ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
लखनऊ: लोग दौलत कितनी भी कमा लें, लेकिन आखिरी में काम रिश्ते और अपने लोग ही आते हैं। हालांकि कुछ मामलों में सगे रिश्ते और खून से जुड़े लोग भी अपने बुजुर्गों को अकेला छोड़ देते हैं। तब पीड़ितों की एक ही उम्मीद बचती है, वो है सरकार या प्रशासन।
ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के लखनऊ में सामने आया है। यहां 72 वर्षीय बुजुर्ग प्रेमचंद्र बाजपेयी की उनके घर में ही मौत हो गई। प्रेमचंद्र के साथ पत्नी रंजना (70) और बेटी अदिति रहती थीं। इन दोनों की काफी समय से तबीयत खराब है। उन्हें एक पुलिस अधिकारी को फोन कर अंतिम संस्कार के लिए मदद मांगनी पड़ी।
जानकारी के मुताबिक दंपती का एक बेटा भी है, जो कि अमेरिका में रहता है। शहर में रहने वाले भाई और अमेरिका से बेटा अंतिम संस्कार में शामिल होने नहीं पहुंचा।
जानकारी के मुताबिक प्रेमचंद्र बाजपेयी परिवार के साथ कानपुर रोड एलडीए कॉलोनी में रह रहे थे। रविवार को उनकी अचानक मौत हो गई। बीमार पत्नी ने कोरोना काल में तैनात रहे एडीसीपी सेंट्रल चिरंजीव नाथ सिन्हा को फोन कर अंतिम संस्कार कराने के लिए मदद मांगी। वर्तमान में बाराबंकी में तैनात एसीपी निरंजीव नाथ सिन्हा एनबीटी से बताया कि प्रेमचंद्र के परिवार की वो पहले भी मदद कर चुके है।
उन्होंने बताया कि प्रेमचंद्र डिमेंशिया पेशेंट थे। एक दिन अचनाक घर से लापता हो गए। ऐसे में उनकी पत्नी रंजना ने सरकारी मोबाइल नंबर (सीयूजी) पर एनसी सिन्हा को फोन कर पति को खोजने के लिए मदद मांगी थी। उन्होंने तत्काल पुलिस टीम लगाई। कुछ ही समय में प्रेमचंद्र को उन्नाव के एक ढाबे से सुरक्षित लखनऊ स्थित घर पहुंचाया गया।
कोरोना में सेव किया नंबर काम आया
एनसी सिन्हा ने बताया कि प्रेमचंद्र के परिवार ने तभी से उनका नंबर अपने फोन में सेव कर लिया था। रविवार को प्रेमचंद्र की मौत होने पर पत्नी रंजना ने फोन कर बताया कि सर हम लाचार है। बेटी भी बीमार रहती है। बेटा अमेरिका में रहता है, अभी नहीं आ पाएगा। प्लीज, पति के अंतिम सरकार में मदद करा दीजिए। इसके बाद उन्होंने लखनऊ नगर आयुक्त डॉ. इंद्रजीत सिंह को फोन कर मामले की जानकारी दी। इसके बाद नगर आयुक्त अपनी टीम के साथ पीड़ित परिवार के घर पहुंच गए।
नगर आयुक्त की मौजूदगी में पुलिस और निगम से जुड़ी टीम ने प्रेमचंद्र का विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार कराया। वहीं दूसरी तरफ एनसी सिन्हा और नगर आयुक्त ने एएसपी कृष्णानगर से भी परिवार की कानूनी कार्रवाई में मदद करने का आग्रह किया। पुलिस और प्रशासन के आपसी तालमेल से एक परिवार को दुख की घड़ी में काफी मदद मिल गई।
पड़ोसी और परिवार दें ध्यान
एसीपी चिरंजीव नाथ सिन्हा ने बताया कि प्रेमचंद्र बाजपेयी के भाई गोमती नगर में रहते हैं, लेकिन वो आए नहीं। वहीं एकलौटा बेटा अमेरिका में इंजीनियर है। उन्होंने बताया कि बेटा भी अंतिम संस्कार में नहीं पहुंचा। पड़ोसी भी परिवार की मदद के लिए आगे नहीं आए। उन्होंने कहा कि समाज को ये नहीं भूलना चाहिए कि एक दिन वो भी बुजुर्ग होंगे।
Author: samachar
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