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November 22, 2024 5:51 pm

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सपा-भाजपा में कांटे की टक्कर को बढ़ावा देने से बाज नही आ रहे गुड्डू जमाली

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जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट

2022 के उपचुनाव के बाद अब लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) में आजमगढ़ सीट पर फिर सपा और भाजपा में कांटे की टक्कर हो सकती है। बसपा छोड़कर शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली (Guddu Jamali) ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है। 

आजमगढ़ की मुबारकपुर सीट से 2 बार बसपा विधायक रहे गुड्डू जमाली की जिले में अच्छी पकड़ बताई जाती है। उन्होंने आजमगढ़ लोकसभा सीट (Azamgarh Lok Sabha Seat) से 2014 का चुनाव और 2022 का उपचुनाव बसपा के टिकट पर लड़ा था, जिसमें उन्होंने कड़ी टक्कर दी थी।

सपा के लिए गुड्डू जमाली कितने बड़े फैक्टर?

साल 2022 के उपचुनाव में भाजपा के प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ (Dinesh Lal Yadav Nirahua) ने सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को हराकर जीत हासिल की थी। इस दौरान निरहुआ को 3.12 लाख वोट तो धर्मेंद्र यादव को 3.04 लाख वोट मिले थे। वहीं, बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार के रूप में खड़े गुड्डू जमाली को 2,66,210 वोट मिले थे। 

अगर 2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो आजमगढ़ से गुड्डू जमाली 2.66 लाख वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थे, जबकि सपा वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने 3.40 लाख वोट के साथ इस सीट पर जीत का झंडा लहराया था।

भाजपा ने निरहुआ पर जताया भरोसा

बीजेपी ने हाल ही में 195 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, जिनमें यूपी की 51 सीटें शामिल हैं। इसमें भाजपा ने आजमगढ़ सीट से मौजूदा सांसद और भोजपुरी अभिनेता दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ को एक बार फिर उम्मीदवार घोषित किया है। 

वहीं, अगर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की बात करें तो सपा ने अभी इस सीट से किसी को भी टिकट नहीं दिया है। अब यह कयास लगाए जा रहे हैं कि समाजवादी पार्टी इस सीट से गुड्डू जमाली को टिकट दे सकती है।

आजमगढ़ सीट पर मुस्लिम और यादव उम्मीदवारों की जीत

अगर पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजे पर नजर डालें तो 1996 से आजमगढ़ लोकसभा सीट पर मुस्लिम और यादव उम्मीदवार ही जीतते आ रहे हैं। 

साल 1996 और 1999 में सपा उम्मीदवार रमाकांत यादव ने यह सीट जीती थी। इसके बाद उन्होंने 2004 में बसपा और 2009 में भाजपा के टिकट पर इस सीट पर फिर से जीत हासिल की। 

वहीं, 1998 और 2008 के उपचुनाव में बसपा के अकबर अहमद डंपी जीते थे। इसके बाद 2014 में मोदी लहर के बावजूद मुलायम सिंह यादव जीतने में सफल रहे।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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