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November 22, 2024 10:51 pm

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प्रभु रामलला के नए मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले अयोध्या एयरपोर्ट के नाम को लेकर चर्चा तेज

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आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट

अयोध्या। उत्तर प्रदेश के राजनीति में राम मंदिर का मुद्दा इन दिनों परवान पर है। 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर के उद्घाटन समारोह के दौरान मुख्य यमजमान बनेंगे। इस दिन प्रभु रामलला को उनके मंदिर में विराजमान किया जाएगा। इसकी तैयारी जोड़ों पर है। 

हालांकि, इससे पहले अयोध्या में एक बड़ा आयोजन होने जा रहा है। इसे 22 जनवरी के रिहर्सल के तौर पर देखा जा रहा है। 

आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या पहुंच रहे हैं। वह विकास योजनाओं की सौगात देंगे। अयोध्या में इंटरनेशनल एयरपोर्ट और वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी के हाथों से होगा। वंदे भारत और अमृत भारत ट्रेनों को पीएम मोदी इस कार्यक्रम से हरी झंडी दिखाएंगे। 

इस कार्यक्रम से पहले दोनों नवनिर्मित स्थलों के नाम सामने आए हैं। अयोध्या एयरपोर्ट का नाम महर्षि वाल्मीकि इंटरनेशनल एयरपोर्ट रखा गया है। वहीं, अयोध्या स्टेशन को अब अयोध्या धाम स्टेशन के नाम से जाना जाएगा। अयोध्या एयरपोर्ट के नाम को लेकर राजनीति की चर्चा होने लगी है।

महर्षि वाल्मीकि के जरिए देश की एक बड़ी आबादी को टारगेट किया गया है। इस कार्यक्रम के जरिए पीएम नरेंद्र मोदी का देश की एक बड़ी जनसंख्या को सीधे टारगेट कर सकते हैं। 

महर्षि वाल्मीकि का प्रभु श्री राम से सीधा जुड़ाव रहा हैं। रामायण ग्रंथ की रचना करने वाले महर्षि वाल्मीकि भगवान श्रीराम के समकालीन माने जाते हैं। उन्होंने भगवान राम के वनवास के बाद माता सीता को अयोध्या से निकलने के बाद अपने आश्रम में प्रवास की अनुमति दी थी। 

उत्तर रामायण में इस प्रकार का प्रसंग आता है। इस प्रकार के धार्मिक संदर्भों पर गौर करें तो महर्षि वाल्मीकि का प्रभु श्री राम से सीधा जुड़ाव दिखता है। वहीं, वाल्मीकि ऋषि को दलित और वंचित समाज के अगुआ के तौर पर भी देखा जाता है। दलितों का एक बड़ा वर्ग महर्षि वाल्मीकि को पूजता है। उनके नाम को अपने नाम के आगे लगता है।

यूपी में करीब 2 करोड़ आबादी

एक अनुमान के मुताबिक उत्तर प्रदेश में वाल्मीकि समाज की जनसंख्या करीब 2 करोड़ 19 लाख बताई जाती है। इसके अलावा देश के तमाम राज्यों में यह वर्ग बड़ी तादाद में रहता है। सनातन धर्म को मानने वाला दलित समाज का यह वर्ग राजनीतिक रूप से अन्य नेताओं पर निर्भर रहा है। 

मतलब राष्ट्रीय स्तर पर इस वर्ग की राजनीतिक आकांक्षाएं दबी रही हैं। यूपी में दलित समाज की राजनीति करने वाली मायावती हों या फिर बिहार में रामविलास पासवान, यह वर्ग इनसे जुड़ा रहा है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पिछले दिनों राज्यसभा के सभापति और देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अपमान के मामले में अलग ही बयान दिया था। दरअसल, उप राष्ट्रपति के बयान को जाट समाज और ओबीसी तबके के अपमान से जोड़ा गया। इस पर खरगे ने कहा कि मैं दलित समाज से आता हूं, इसलिए भाजपा मुझे सदन में बोलने नहीं दे रही है।

