इरफान अली लारी की रिपोर्ट
अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होने वाली है। इसके लिए तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आने आने अतिथियों के लिए पूरी व्यवस्था की गई है।
राम के दरबार में आया कोई भी अतिथि भूखा नहीं रहेगा। इसके लिए 20 जनवरी से ही अयोध्या में कुछ ऐसी ही व्यवस्था की जा रही है। 22 जननरी को अयोध्या में 45 स्थानों पर भंडारे लगाए जाएंगे. इसके लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां चल रही है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अयोध्या की गरिमा के अनुरूप पूरी तरह से शुद्ध सात्विक भोजन ही परोसा जाएगा। इस दौरान अलग-अलग राज्यों के व्यंजन भी बनाए जाएंगे। लिट्टी-चोखा, राजस्थानी दाल बाटी चूरमा, पंजाबी तड़का, दक्षिण भारतीय मसाला डोसा और इडली, बंगाली रसगुल्ले, जलेबी जैसे कई खास व्यंजन और मिठाइयों के बनाने की तैयारी चल रही है।
अलग-अलग जगहों पर भोजनालय
अलग-अलग राज्यों के लिए अलग-अलग भोजनालय बनाए गए हैं। पंजाब से लेकर तेलंगाना, महाराष्ट्र और राजस्थान के भक्तों की ओर से लंगर की व्यवस्था की जाएगी। वहीं दक्षिण भारत की अम्मा जी रसोई की ओर से भी भोजनालय संचालित किया जाएगा। अलग-अलग स्थानों पर भी भोजनालय संचालित किया जाएगा।
साधू संतों के लिए विशेष इंतजाम
साधू-संतों को ध्यान में रखते हुए विशेष इंतजाम किया जा रहा है. साधू-संतों के लिए कुट्टू के आटे की पूड़ी, साबूदाना के आइटम, मूंगफली की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा गेहूं के आटे की पूड़ी, चार प्रकार की सब्जी, रोटी, बासमती चावल, गोविंद भोग चावल, कचौड़ी, दाल, पापड़, खीर, करीब 10 तरह की मिठाइयां रहेंगी। नाश्ते में जलेबी, मूंग की दाल और गाजर का हलवा, चाय, कॉफी, चार पांच तरह की पकौड़ियों का इंतजाम किया गया है।
कहां से क्या-क्या
राजस्थान – दाल बाटी चूरमा, मोहन थाल, मावा कचोर, कलाकंद, प्याज की कचोर, कढ़ी, मूंग की दाल का हलदा, मालपूआ
महाराष्ट्र– पाव भाजी, वड़ा पाव, पोहा, साबूदाना खिचड़ी, सोल कढ़ी, आमटी (महाराष्ट्रीयन दाल) दक्षिण भारतीय व्यंजन- इडली, बड़ा, उपमा, सांबर, नारियल की चटनी
गुजरात– ढोकला बासुंदी, आलू वड़ी, मेथी साग, गुजराती खिचड़ी, मोहन थाल, गुजराती कढ़ी
तेलंगाना– पुंटिकुरा चना दाल, बचली कुरा, चना दाल, मूंगफली से बना सर्वपिंडी, बचाली कुरा एक पत्तेदार सब्जी है जिसे मालाबार पालक या सीलोन पालक के नाम से भी जाना जाता है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."