Explore

Search

November 1, 2024 9:00 pm

‘सब नर करहिं परस्पर प्रीति, चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीति’ ; यहाँ अब गोलियां नहीं चलेंगी, आनंद का उत्सव होगा 

1 Views

आत्माराम त्रिपाठी की प्रस्तुति

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले अपने मन के भाव रखे हैं। सीएम योगी ने 22 जनवरी के कार्यक्रम को लेकर कहा कि हम जिस बालरूप की वंदना कर रहे हैं, वह हमारे रामलला हैं। शताब्दियों से रामभक्तों ने जो सपना देखा, आज वह पूरा होने जा रहा है। हमने लंबा संघर्ष किया। लेकिन, रामभक्तों ने कभी भी मर्यादा की लकीर नहीं लांघी। यही कारण है रामलला आज हम सबके बीच फिर से आ रहे हैं। अखबार ‘नवभारत टाइम्स’ में सीएम योगी आदित्यनाथ का लेख छपा है। हम यहां उसे हूबहू पेश कर रहे हैं-

जासु बिरहँ सोचहु दिन राती। रटहु निरंतर गुन गन पाँती॥

रघुकुल तिलक सुजन सुखदाता। आयउ कुसल देव मुनि त्राता॥

शताब्दियों की प्रतीक्षा, पीढ़ियों के संघर्ष और पूर्वजों के व्रत को सफल करते हुए सनातन संस्कृति के प्राण रघुनंदन राघव रामलला, अपनी जन्मभूमि अवधपुरी में नव्य-भव्य-दिव्य मंदिर में अपने भक्तों के भावों से भरे संकल्‍प स्‍वरूप सिंहासन पर प्रतिष्ठित होने जा रहे हैं। 500 बरसों के बहुत लंबे अंतराल के बाद आए इस ऐतिहासिक और अत्यंत पावन अवसर पर आज पूरा भारत भाव विभोर और भाव विह्वल है। पूरी दुनिया की दृष्टि आज मोक्षदायिनी अयोध्याधाम पर है। हर मार्ग श्रीरामजन्मभूमि की ओर आ रहा है। हर आंख आनंद और संतोष के आंसू से भीगी है। हर जिह्वा पर राम-राम है। समूचा राष्ट्र राममय है।

पीढियों से इस दिन की प्रतीक्षा

आखिर भारतवर्ष को इसी दिन की तो प्रतीक्षा थी। इसी दिन की प्रतीक्षा में दर्जनों पीढियां अधूरी कामना लिए धराधाम से साकेतधाम को प्रस्थान कर गईं। श्रीअयोध्याधाम में श्रीरामलला के बालरूप विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा भर ही नहीं हो रही, बल्कि लोकआस्था और जनविश्वास भी फिर से प्रतिष्ठित हो रहा है। अपने खोए हुए गौरव को फिर पाने के लिए अयोध्या नगरी सज रही है। न्‍याय और सत्‍य के संयु‍क्‍त विजय का यह उल्‍लास अतीत की कटु स्‍मृतियों को भूलकर, नए कथानक रच रहा है। यह पावन वेला समाज में समरसता की सुधा सरिता प्रवाहित कर रही है।

मुक्ति महायज्ञ ने देश को एक सूत्र में बांधा

श्रीरामजन्मभूमि मुक्ति महायज्ञ न सिर्फ सनातन आस्था और विश्वास की परीक्षा का काल रहा, बल्कि संपूर्ण भारत को एकता के सूत्र में बांधने के लिए राष्ट्र की सामूहिक चेतना जागरण के ध्येय में भी सफल सिद्ध हुआ है। श्रीरामजन्मभूमि, शायद विश्व में पहला ऐसा अनूठा प्रकरण रहा होगा, जिसमें किसी राष्ट्र के बहुसंख्यक समाज ने अपने ही देश में अपने आराध्य की जन्मस्थली पर मंदिर निर्माण के लिए इतने बरसों तक और इतने स्तरों पर लड़ाई लड़ी हो। संन्यासियों, संतों, पुजारियों, नागाओं, निहंगों, बुद्धिजीवियों, राजनेताओं, वनवासियों सहित समाज के हर वर्ग ने जाति-पांति, विचार-दर्शन, पंथ-उपासना पद्धति से ऊपर उठकर रामकाज के लिए अपनेआप को समर्पित किया। संतों ने आशीर्वाद दिया और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद जैसे सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों ने रूपरेखा तय की, जनता को एकजुट किया। आखिरकार संकल्प सिद्ध हुआ, व्रत पूर्ण हुआ।