मल्लिकार्जुन खरगे के बयान से साफ हुआ कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव में उनके दलित समाज के होने को मुद्दा बना सकती है। 

पिछले दिनों I.N.D.I.A. की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष को लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व देने की चर्चा हुई। इस मसले के बाद अब अयोध्या में महर्षि वाल्मीकि इंटरनेशनल एयरपोर्ट के नामकरण का मुद्दा सामने आया है। यह एक बड़े वर्ग को साधने और कांग्रेस के संभावित दलित पॉलिटिक्स के जवाब के रूप में देखी जा रही है।

वाल्मीकि समाज की शुरू हुई चर्चा

लोकसभा चुनाव से पहले महर्षि वाल्मीकि इंटरनेशनल एयरपोर्ट के जरिए इस वर्ग की चर्चा शुरू हो गई है। पीएम नरेंद्र मोदी इस वर्ग को साधते दिख रहे हैं। 

पहली बार वाल्मीकि समाज को अलग रूप में पहचान देने की कोशिश की जा रही है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है। इससे दलित समाज का एक बड़ा वर्ग भारतीय जनता पार्टी से अपना जुड़ाव महसूस कर सकेगा। वहीं, दलित को सनातन विरोधी साबित करने की ओर में जुटे स्वामी प्रसाद मौर्य से लेकर चंद्रशेखर आजाद जैसे नेताओं को भी इसे करारा जवाब दिया जा सकेगा।

क्या प्रभावित होगी राजनीति?

महर्षि वाल्मीकि का नाम पर एयरपोर्ट का नामकरण किए जाने को अलग नजरिया से देखा जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की ओर से इसे दलित समाज को उचित सम्मान दिए जाने की रूप में प्रदर्शित किया जा रहा है। भाजपा नेता कुछ इसी प्रकार की बात करते दिख रहे हैं। 

हालांकि, आधिकारिक तौर पर अभी एयरपोर्ट के नाम का ऐलान नहीं हुआ है। पीएम नरेंद्र मोदी शनिवार के कार्यक्रम में इसका ऐलान करेंगे। इस ऐलान से साफ है कि उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, राजस्थान, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल तक की राजनीति को यह कदम प्रभावित करेगा।

वाल्मीकि समाज का है अलग अस्तित्व

दलित समाज के अंग के रूप में वाल्मीकि वर्ग की पहचान है। इस समाज का मुख्य कार्य साफ- सफाई होता है। इस जाति वर्ग में नायक, बेडार, बेडा, बोया, भंगी, महादेव कोली, मेहतर, नाइक आदि के रूप में इनकी पहचान है। 

देश के अलग- अलग राज्यों में इस जातिवर्ग को अलग- अलग नामों से जाना जाता है। दक्षिण भारत में वाल्मीकि समाज को क्षत्रिय और योद्धा जाति के रूप में पहचाना जाता है। महर्षि वाल्मीकि से यह वर्ग खुद को जोड़ता रहा है।

यूपी की राजनीति में होगा बदलाव

महर्षि वाल्मीकि नाम को चर्चा में लाकर भारतीय जनता पार्टी ने एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है। पहले अयोध्या एयरपोर्ट को श्रीराम इंटरनेशनल एयरपोर्ट के नाम से संबोधित किया जा रहा था। अब इसके नाम में बदलाव को अब चुनावी राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। 

साफ है कि एयरपोर्ट के नाम पर राजनीति गरमाएगी। हालांकि, कोई इसका विरोध नहीं करेगा। विपक्षी दलों की ओर से इस मामले में भाजपा पर राजनीति करने का आरोप लगाए जाने को लेकर विशेष लगातार हमले किए जा रहे हैं। विरोघ की राजनीति विपक्षी दलों पर भारी पड़ सकती है। वहीं, इस पर बहस से भी भाजपा को ही फायदा होता दिख रहा है। 

यूपी में मिशन 80 और देश में तीसरी बार मोदी सरकार की मुहिम में यह सहायक हो सकता है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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