सबसे ज्यादा सांसद बनने का मौका मिला है। अगर वोटरों की बात करें तो इस लोकसभा क्षेत्र में ढाई लाख से ज्यादा ब्राह्मण मतदाता हैं। इसी के आसपास कुर्मी यानी पटेल मतदाता हैं। जो हमेशा जीत-हार की दिशा तय करता है। इससे सभी राजनीतिक दल रूबरू हैं।
इस बार बीजेपी और सपा ने पटेल जाति के ही उम्मीदवार पर दांव खेला है। 2024 की चुनावी जंग में बीजेपी ने फिर से मौजूदा सांसद आरके सिंह पटेल को ही दूसरी बार अपना उम्मीदवार बनाया है। वो कुर्मी वर्ग से आते हैं। जबकि सपा ने उसी वर्ग से आने वाली कुर्मी बिरादरी के शिव शंकर पटेल को मैदान में उतारा है। बसपा ने बांदा में अभी अपने पत्ते नहीं खोले है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."