सदियों तक क्यों अभिशप्त रही अयोध्या

यह कैसी बिडंबना थी कि जिस अयोध्या को ‘अवनि की अमरावती’ और ‘धरती का बैकुंठ’ कहा गया, वह सदियों तक अभिशप्त रही। सुनियोजित तिरस्कार झेलती रही। जिस देश में ‘रामराज्य’ को शासन और समाज की आदर्श अवधारणा के रूप में स्वीकार किया जाता रहा हो, वहीं राम को अपने अस्तित्व का प्रमाण देना पड़ा। जिस देश में ‘राम नाम’ सबसे बड़ा भरोसा हो, वहां राम की जन्मभूमि के लिए सबूत मांगे गए। किंतु श्रीराम का जीवन मर्यादित आचरण की शिक्षा देता है। संयम के महत्व का बोध कराता है और यही शिक्षा ग्रहण करके रामभक्तों ने धैर्य नहीं छोड़ा, मर्यादा नहीं लांघी। दिन, माह, साल, शताब्दियां बीतती गईं लेकिन हर एक नए सूर्योदय के साथ रामभक्तों का संकल्प ज्यादा दृढ़ होता गया।

सदियों की प्रतीक्षा के बाद भारत में हो रहे इस नवविहान को देख अयोध्या समेत पूरे देश का वर्तमान आनंदित हो उठा है। भाग्यवान है हमारी पीढ़ी जो इस राम-काज के साक्षी बन रहे हैं और उससे भी बड़भागी हैं वे जिन्होंने सर्वस्व इस राम-काज के लिए समर्पित किया है और करते चले जा रहे हैं। हमारे व्रत की पूर्णाहुति के लिए हमारा मार्गदर्शन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हृदय से अभिनन्दन।

मेरे जीवन के सबसे आनंद का अवसर

22 जनवरी 2024 का दिन मेरे निजी जीवन के लिए भी सबसे बड़े आनंद का अवसर है। मानस पटल पर बहुत-सी यादें जीवंत हो उठी हैं। यह रामजन्मभूमि मुक्ति का संकल्प ही था, जिसने मुझे पूज्य गुरुदेव महंत अवेद्यनाथ जी महाराज का पुण्य सान्निध्य प्राप्त कराया। श्रीरामलला के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा के इस अलौकिक अवसर पर आज मेरे दादागुरु ब्रह्मलीन महंत श्री दिग्‍विजयनाथ जी महाराज और पूज्‍य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत श्री अवेद्यनाथ जी महाराज एवं दूसरे पूज्य संतगण भौतिक शरीर से साक्षी नहीं बन पा रहे लेकिन निश्चय ही उनकी आत्मा को असीम संतोष की अनुभूति हो रही होगी। मेरा सौभाग्य है कि जिस संकल्प से मेरे पूज्य गुरुजन आजीवन जुड़े रहे, उसकी सिद्धि का मैं साक्षी बन रहा हूं।

22 जनवरी की हर कोई देख रहा राह

श्रीरामलला के श्रीरामजन्मभूमि मंदिर में विराजने की तारीख जबसे सार्वजनिक हुई है, हर सनातन आस्थावान 22 जनवरी की प्रतीक्षा में है। सम्पूर्ण राष्ट्र में ऐसे उल्लास और आनंदमय वातावरण का दूसरा उदाहरण हाल की कई शताब्दियों में देखने को नहीं मिलता। कोई ऐसा समारोह जहां शैव, वैष्णव, शाक्त, गाणपत्य, पात्य, सिख, बौद्ध, जैन, दशनाम शंकर, रामानंद, रामानुज, निम्बार्क, माध्व, विष्णु नामी, रामसनेही, घिसापंथ, गरीबदासी, अकाली, निरंकारी, गौड़ीय, कबीरपंथी सहित भारतीय आध्यात्मिकता, धर्म, संप्रदाय, पूजा पद्धति, परंपरा के सभी विद्यालयों के आचार्य, 150 से अधिक परंपराओं के संत गण, 50 से अधिक वनवासी, गिरिवासी, द्वीपवासी परंपराओं के प्रमुख व्यक्तियों की उपस्थिति हो, जहां एक छत्र के नीचे राजनीति, विज्ञान, उद्योग, खेल, कला, संस्कृति, साहित्य आदि विविध विधाओं के प्रतिष्ठजन एकत्रित हों, अभूतपूर्व है, दुर्लभ है।

