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18 January 2025 6:30 pm

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ऊफ्फ…ये भीड़ और तकलीफ….लेकिन भावुक कर देने वाली ये आस्था की तस्वीर….सबका मन मोह रही है… 

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

किसी की आंख में आंसू, कोई थक-हार बैरिकेड से निकल आया, ऊपर से देखो तो सिर्फ सिर ही सिर… प्राण प्रतिष्‍ठा के बाद अयोध्‍या के राम मंदिर में तिल रखने की जगह नहीं है। राम भक्‍तों से मंदिर खचाखच भरा है। मंगलवार सुबह तीन बजे से ही मंदिर में भक्तों की कतार लग गई। इनमें साधु-संतों के साथ महिलाएं और बच्‍चे भी दिखे। जितने लोग मंदिर के अंदर उससे दोगुने बाहर। भीड़ है, तकलीफ है, लेकिन अपने रामलला की एक झलक जल्‍दी से देख लेने की जिद भी। 

अयोध्‍या से आईं आस्‍था की तमाम तस्‍वीरों ने भावुक कर दिया। राम मंदिर में ऐसी अभूतपूर्व भीड़ कभी नहीं देखी गई।

कल तक शानदार दिख रही व्‍यवस्‍था एकदम से चरामरा गई। नौबत यह आ गई कि मंदिर के अंदर ATS कमांडो तक भेजने पड़ गए। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने भी अव्‍यवस्‍था पर नाराजगी जाहिर कर दी।

भक्‍तों का उमड़ना तय था

प्राण प्रतिष्‍ठा के बाद मंदिर में जनसैलाब का उमड़ना तय था। हुआ भी वही। राम भक्‍तों की भीड़ भगवान के दर्शन करने को पूरी उमंग के साथ पहुंच गई। रामनगरी में कई लोग अपना सामान तक लेकर पहुंचे हुए हैं। भीड़ से अफरातफरी जैसे हालात हैं। फिर भी दर्शन करने का जज्‍बा बना हुआ है।

बच्‍चे, बूढ़े, साधु-संत से लेकर महिलाएं तक इस भीड़ का हिस्‍सा हैं। बड़ी संख्‍या में लोग सोमवार को प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए आए थे। फिर वे मंदिर में पूजा करने के लिए यहीं रुक गए। बाहरी लोगों के साथ स्‍थानीय लोग भी जब मंदिर पहुंचे तो तकलीफ और ज्‍यादा बढ़ गई। 

कई जगह महिलाओं को बैरिकेड से निकलते देखा गया। वजह कई थीं। किसी का बच्‍चा इधर-उधर हो गया तो किसी का घंटों कतार में लगकर धैर्य जवाब दे गया। मंदिर में वैसे इंतजाम नहीं थे, जिसकी उम्‍मीद थी। पहले से ही पता था कि बड़ी संख्‍या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचेंगे। लेकिन, इसके प्रबंधन के लिए इंतजामों की बिल्‍कुल कमी दिखी।

भक्‍तों में बच्‍चे भी शामिल रहे। इन्‍हें भी राम भक्ति में लीन देखा गया। हालांकि, इतनी भीड़ देखकर वह भी सहमे-सहमे से दिखे। कई बच्‍चों को तो चीखते-चिल्‍लाते और बिलखते देखा गया। बेशक, सुरक्षाकर्मियों ने बच्‍चों और महिलाओं पर फोकस बनाए रखा था। बावजूद इसके कमियां साफ दिखाई दीं।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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