भारत के इतिहास में पहली बार पहाड़ों, वनों, तटीय क्षेत्रों, द्वीपों आदि के वासियों द्वारा एक जगह पर ऐसे किसी समारोह में हिस्सा लिया जा रहा है। यह अपने आप में अद्वितीय है। इस भव्य समारोह में श्रीरामलला के सामने यशस्वी प्रधानमंत्री 140 करोड़ भारतीयों की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करेंगे। अयोध्याधाम में लघु भारत के दर्शन होंगे। यह गौरवपूर्ण अवसर है। उत्तर प्रदेश की 25 करोड़ जनता की ओर से मैं पावन अयोध्याधाम में सभी का अभिनन्दन करता हूं।

स्वागत के लिए तैयार है अयोध्या धाम

प्राण प्रतिष्ठा समारोह के उपरांत अयोध्याधाम दुनियाभर में रामभक्तों, पर्यटकों, शोधार्थियों, जिज्ञासुओं के स्वागत को तैयार है। इसी मकसद के साथ प्रधानमंत्री जी की परिकल्पना के मुताबिक अयोध्यापुरी में सभी जरूरी व्यवस्थाएं की जा रही हैं। अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट, विस्तारित रेलवे स्टेशन, चारों दिशाओं से 4-6 लेन रोड कनेक्टिविटी, हेलीपोर्ट सेवा, सुविधाजनक होटल, अतिथि गृह मौजूद हैं। नव्य अयोध्या में पुरातन संस्कृति सभ्यता का संरक्षण तो हो ही रहा है, यहां भविष्य की जरूरतों को देखते हुए आधुनिक पैमाने के मुताबिक सभी नगरीय सुविधाएं भी मुहैया कराई जा रही हैं। अयोध्या की पंचकोसी, 14 कोसी और 84 कोसी परिक्रमा की परिधि में आने वाले सभी धार्मिक, पौराणिक और ऐतिहासिक स्थलों के पुनरुद्धार का काम तेज गति से हो रहा है। यह कोशिश सांस्कृतिक संवर्धन, पर्यटन को प्रोत्साहन और रोजगार के मौके भी पैदा करेगी।

श्रीरामजन्मभूमि मंदिर की स्थापना भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का आध्यात्मिक अनुष्ठान है, यह राष्ट्र मंदिर है। निसंदेह श्रीरामलला विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा राष्ट्रीय गौरव का ऐतिहासिक अवसर है। रामकृपा से अब कभी कोई भी अयोध्या की पारंपरिक परिक्रमा को बाधित नहीं कर सकेगा। अयोध्या की गलियों में गोलियां नहीं चलेगी, सरयूजी रक्त रंजित नहीं होंगी। अयोध्या में कर्फ्यू का कहर नहीं होगा। यहां उत्सव होगा। रामनाम संकीर्तन गूंजेगा। अवधपुरी में रामलला का विराजना भारत में रामराज्य की स्थापना का ऐलान है। ‘सब नर करहिं परस्पर प्रीति, चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीति’ की परिकल्पना साकार हो उठी है।

श्रीरामजन्मभूमि मंदिर में विराजित श्रीराम का बालरूप विग्रह हर सनातन आस्थावान के जीवन में धर्म का पालन करने की राह दिखाता रहेगा। सभी जनता-जनार्दन को श्रीरामलला के विराजने की पुण्य घड़ी की बधाई। हमें संतोष है कि मंदिर वहीं बना है, जहां बनाने की सौगंध ली थी। जो संकल्प हमारे पूर्वजों ने लिया था, उसकी सिद्धि की बधाई। प्रभु श्रीराम की कृपा सभी पर बनी रहे।

श्री रामः शरणम् मम्

जय-जय श्रीसीताराम!

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."